Ranvir Shorey ने बयां की अपनी कहानी, 'इन लोगों ने मेरे साथ भी ऐसा ही किया था, मैं इसलिए बच गया क्योंकि...'
रणवीर फिलहाल सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं। एक्टर की बीते दिनों डायरेक्टर अनुराग कश्यप से भी बहस हो चुकी है।
नई दिल्ली, जेएनएन। बॉलीवुड में लंबे समय से चली आ रही नेपोटिज़्म पर डिबेट को हवा दी है सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने। यूं तो इंडस्ट्री में भेदभाव और भाई-भतीजेवाद का मुद्दा कई बार उठ चुका है। लेकिन पिछले करीब एक महीने से ये मुद्दा काफी गर्म है। क्योंकि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद फैंस ने इस मुद्दे को फिर उठाया, और सोशल मीडिया से शुरु हुआ ये मुद्दा इंडस्ट्री के अंदर तक पहुंच गया।
नेपोटिज़्म को लेकर पिछले एक महीने में कई स्टार्स के बयान सामने आ चुके हैं। कुछ ने अपनी आप बीती बताई है तो कुछ ने इसका विरोध किया है। इस बीच बॉलीवुड एक्टर रणवीर शौरी ने अपनी कहानी बयां की है जब उन्हें भी इंडस्ट्री में रहकर भेदभाव का शिकार होना पड़ा था।
रणवीर शौरी ने बयां कि अपनी कहानी :
रणवीर फिलहाल सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं। एक्टर की बीते दिनों डायरेक्टर अनुराग कश्यप से भी बहस हो चुकी है। रणवीर सोशल मीडिया के जरिए अपनी करियर की डार्क साइड पर खुलकर बात कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने अपने पुरानी दिनों को याद करते हुए कुछ चौंकाने वाली बातें बताई, जब वो एक दम अकेले हो गए थे, और देश तक छोड़ने पर मजबूर हो गए थे।
‘मैं किसी का नाम नहीं ले सकता’
दरअसल, ट्विटर पर रणवीर से एक यूजर ने कमेंट करते हुए कहा कि, 'कृपया नाम बताएं, अगर आप नाम नहीं बता सकते तो दो नाव पर सवार मत होइए। इसलिए बाहर आइए और नाम बताइए जैसे कंगना खुलकर बोलती हैं’। इस ट्वीट के जवाब में रणवीर ने लिखा, ‘मैं किसी का भी नाम नहीं ले सकता क्योंकि उनके अपराध को साबित करने के लिए मेरे पास सबूत नहीं हैं। लेकिन मैं इन मुद्दों पर इसलिए बोला, क्योंकि इंडस्ट्री में रहते हुए मैं भी इन सारी चीज़ों से ग़ुजरा हूं। अकेला छोड़ देना, उल्टी सीधी बातें बोलना, मीडिया में झूठी खबरें फैलाना। साल 2003 से 2005 तक मैं उन लोगों की वजह से ट्रॉमा में रहा हूं जो इसमें शामिल हैं। उस वक्त मैं बुरी तरह टूट गया था। लेकिन सिर्फ मैं इसलिए बचा रहा क्योंकि मेरा साथ परिवार और दोस्त थे। मुझे तो देश तक छोड़ना पड़ गया था क्योंकि मेरे खिलाफ खराब महौल बना दिया गया था। ये इत्तेफाक था? नहीं, जानबूझकर किया गया? ‘हां’। तब मैं सिर्फ 33 साल का था'।
The despair I went through at the time was enough to break me, but I survived thanks to my family and a few friends. I even had to leave the country because of how toxic the environment got for me.
Coincidence? No.
Modus operandi? Yes.— Ranvir Shorey (@RanvirShorey) July 22, 2020