हिंदी टेलीविज़न के मशहूर डायरेक्टर श्याम महेश्वरी ने रखा मराठी सिनेमा में कदम, जागरण फ़िल्म फेस्टिवल में हुई ख़ास बातचीत
"मैं स्पष्ट कर दूं कि इस फ़िल्म का नाटक के नाम से कोई लेना देना नहीं है। यह अकस्मात है कि मेरी फ़िल्म के हीरो का नाम चरण है।"
अभिनव उपाध्याय, दिल्ली। टेलीविज़न के धारावाहिकों से अपनी पहचान बनाने वाले निर्देशक श्याम माहेश्वरी अब अपनी मराठी फ़िल्म 'चरण दास चोर' को लेकर चर्चा में हैं। इस फ़िल्म की कहानी, इसी नाम से बने हबीब तनवीर के नाटक से है और इसकी भिन्नता और धारावाहिक से फिल्म निर्देशक के बीच के अंतर सहित अन्य विषयों पर दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता अभिनव उपाध्याय ने श्याम महेश्वरी से ख़ास बातचीत की जो इस प्रकार थी-
प्रश्न: हबीब तनवीर पहले चरण दास चोर नाम से नाटक कर चुके हैं और इस नाम से फ़िल्म भी बन चुकी है और आप अब इस नाटक के नाम से फ़िल्म बना रहे हैं? कितनी समानता है दोनो में?
उत्तर: यह फ़िल्म नाटक से प्रभावित नहीं है। बल्कि, इसकी कहानी इस तरह है कि एक निर्देशक चरण दास चोर नाटक पर फ़िल्म बना रहा है। उस फ़िल्म की युनिट में एक सीधा सादा लड़का है। उसके हाथ में कहीं से दो करोड़ रुपए लग जाते हैं और कहानी कहीं और चली जाती है। इस तरह हमारा चरण आगे चरण दास चोर बन जाता है।
प्रश्न: क्या आपकी फ़िल्म का मुख्य पात्र चरण दास चोर नाटक के चोर की भूमिका का विस्तार है?
उत्तर- मैं स्पष्ट कर दूं कि इस फ़िल्म का नाटक के नाम से कोई लेना देना नहीं है। यह अकस्मात है कि मेरी फ़िल्म के हीरो का नाम चरण है।
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प्रश्न: लेकिन चरण दास चोर नाम सामने आने पर हबीब तनवीर का नाटक ही सामने आता है?
उत्तर: ये फ़िल्म देखने के बाद चरण दास चोर नाम लेने पर मेरी फ़िल्म लोगों के ज़हन में आएगी (हंसते हुए)। हबीब तनवीर के नाटक को लेकर जो लोगों में रुचि है मैं उसका इस्तेमाल करना चाहता हूं। इसमें मेरा स्वार्थ है। फ़िल्म देखने पर आपको पता चलेगा कि इसकी पृष्ठभूमि चरणदास चोर है लेकिन फ़िल्म की कहानी अलग है।
प्रश्न: यह फ़िल्म मराठी में है लेकिन हिंदी फ़िल्मों का दर्शक वर्ग सबसे अधिक है? क्या यह हिंदी में भी रिलीज होगी?
उत्तर-हमारी डिस्ट्रीब्यूटर से बातचीत चल रही है संभव है कि हम इसे डब करके वैश्विक स्तर पर हिंदी में भी रिलीज करें।
प्रश्न: यह आपकी पहली फ़िल्म है, इससे पहले आपने तमाम धारावाहिकों का निर्देशन किया है? इससे क्या अपेक्षा है?
उत्तर: मैं टीवी का निर्देशक रहा हूं। मैंने 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी', 'कसौटी', 'सात फेरे', 'जोधा अकबर' सहित कई धारावाहिकों का निर्देशन किया हैं। 'एमएस धोनी' फ़िल्म का मैं को-राइटर था। मुझे उम्मीद है कि मैं इस फ़िल्म के माध्यम से अपने दर्शकों को कनेक्ट कर सकूंगा। मैं इसके वित्तीय लाभ से अधिकतर जनता को जोडऩा चाहता हूं।
प्रश्न: धारावाहिक से फ़िल्म निर्देशक कितना मुश्किल है?
उत्तर: बहुत बदलाव हो जाता है। तकनीकी के अलावा अन्य पहलुओं पर भर भी यह बदलाव दिखता है। फ़िल्म में स्क्रिप्ट, क्या दिखाना चाहते हैं... ये महत्वपूर्ण है। जबकि धारावाहिक में दर्शक क्या देखना चाहता है यह महत्वपूर्ण था, एकता कपूर ने स्क्रिप्ट फाइनल कर दी और हम उसे शूट करते थे।
प्रश्न: इसके अलावा आपकी आने वाली फ़िल्म कौन सी है?
उत्तर: हम आगे मराठी और हिंदी फ़िल्म पर काम कर रहे हैं। जो जल्द ही दर्शकों के सामने आएगी।
प्रश्न: इस फ़िल्म फेस्टिवल के बारे में आपकी क्या राय है?
उत्तर: मुझे खुशी है कि इस फेस्टिवल के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक सिनेमा पहुंच रहा है। मैं मुंबई से हूं और पहले भी इसे देख चुका है। मैं जब इसमें फ़िल्में देखता था तो मुझे लगता था कि काश मेरी फ़िल्में भी इसमें दिखाई जाती और अब मेरी पहली फ़िल्म इस फेस्टिवल का हिस्सा है।