डॉन को अब भी मुश्किलों से जूझने में मज़ा आता है, क्यों, बता रहे हैं शाहरुख़
शाहरुख़ इस बात को स्वीकारते हैं कि उनका ज़ीरो का किरदार जैसा है, लोग उससे सिम्पथी नहीं करेंगे.
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई. शाहरुख़ खान ने ज़ीरो जैसी फिल्म को कई कारणों से हां कहा, जिसमें एक वजह भी रही. शाहरुख़ खान कहते हैं कि यह बहुत मुश्किल है कि आप अपने आप को पैसे, शोहरत तक खुद को सीमित करके रख सकें.
शाहरुख़ खान कहते हैं कि उनकी अम्मी कहती थीं कि चांदी के प्लेट में खाने से सबकुछ नहीं हो जायेगा. शाहरुख़ कहते हैं कि यही वजह है कि मैं वह करता रहूँ, जिससे मुझे 25-30 से पहले ख़ुशी मिलती थीं. चूंकि यह जरूरी है कि आपको शुरुआत वाला उत्साह बरक़रार रखना पड़ता है. शाहरुख़ कहते हैं कि मेरे लिए अच्छा रहता कि मैं हीरो जैसा अच्छे कपड़े पहन लेता, डांस कर लेता. लेकिन मुझे भी ऐसा लगना चाहिए कि अगर शाम में मैं वापस आऊं और मेरा परिवार मुझसे पूछे तो मेरे पास कुछ बताते के लिए हो कि मैंने कुछ नया किया है. इसलिए उस उत्साह को बना कर रखने के लिए मेरा कुछ अलग और उत्साहजनक करते रहना जरूरी है. इसलिए मेरे लिए चैलेंज होता है कि मैं कुछ नया करूं. कभी कभी वह आसान भी होता है. कभी कठिन भी होता है. लेकिन मुझे खुद को कठिन काम देना और चैलेंज करना पसंद आता है.
बता दें कि शाहरुख़ खान के बारे में आनंद एल राय ने कहा है कि शाहरुख़ खान को कठिन चीजें करना और खुद को चैलेंज करना पसंद है और इसलिए वह लगातार चैलेंजिंग किरदार निभा रहे हैं. फिल्म में शाहरुख़ खान ने खुद को बौने के रूप में दर्शाया है और फिल्म को लेकर वह बेहद उत्साहित है. ज़ीरो फिल्म 21 दिसंबर को रिलीज़ होगी.
शाहरुख़ इस बात को स्वीकारते हैं कि उनका ज़ीरो का किरदार जैसा है, लोग उससे सिम्पथी नहीं करेंगे. कई लोगों को नाराज़गी भी हो सकती है इस बात से कि वह शुरू से मतलबी है. हम जब यह फिल्म बना रहे थे कि इस बात का ध्यान था कि हम बराबरी की बात करता है. फिल्म में अनुष्का, बउआ को इसलिए पसंद करती है, क्योंकि वह उससे सिम्पथी नहीं दिखाता है. इस फिल्म में हमारे किरदार पर हम कहीं नहीं चाहेंगे कि दर्शक तरस खाएं, बेचारगी से देखें, बल्कि उनको बराबरी में ही दिखाना होगा.
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