1984 दंगों को लेकर क्यों गुस्से में है सोहा अली ख़ान?
सोहा- हमने फ़िल्म को देश के बाहर कनाडा, अमेरिका सहित कई और जगह भी प्रमोट किया है और लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स भी मिला है।
संजय मिश्रा, मुम्बई। वीरदास और सोहा अली ख़ान अभिनीत फ़िल्म '31अक्टूबर' रिलीज़ के लिए तैयार है। ज़ाहिर है जब कोई फ़िल्म किसी संवेदनशील मसले पर बनाई जाए तो उसको लेकर कई विवाद भी सामने आते हैं।
फ़िल्म से जुड़े हर मसले पर अभिनेत्री सोहा अली ख़ान ने जागरण डॉट कॉम से बातचीत की। रियल इंसिडेंट के दिन यानी कि 31अक्टूबर 1984 का दिन सोहा को भी याद है। उन लम्हों को समेटते हुए वो बताती हैं कि -"1984 में,मैं बहुत छोटी थी तो मुझे कुछ याद नहीं लेकिन अम्मा (शर्मीला टैगोर) बतातीं है कि उन दिनों हम लोग मुम्बई से दिल्ली के करीब अपने पुश्तैनी घर पटौदी में शिफ्ट हुए थे। पटौदी में कुल तेरह सिख परिवार थे और 31अक्टूबर की उस काली रात में 13 परिवारों के सभी पुरुष मेम्बर को मार डाला गया था। पटौदी में एक गुरुद्वारा भी था उस रात गुरद्वारे में भी आग लगा दी गयी थी।" मुझे लगता है ये हमारे इतिहास में एक काला धब्बा बन कर रह गया और आज तक इस हमले से पीड़ित परिवारों को इन्साफ नहीं मिला है। पता नहीं लोग उस घटना को दंगा क्यों कहतें हैं। वो दंगा नहीं बल्कि हमला था।"
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फिल्म के बारे में वो कहती हैं- ''एक छोटे से परिवार की छोटी और सच्ची कहानी है। इस विषय पर बॉलीवुड में ये पहली फिल्म है। एक एक्शन सस्पेंस ड्रामा है।" अपने किरदार तेजिंदर के बारे में वो बताती हैं - "एक सामान्य मिडिल क्लास की कामकाजी महिला है जो तीन बच्चों की माँ भी है। वो मजबूत औरत भी है जो अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर सकती है।" किरदार को निभाने के लिए कोई रिफरेंस पूछे जाने पर वो कहती हैं - "मेरी ज़िन्दगी में तीन बच्चों की माँ तो मेरी अम्मा ही है। वैसे मुझे फ़राह ख़ान से टिप्स लेना चाहिए था।"
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फ़िल्म से जुड़े विवादों पर उनका कहना है कि - "एक फ़िल्म बनाने में बहुत पैसे लगते हैं लेकिन जब फिल्म को लेकर विवाद और सेट पर तोड़-फोड़ शुरू हो जाए तो ये मानसिक रूप से भी पूरी टीम को परेशान करता है। एक तो विषय भी नाज़ुक था। फ़िल्म पूरी हो गयी तो सेंसरबोर्ड की कैंची का सामना करना पड़ा। पहले उन्होंने फिल्म को पास करने के लिए कुल चालीस कट की बात की थी लेकिन बाद में नौ कट के साथ फिल्म को पास किया गया। नौ कट की वजह से फ़िल्म की कहानी और फिल्म पर कोई ज्यादा असर नहीं हुआ है। बाद में कुछ पी आई एल फाइल हुए फ़िल्म के खिलाफ़ उनसे निपटना पड़ा और हाल ही में ठीक रिलीज के पहले एक और पीआईएल फाइल की गयी इसकी वजह से फ़िल्म की रिलीज़ डेट को बदला गया। मुझे समझ में नहीं आता कि जब लोगों ने फ़िल्म ही नहीं देखी तो किस बात को लेकर आहत हुए हैं। फिल्म को बेहद रिस्पांसबिलिटी और सेंसिविटी को ध्यान में रखकर बनाया गया।"
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फ़िल्म की रिलीज़ डेट बदलने पर वो कहती हैं कि "एक पीआईएल फाइल होने के बाद फ़िल्म की रिलीज डेट बदल गयी तो बहुत नुकसान हो जाता है। लोग कंफ्यूज हो जातें है कि फ़िल्म आखिर रिलीज कब होगी क्योंकि फ़िल्म का नाम भी एक तारीख है। अब यह फिल्म 21अक्टूबर को रिलीज़ हो रही है।"
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उन्होंने बताया कि इस फ़िल्म को लेकर उन्होंने दिल्ली में एक कैंडल लाइट मार्च भी किया था। वो कहती हैं- "दिल्ली में हमने एक कैंडल लाइट मार्च भी किया था क्योंकि हम दिखाना चाहते थे कि इस फ़िल्म को लेकर लोगों का कितना सपोर्ट है। क्योंकि कुछ लोग कह रहे थे की सिख समुदाय इस फ़िल्म का सपोर्ट नहीं कर रहे हैं जोकि सरासर गलत बात थी। हमने फ़िल्म को देश के बाहर कनाडा, अमेरिका सहित कई और जगह भी प्रमोट किया है और लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स भी मिला है।"