हॉरर कॉमेडी का मजा थिएटर में ही लिया जा सकता हैः राजकुमार राव
अगर कोस्टार के साथ आपकी अच्छी दोस्ती होती है तो वह पर्दे पर भी नजर आ ही जाती है। वरुण को मैं काफी समय से जानता हूं। वरुण का कॉमेडी को लेकर अपना स्टाइल है। मेरी कुछ फिल्ममेकर्स से इस संबंध में बात हुई है।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। कोरोना काल में राजकुमार राव की फिल्में 'छलांग', 'लूडो' डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुईं। उनकी हॉरर कॉमेडी फिल्म 'रूही' अब सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। राजकुमार का कहना है कि हॉरर कॉमेडी का मजा थिएटर में ही लिया जा सकता है। उनसे बातचीत के अंश...
सवाल: शुरुआत में आपने कई गंभीर किरदार किए। अब हल्के-फुल्के कॉमेडी किरदार ज्यादा कर रहे हैं...
जवाब: यह कोई जानबूझ कर लिया गया फैसला नहीं था। बस मेरे पास ऐसी फिल्मों के प्रस्ताव आते गए। प्रस्ताव रोचक लगे। इसलिए मैं स्वीकार करता गया। यही वजह रही कि पिछले दो वर्षों में कई हल्की-फुल्की हंसाने वाली फिल्में ज्यादा आईं। बीते दिनों 'द व्हाइट टाइगर' डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आई थी। वह ड्रामा फिल्म थी। 'बधाई दो' समेत बाकी कई फिल्मों में हल्की-फुल्की कॉमेडी से ज्यादा ड्रामा देखने को मिलेगा। बहरहाल, मुझे हर तरह की फिल्में करना अच्छा लगता है।
सवाल: क्या डार्क कंटेंट के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म और बड़े सितारों की फिल्मों के लिए सिनेमाघर को बतौर मंच चुने जाने की आंशका है?
जवाब: सिनेमाघरों में अब फिल्में रिलीज हो रही हैं। किसी को नहीं पता कि क्या होने वाला है। किसी को एहसास नहीं था कि कोविड आएगा और लॉकडाउन होगा, पर हो गया। इसलिए सब कुछ अनिश्चित है। कौन सी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कमाल करेंगी, इसके बारे में कोई नहीं जानता। मैं बहुत उत्साहित हूं कि 'रूही' थिएटर में आई है।
सवाल: आपके लिए हर नई फिल्म का पहला दिन कैसा होता है?
जवाब: पहले दिन तो बहुत नर्वस रहता हूं खास कर अगर किरदार के साथ हम कुछ नया करने का प्रयास कर रहे होते हैं। सिर्फ पहला दिन नहीं बल्कि शुरुआती तीन-चार दिन चीजों को समझने में जाते हैं कि सेट की एनर्जी कैसी है, कौन किस तरह का एक्टर है। उसके बाद फ्लो बनता है। 'रूही' के पहले दिन भी मैं काफी नर्वस था, क्योंकि मैं अपने बोलने का पैटर्न बदल रहा था। नया लुक था।
सवाल: हॉरर कॉमेडी फिल्म 'स्त्री' करने के बाद 'रूही' करने की क्या वजह रही?
उत्तर: आप कहानी को सिर्फ जॉनर के आधार पर नहीं चुन सकते हैं। मैंने चार बायोपिक भी की हैं। मैंने ड्रामा और कॉमेडी भी किया है। हॉरर कॉमेडी जॉनर में कम फिल्में बनती है। 'स्त्री' में दर्शक मुझे देख चुके हैं। इसलिए 'रूही' में कुछ नया करना ही मेरे लिए सबसे बड़ा चैलेंज रहा। मैं नहीं चाहता था 'रूही' देखते हुए उन्हें 'स्त्री' के विकी की याद आए। भले ही वह लुक हो या बोलने का अंदाज।
सवाल: 'रूही' और 'स्त्री' के किरदारों को मिलाने की भी तैयारी है?
जवाब: निर्माता दिनेश विजन हॉरर कॉमेडी से जुड़े किरदारों की दुनिया गढ़ने की तैयारी में हैं। 'रूही' में मेरा किरदार भंवरा और 'स्त्री' का मेरा किरदार विकी एक फिल्म में मिलेंगे। उसमें डबल रोल करने का मौका मिल सकता है, जिसमें दो किरदार अलग-अलग मिजाज के होंगे। यानी जब भंवरा और विकी मिलेंगे तो यह काफी रोमांचक होगा।
सवाल: वरुण शर्मा आपके दोस्त की भूमिका में हैं। ऑन स्क्रीन दोस्ती के लिए ऑफ स्क्रीन दोस्ती कितनी जरूरी होती है?
जवाब: अगर कोस्टार के साथ आपकी अच्छी दोस्ती होती है तो वह पर्दे पर भी नजर आ ही जाती है। वरुण को मैं काफी समय से जानता हूं। वरुण का कॉमेडी को लेकर अपना स्टाइल है।
सवाल: आपका कोई ऐसा किरदार है जिस पर फिल्म बनने की संभावना है?
जवाब: मेरी कुछ फिल्ममेकर्स से इस संबंध में बात हुई है। मुझे लगता है कि कई किरदार हैं जिनकी अपनी कहानी हो सकती है। जैसे 'न्यूटन' का मेरा किरदार है। वह किसी और दुनिया में जा सकता है। 'बरेली की बर्फी' का प्रीतम विद्रोही काफी पापुलर है। उसकी अपनी दुनिया हो सकती है। 'लूडो' के आलू पर भी नए सिरे से लिखने की गुंजाइश है।
सवाल: आपका कहना है कि कहानी हीरो होती है एक्टर नहीं। क्या यह बात अब फिल्ममेकर्स ज्यादा समझने लगे हैं?
जवाब: निश्चित रूप से। अब स्क्रिप्ट पर काफी काम किया जाता है। सिनेमा का आधार ही कहानी होती है। फिल्ममेकर्स भी समझने लगे हैं कि आप कहानी में जितना समय देंगे, सिनेमा में वह दुनिया उतनी निखरकर सामने आएगी।