लाइमलाइट में लौटी 'शहर की लड़की'
जिंदादिल, खुशमिजाज और बेफिक्र रवीना टंडन फिल्म और टीवी दोनों में ही सफल पारी खेल चुकी हैं। एक दशक पहले उन्होंने फिल्मों से ब्रेक लिया, क्योंकि वे अपनी शादीशुदा जिंदगी की बेहतरीन इनिंग खेलना चाहती थीं। हाल के बरसों में उन्होंने खुद को सीमित रूप से टीवी जगत में इंवॉल्व
जिंदादिल, खुशमिजाज और बेफिक्र रवीना टंडन फिल्म और टीवी दोनों में ही सफल पारी खेल चुकी हैं। एक दशक पहले उन्होंने फिल्मों से ब्रेक लिया, क्योंकि वे अपनी शादीशुदा जिंदगी की बेहतरीन इनिंग खेलना चाहती थीं। हाल के बरसों में उन्होंने खुद को सीमित रूप से टीवी जगत में इंवॉल्व रखा, क्योंकि वो बेटी राशा और बेटे रणबीर की परवरिश में कसर नहीं छोड़ना चाहती थीं। अब वो फिल्मों में फिर से दस्तक दे रही हैं। पहले वो ‘बॉम्बे वेलवेट’ में नज़र आएंगी। उसके बाद आएगी उनके दोस्त ओनीर की फिल्म ‘शब’। बेनजीर भुट्टो पर बन रही बायोपिक फिल्म में भी उनके होने का एलान जल्द होगा।
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रोल से बढ़कर फिल्म
‘बॉम्बे वेलवेट’ के अपने रोल को लेकर बेपरवाह रवीना कहती हैं, ‘फिल्म में मेरा कैमियो है। फिल्म में मेरे होने के बारे में बहुत शोर है। मैंने इसे मजे के लिए किया। मैं नहीं जानती कि मैं फिल्म के अंतिम संपादन में रहूंगी या नहीं। मेरा मानना है किसी के रोल से ज्यादा बढ़कर फिल्म है। रोल छोटा हो या बड़ा, उससे फर्क नहीं पड़ता। फिल्म बनाने वाले अनुराग कश्यप, मधु मंटेना को मैं दो दशक से जानती हूं। वो ‘शूल’, ‘सत्ता’ के दिनों के दोस्त हैं। हम सब साथ में बैठ एक-दूसरे के प्ले देखा करते थे। बीते बरसों में हम जब भी मिलते तो पुराने दिनों की यादें ताजा करते थे। उन्होंने कहा कि आप श्रीलंका घूमने आ जाओ। आपकी श्रीलंका सफारी हो जाएगी। हमारा फिल्म का काम हो जाएगा। मुझे व्यक्तिगत तौर पर जैज संगीत पसंद भी है और फिल्म में मुझे जैज सिंगिंग करनी थी तो ऑफर ठुकराने की कोई वजह ही नहीं थी।’
दोस्त हैं ओनीर
बेनजीर भुट्टो पर बायोपिक बनाने जा रहे निर्देशक ओनीर को रवीना अपना अच्छा दोस्त मानती हैं। ओनीर की तारीफ करते हुए वो बताती हैं, ‘बेनजीर भुट्टो पर बन रही बायोपिक के लिए बातें अंतिम चरण में हैं। जल्द ही आधिकारिक घोषणा की जाएगी। इसके अलावा ओनीर की ‘शब’ की शूटिंग पूरी की है। वो भावनात्मक रूप से हिला देने वाली फिल्म है। कहानी के केंद्र में लव ट्राइएंगल है। वो भी दो बेहद अलग-अलग तबके से ताल्लुक रखने वाले लोगों के बीच। ओनीर ने उसकी व्याख्या अपने तरीके से की है। उन्होंने दिखाया है कि प्यार को लेकर गरीब और अमीर तबके की सोच में क्या फर्क है? दोनों तबके के बीच की खाई कितनी गहरी है, उसका विश्लेषण भी फिल्म में है। पूरी कहानी