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पापा की छुईमुई 'सोनम'

मुंबई। फिल्म 'रांझणा' और 'भाग मिल्खा भाग' से सोनम कपूर ने अपने आलोचकों का मुंह बंद कर दिया। उनकी अदाकारी और हिंदी व उर्दू भाषा ज्ञान की भी काफी तारीफ हुई। उनकी ऊर्जा भी देखने लायक थी। वे कहती हैं, 'पापा की बेटी हूं मैं। वे मुझे आज भी छुई-मुई कहकर बुलाते हैं। इसकी वजह

By Edited By: Published: Wed, 16 Oct 2013 12:54 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2013 02:34 PM (IST)
पापा की छुईमुई 'सोनम'

मुंबई। फिल्म 'रांझणा' और 'भाग मिल्खा भाग' से सोनम कपूर ने अपने आलोचकों का मुंह बंद कर दिया। उनकी अदाकारी और हिंदी व उर्दू भाषा ज्ञान की भी काफी तारीफ हुई। उनकी ऊर्जा भी देखने लायक थी। वे कहती हैं, 'पापा की बेटी हूं मैं। वे मुझे आज भी छुई-मुई कहकर बुलाते हैं। इसकी वजह भी है। उन्होंने मुझे पूरे ऐश-ओ-आराम दिए और मैं मुंबई से बाहर की दुनिया एक लंबे समय तक नहीं देख पाई।

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बेहतर अभिनेता और बेहतर इंसान की संतान होने के कई फायदे होते हैं। मेरी हिंदी और उर्दू उन सभी कलाकारों से अलग है, जो मुंबई में पले-बढ़े हैं। मैं छोटे शहरों के लोगों और वहां की दुनिया को महसूस कर सकती हूं, क्योंकि मेरे पिताजी की जड़ें छोटे शहरों से जुड़ी हैं। उन्हें अब इस बात का मलाल है कि लोग उन्हें बड़े शहर का कहने लगे हैं। वे हमेशा कहते हैं कि अपने दिल के दरवाजे किसी के लिए कभी भी बंद करके मत रखो। वे कहते हैं कि एक कलाकार को बिल्कुल इस बात का अंदाजा नहीं होता है कि कब वह अपने लोगों से दूर हो रहा है। ये चीजें उसके अभिनय पर असर डालती हैं।'

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