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Exclusive: भंसाली के लिए रणवीर ने इस एक्टर से खाये 24 थप्पड़ और उफ़ तक नहीं की

रज़ा बताते हैं कि एक सीन में जहां मैं....गाल पर थप्पड़ मारता हूं, भंसाली को वह सीन पसंद नहीं आ रहा था।

By Manoj KhadilkarEdited By: Published: Thu, 25 Jan 2018 05:52 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jan 2018 05:52 PM (IST)
Exclusive: भंसाली के लिए रणवीर ने इस एक्टर से खाये 24 थप्पड़ और उफ़ तक नहीं की
Exclusive: भंसाली के लिए रणवीर ने इस एक्टर से खाये 24 थप्पड़ और उफ़ तक नहीं की

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। संजय लीला भंसाली टफ टास्क मास्टर हैं। यह बात जगजाहिर है कि वह अपनी फिल्मों में किरदारों को लेकर कितनी डिटेलिंग करते हैं। संजय भंसाली के साथ काम चुके सभी कलाकारों का मानना है कि भंसाली के साथ काम करना इतना आसान नहीं है। यही वजह है कि भंसाली बार-बार अपने कलाकारों को अगली फिल्मों में दोहराते नहीं हैं। लेकिन अगर वह दोहराते हैं तो कलाकार यह मानते हैं कि उनका अभिनय अपने निर्देशक को संतुष्ट कर पा रहा है।

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दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ने संजय लीला भंसाली के साथ अपनी हैट्रिक पूरी की है, गोलियों की रासलीला रामलीला , बाजीराव मस्तानी और अब पद्मावत के जरिये। मजेदार बात यह है कि इन दोनों कलाकारों के अलावा एक और कलाकार भी हैं, जिन्होंने भंसाली के साथ अपनी हैट्रिक पूरी की है और वह है रज़ा मुराद। रज़ा  मुराद ने जागरण डॉट कॉम से बातचीत में संज़य लीला भंसाली के साथ अपनी तीन फिल्मों के सफर के अनुभव को साझा करते हुए कई दिलचस्प बातें शेयर की हैं। आसान नहीं है भंसाली के साथ सफर रजा मुराद बताते हैं “मैं ही दीपिका और रणवीर के अलावा अकेला कैरेक्टर आर्टिस्ट हूं, जिसको भंसाली साहब ने तीसरी बार अपनी फिल्म में काम करने का मौका दिया है।“

 

रज़ा  भंसाली के साथ अपने अनुभव के बारे में बताते हैं कि भंसाली के वह फिल्म इंस्टीटयूट में सीनियर रहे हैं लेकिन उनकी फिल्मों में भंसाली ने उन्हें उस लिहाज से कास्ट नहीं किया है, बल्कि वह भंसाली के मुताबिक किरदारों में फिट बैठते हैं। रजा कहते हैं मैं उनका सीनियर हूं, तो मैं खुद यह कोशिश करता हूं कि कोई गलती न करूं और उनकी हर बात को समझ कर अपना बेस्ट दूं। भंसाली एक सीन में और एक बार में संतुष्ट होने वालों में से नहीं हैं। वह हर सीन के कई टेक लेते हैं और हर एंगल से लेते हैं। ऐसे में आपको हर टेक में उस इमोशन को लगातार होल्ड करके रखना होता है। यह नहीं कि बस दो चार बार हो गया तो हो गया। अगर वह चालीस टेक भी लें तो आपको खुद को होल्ड करना होता है, इसलिए उनके साथ शुरुआत में अच्छे अच्छे कलाकार दो तीन दिन तो मैच करने में और माहौल समझने में लग जाते हैं ।

रज़ा कहते हैं कि राजकपूर के बाद उन्हें भंसाली ही वह निर्देशक नजर आते हैं जो कि अपने काम को लेकर इस तरह रमे रहते हैं कि उन्हें दुनिया की कोई फिक्र नहीं होती है। काम के वक्त भंसाली बहुत कम बोलते हैं और तमाम तैयारी के बावजूद जो उन्हें करना होता है, वह सेट पर ही करते हैं ।

रणवीर को मारे थप्पड़

रणवीर सिंह के साथ रजा मुराद के फिल्म पद्मावत में ज्यादातर सीन हैं। रज़ा  बताते हैं कि एक सीन में जहां मैं रणवीर को गाल पर थप्पड़ मारता हूं, भंसाली को वह सीन पसंद नहीं आ रहा था। वह संतुष्ट नहीं हो पा रहे थे और लगातार टेक ले रहे थे। मुझे लग रहा था कि मैं रणवीर को कितनी बार मारूं. लेकिन रणवीर ने रजा को कहा कि आप कुछ न सोचें। पूरी फोर्स लगा दें और शक्ति से मुझे मारें। सीन रियल लगनी चाहिए। रजा कहते हैं कि उन्होंने लगभग 24 थप्पड़ मारे तब जाकर भंसाली संतुष्ट हुए थे। वह रणवीर की तारीफ करते हुए कहते हैं कि रणवीर ने उफ़ तक नहीं की थी । सेट पर रणवीर कभी स्टारडम को लेकर नहीं आते.

खंजर वाले सीन को लोहे का जैकेट पहना दिया

रज़ा बताते हैं कि एक सीन में जहां रणवीर सिंह मेरा कत्ल करते हैं । उस सीन में हमने जो खंजर का इस्तेमाल किया है उसे लेकर भंसाली के मन में बात थी कि कहीं वह मुझे लग न जाये तो उन्होंने मेरे लिए लोहे का एक कवच बनवा दिया था और साथ ही में पैड्स भी डलवा दिये थे, जिसे पहन कर मैं सुरक्षित रहूं ।

राजकपूर की फिल्मों के फैन

रज़ा बताते हैं कि भंसाली साहब राजकपूर की फिल्मों के फैन हैं । जब पहली बार राम लीला में रजा मुराद के पास वह कास्टिंग निर्देशिका श्रुति महाजन के साथ गए तो उस वक्त उन्होंने राज कपूर की फिल्में प्रेम रोग और राम तेरी गंगामैली की खूब बातचीत की थी। इत्तेफाक से इन दोनों फिल्मों में मुख्य विलेन रजा मुराद ही थे। मुगलएआजम को लेकर भी वह खूब बातें करते हैं।


दीपिका और रणवीर का 100 प्रतिशत

रज़ा बताते हैं कि रणवीर और दीपिका भंसाली के साथ काम करते हुए एक्टर होते हैं। वह स्टारडम लेकर नहीं आते। दोनों अपना 100 प्रतिशत देते हैं। दोनों कम बातें करते हैं क्योंकि उन्हें भंसाली की शैली समझ आ ग़यी है। रणवीर सेट पर आते ही सीरियस हो जाते थे और अलाउद्दीन खिलजी का किरदार खुद ओढ़ लेते थे।


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