दिल्ली में सेट है। मैं हाई सोसाइटी विमेन की भूमिका में हूं। ओनीर ‘दमन’ के दिनों से मेरे दोस्त हैं। वो उस प्रोजेक्ट पर कल्पना लाजिमी को असिस्ट कर रहे थे। वो जो भी प्रोजेक्ट मुझे थमाएंगे, मुझे करने में कोई परेशानी नहीं होगी। ‘शब’ को हम दरअसल दस साल पहले बनाने वाले थे, मगर मैं प्रैग्नेंट हो गई। बाद में मैंने काम से ब्रेक भी ले लिया था, पर ओनीर मेरे संग ही वो फिल्म बनाना चाहते थे।
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ताना मारते हैं शाहरुख
चार फिल्में साइन करने के बाद भी शाहरुख खान के साथ काम न कर पाने का रवीना को दुख है। वो कहती हैं, ‘शाहरुख के संग काम न कर पाने का अफसोस है मुझे। हमने चार फिल्में साइन की थीं, पर उनमें से तीन हम नहीं कर सके। ‘छइयां छइयां’ गाना भी मुझ पर ही शूट होने को था, मगर उससे ठीक पहले ‘शहर की लड़की’ गाने के चलते मैं पॉपुलर थी। उसके बाद मुझे वैसे ही ऑफर आने लगे, जबकि मैं खुद को रिपीट नहीं करना चाहती थी। लिहाजा ‘छइयां छइयां’ को मना करना पड़ा। ‘इंग्लिश बाबू देसी मेम’ इसलिए नहीं की, क्योंकि मैं छोटे कपड़ों में खुद को असहज पाती हूं, जबकि उस फिल्म में अभिनेत्री से उसी चीज की दरकार थी। ‘जादू’ तो खैर बनी ही नहीं। ‘डर’ भी मुझे इसलिए मना करनी पड़ी कि वहां भी मुझे स्विम कॉस्ट्यूम में नजर आना था, जो मुझे पसंद नहीं था। करण जौहर की ‘कुछ कुछ होता है’ को भी मना इसलिए करना पड़ा कि मैं सेकेंड लीड नहीं करना चाहती थी। उसके लिए शाहरुख आज भी मुझे ताने मारते हैं कि मैंने उनकी फिल्म नहीं की। इसका ये मतलब बिलकुल नहीं है कि हमारे रिश्तों में खटास है। मैं और शाहरुख बहुत अच्छे दोस्त हैं। वो भी इस बात को मानते हैं। वो आज भी कहते हैं कि उन्हें सबसे पहले शाह नाम से पुकारने वाली मैं ही हूं। आगे जब कभी मौका मिलेगा हम साथ काम करेंगे।
बदल रही है इंडस्ट्री
सिनेमा में हो रहे बदलाव और महिला प्रधान फिल्में बनने से भी रवीना बहुत खुश हैं। अपनी खुशी जाहिर करते हुए वो कहती हैं, ‘मैं सिनेमा के मौजूदा दौर से बहुत खुश हूं। खुशी होती है कि विमेन सेंट्रिक फिल्मों को लेकर फिल्मकारों में जबरदस्त भरोसा है। दिबाकर, अनुराग, राकेश ओमप्रकाश मेहरा जैसे फिल्मकार इंडस्ट्री के लिए वरदान हैं। वो सब कमाल की फिल्में बना रहे हैं। साथ ही सितारे भी लीक से हटकर बन रही कहानियों को पूरा समर्थन दे रहे हैं। ‘दम लगा के हईशा’ जैसी फिल्मों की सफलता दर्शाती है कि फिल्म की कहानी दमदार हो तो आपको सितारे और प्रमोशन पर करोड़ों फूंकने की जरूरत नहीं है। अभिनेत्रियां कमाल का काम कर रही हैं। कंगना रनोट को तो मैंने ‘फैशन’ देखकर ही कह दिया था कि ये बंदी बहुत आगे जाएगी। अनुष्का शर्मा ने ‘एनएच 10’ में क्या परफॉर्मेंस दी है।’अमित कर्ण