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बर्थडे: दादा साहब फाल्के अवार्ड तक ठुकराया, जानिये स्वाभिमानी एक्ट्रेस सुचित्रा सेन की ये 5 कहानियां

उनकी मौत पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत कई देशों के लीडर्स ने गहरा दुःख जताया था..

By Hirendra JEdited By: Published: Thu, 06 Apr 2017 08:39 AM (IST)Updated: Fri, 06 Apr 2018 11:42 AM (IST)
बर्थडे: दादा साहब फाल्के अवार्ड तक ठुकराया, जानिये स्वाभिमानी एक्ट्रेस सुचित्रा सेन की ये 5 कहानियां
बर्थडे: दादा साहब फाल्के अवार्ड तक ठुकराया, जानिये स्वाभिमानी एक्ट्रेस सुचित्रा सेन की ये 5 कहानियां

मुंबई। 6 अप्रैल 1931 को जन्मीं सुचित्रा सेन अगर अगर हमारे बीच होतीं तो अपना 87 वां जन्मदिन मना रही होतीं। वो अपनी तरह की इकलौती एक्ट्रेस हैं। सुचित्रा सेन के बारे में कहा जाता है कि वो बहुत ही स्वाभिमानी एक्ट्रेस थीं। 'आंधी', 'देवदास' जैसी कालजयी फ़िल्मों के लिए सुचित्रा सेन हमेशा याद की जाती रहेंगी। आइये उनके बर्थडे पर जानते हैं उनकी लाइफ से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

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फ़िल्म को अलविदा कहने के बाद कभी नहीं आईं नज़र 

क्या आप जानते हैं, सन् 1947 में दिबानाथ सेन से ब्याह रचाने के पांच वर्षों बाद सुचित्रा ने सिनेमा की दुनिया में कदम रखा और एक कामयाब व लंबी पारी खेली। लेकिन, 1978 में 'प्रोणोय पाश' करने के बाद सिनेमा की दुनिया को उन्होंने अलविदा कहा तो उसके बाद सार्वजनिक रूप से कभी नजर नहीं आईं। उन्होंने कहा था जो एक्ट्रेसेस परदे पर दिखती हैं उन्हें कहीं और नहीं दिखना चाहिए।

बड़े फिल्मकारों तक को कहा -'NO'

सुचित्रा बड़े से बड़े फिल्मकारों के साथ काम करने का प्रस्ताव ठुकराती रहीं। सुचित्रा ने राज कपूर की एक फ़िल्म में काम करने का प्रस्ताव इसलिए ठुकरा दिया था क्योंकि राज कपूर द्वारा झुककर फूल देने का तरीका उन्हें पसंद नहीं आया था। महान दिग्गज फिल्मकार सत्यजित राय उन्हें लेकर 'देवी चौधुरानी' बनाना चाहते थे, लेकिन सुचित्रा द्वारा इनकार करने के बाद उन्होंने यह फ़िल्म बनाने का विचार ही त्याग दिया!

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दादा साहब फाल्के पुरस्कार तक को ठुकराया

बॉलीवुड में कलाकारों के सम्मान में सबसे बड़ा कोई अवार्ड अगर है तो वो है - दादा साहब फाल्के अवार्ड। एक से एक दिग्गज एक्टर्स भी यह सम्मान हासिल नहीं कर पाए हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं साल 2005 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार का प्रस्ताव सुचित्रा सेन ने महज इसीलिए ठुकरा दिया था क्योंकि इसके लिए उन्हें कोलकाता छोड़कर दिल्ली जाना पड़ता। साथ ही उन्हें अपना ये वादा भी पूरा करना था कि वो पब्लिक के बीच नहीं दिखेंगी।

ब्लॉकबस्टर

उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन की जोड़ी एक जमाने में बांग्ला सिनेमा की सबसे लुभावनी जोड़ी थी। इन दोनों ने 'अग्निपरीक्षा', 'शाप मोचन', 'इंद्राणी', 'सप्तपदी' जैसी यादगार फ़िल्मों में काम किया। साल 1953 से 1978 के बीच सुचित्रा ने हिंदी और बंगला कुल मिला कर 61 फ़िल्में की। इनमें से 20 से ज्यादा फ़िल्में ब्लॉकबस्टर रहीं तो वहीं एक दर्जन से ज्यादा फ़िल्में सुपर हिट..

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फेयरवेल

पद्म श्री और बंग विभूषण के सम्मान से सम्मानित सुचित्रा की मौत 17 जनवरी 2014 को हुई। उनकी मौत पर देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उस वक़्त एक मजबूत नेता के रूप में उभर रहे नरेन्द्र मोदी समेत कई देशों के लीडर्स ने गहरा दुःख जताया था। उनके अंतिम संस्कार के दौरान वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उपस्तिथि में उन्हें तोप की सलामी दी गयी थी। गौरतलब है कि तोप की सलामी देना अपने देश में एक सम्मान का प्रतीक है!


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