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नील के संग नहीं इश्क का नाता: सोनल चौहान

मुंबई। सोनल चौहान का नाम फिल्मों से अधिक नील नितिन मुकेश साथ प्रेम प्रसंग के कारण लिया जाता है। थोड़ी बहुत शक करने की वाजिब वजह भी हो सकती है, क्योंकि 'जन्नत' के बाद वे पांच साल फिल्मी दुनिया से गायब रहीं। हाल-फिलहाल उनकी फिल्म आई थी '3 जी'। वे पहले अपने गैप

By Edited By: Published: Mon, 29 Jul 2013 02:37 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jul 2013 02:42 PM (IST)
नील के संग नहीं इश्क का नाता: सोनल चौहान

मुंबई। सोनल चौहान का नाम फिल्मों से अधिक नील नितिन मुकेश साथ प्रेम प्रसंग के कारण लिया जाता है। थोड़ी बहुत शक करने की वाजिब वजह भी हो सकती है, क्योंकि 'जन्नत' के बाद वे पांच साल फिल्मी दुनिया से गायब रहीं। हाल-फिलहाल उनकी फिल्म आई थी '3 जी'। वे पहले अपने गैप के बारे में बताती हैं, 'जन्नत' के दौरान मेरी पढ़ाई जारी थी। मुझे उसे कंप्लीट करनी थी, इसलिए मैंने एक ब्रेक लिया। सवाल जहां तक नील नितिन मुकेश के संग रिश्ते का है, तो मैं साफ कर दूं कि उनके संग मेरा लवर का रिश्ता नहीं है। मैंने इस रिश्ते के बारे में कभी कुछ खुलेआम नहीं कहा। मुझे लगता है कि इंडस्ट्री में जब दो सिंगल लोग काम कर रहे होते हैं, तो लोग सोचते हैं कि किस तरह इनका नाम एक-दूसरे के साथ जोड़ा जाए। हमारे साथ भी यही हुआ है। मैं और नील दोनों सिंगल हैं, इसलिए लोगों ने हमारा नाम जोड़ दिया। मैं आप को बता दूं कि हम दोनों अभी भी सिंगल ही हैं। इस ग्लैमर व‌र्ल्ड में इन सब बातों के लिए तैयार रहना पड़ता है। नील मेरे अच्छे दोस्त हैं। हमारी हेल्दी रिलेशनशिप है। मैं आप को क्लियर कर रही हूं कि हमारे बीच कोई इश्क वाला रिश्ता नहीं है और यही सच है। हां, इतना जरूर है कि वे अच्छे इंसान हैं। बहुत भरोसेमंद दोस्त भी। आज जहां कई अदाकार अपनी एक्टिंग को रिपीट करते रहते हैं, वहीं नील बहुत प्रयोगवादी हैं।

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'हैप्पी न्यू ईयर' में विद्युत जामवाल!

'फोर्स' और 'कमांडो' फेम विद्युत जामवाल की निकल पड़ी है। सूत्रों की मानें तो उन्हें 'हैप्पी न्यू ईयर' में सेकंड लीड के तौर पर कास्ट किए जाने की पूरी संभावना है। फराह खान के नजदीकी सूत्रों ने इस खबर की पुष्टि की है। फिल्म के मेन लीड शाहरुख खान हैं। सेकंड लीड के लिए सुशांत सिंह राजपूत और रणवीर सिंह के नाम पर चर्चा चल रही थी, पर आखिर में बात विद्युत पर बनती नजर आ रही है। खबर तो यह भी है कि विद्युत उस रोल की तैयारी में भी जुट गए हैं। वे सुबह और शाम के चार-चार घंटे अपनी फिटनेस पर खर्च कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि उस फिल्म में भी विद्युत एक्शन अवतार में नजर आएंगे। देसी फिल्मों के अलावा विद्युत हॉलीवुड की फिल्मों में भी अपनी जगह बनाने को तत्पर हैं। इस गरज से वे अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में अपनी मौजूदगी पर ध्यान दे रहे हैं। सौभाग्य से उनकी फिल्म 'कमांडो' कनेडियन फिल्म फेस्टिवल के लिए चुन ली गई है। वह समारोह केवल एक्शन, थ्रिलर और हॉरर फिल्मों को समर्पित है। आयोजनकर्ता एरिक एस. ब्वॉजवर्ट के मुताबिक, बीते 17 सालों से इस समारोह ने कई एशियन प्रतिभाओं को ग्लोबल मंच प्रदान किया है। जेट ली और ली-ब्यूंग हुन जैसे सितारे भी इसी मंच की देन हैं, जिन्होंने हॉलीवुड में भी नाम कमाया। उनके बाद मैं पूरी तरह निश्चिंत हूं कि विद्युत अगले एशियाई सितारे होंगे, जो हॉलीवुड फिल्मों में भी नाम और दाम कमाएंगे।

'लुटेरा' के प्रदर्शन से संतुष्ट हूं : विक्रमादित्य

लीक से हटकर फिल्म बनाते हैं विक्रमादित्य मोटवाणी। लिहाजा उन फिल्मों का कलेक्शन मुख्यधारा की फिल्मों से अलग रहने से वे हतप्रभ नहीं हैं। वेकहते हैं, 'मैं फिल्म के प्रदर्शन से खुश और संतुष्ट हूं। यह बड़ी खुशी की बात है कि फिल्म का सप्ताहांत कलेक्शन 19 करोड़ रुपए का था। ओवरसीज मार्केट में फिल्म ने 70,000 डॉलर का बिजनेस किया। उसके बाद फिल्म के सैटेलाइट राइट्स बिकने से फिल्म ने अपनी लागत भी निकाल ली। फिल्म तकरीबन 32 करोड़ में बनी थी, जिससे ज्यादा हम रिकवर कर चुके हैं। इतना कहने के बाद अगर आप 100 करोड़ क्लब की बात कहें तो मैं इस बात को लेकर पहले से ही आश्वस्त था कि फिल्म उस क्लब में तो नहीं आएगी। अगर वैसा कुछ होता तो मुझे खुशी जरूर होती। यह बात मेरे जेहन में थी, इसलिए फिल्म बनाते वक्त मैंने फिल्म को ओवरबजट नहीं होने दिया। आगे अब मैं अलग किस्म की फिल्में बनाऊंगा। हमारे प्रोडक्शन हाउस फैंटम के बैनर तले अक्टूबर में 'क्वीन' आएगी। उसके बाद अनुराग कश्यप की 'अगली' और 'बॉम्बे वेलवेट' है। फिर धर्मा प्रोडक्शन के साथ मिलकर हम 'हंसी तो फंसी' बना रहे हैं। सब एक-दूसरे से काफी अलग फिल्में हैं। विक्रमादित्य इस बात को भी स्वीकारते हैं कि 'लुटेरा' के तेवर और कलेवर संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी फिल्मों की तरह थी। खासकर उसकी सिनेमैटोग्राफी। विक्रमादित्य कहते हैं, मैं उनका असिस्टेंट रह चुका हूं। लिहाजा स्वाभाविक तौर पर मेरी फिल्मों में भी वह प्रभाव दिखने को मिलेगा। वह कभी नहीं बदलेगा। 'उड़ान' में वह बात दिखी थी। 'लुटेरा' में वैसा दिखना लाजिमी था, क्योंकि वह पीरियड फिल्म है।

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