'पद्मावत' के बाद अलाउद्दीन खिलजी का 'मतलब' होगा रणवीर सिंह, देखिए 5 यादगार किरदार
पदमावत के ट्रेलर में अगर किसी किरदार ने सबसे अधिक प्रभावित किया तो वो खिलजी ही है। खिलजी के व्यक्तित्व के गुणों और अवगुणों को कामयाबी के साथ रणवीर ने उभारा है।
मुंबई। दिल्ली सल्तनत के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की जो तस्वीर इतिहास रचता है, वो तो आपने देखी और पढ़ी होगी। हो सकता है कि खिलजी की शख़्सियत को लेकर वो तस्वीर आपको कंफ्यूज़ करती हो, मगर निर्देशक संजय लीला भंसाली ने खिलजी की जो तस्वीर उकेरी है, वो आपको कतई असमंजस में नहीं डालेगी।
इस तस्वीर की झलक देखकर आप समझ गये होंगे कि अलाउद्दीन खिलजी विलासिता, अय्याशी, कूरता और हैवानियत की मूरत था। अगर खिलजी की यही तस्वीर आपको असली लगती है तो पीठ थपथपाइए, पर्दे के खिलजी यानि रणवीर सिंह की, जिन्होंने अपनी ज़बर्दस्त अदाकारी के दम से कल्पनाओं में बसे खिलजी को एक शरीर दे दिया है। पद्मावत के बाद जब भी खिलजी की बात चलेगी, यक़ीन मानिए आपके ज़हन में भंसाली के इस खिलजी की ही तस्वीर कौंधेगी। भले ही वो तस्वीर मलिक मुहम्मद जायसी के पद्मावत से ही क्यों ना उठायी गयी हो। खिलजी पहले भी छोटे और बड़े पर्दे पर आते रहे हैं, मगर इतनी शिद्दत से कोई नहीं आया कि आपकी नफ़रत का हक़दार बन जाए। रणवीर सिंह के फ़िल्मी करियर का ये एक और यादगार किरदार है।
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इसमें कोई शक़ नहीं कि रणवीर बेहतरीन एक्टर हैं और किरदार में समा जाने की उनकी ललक और मेहनत पर्दे पर दिखती भी है। पदमावत के ट्रेलर में अगर किसी किरदार ने सबसे अधिक प्रभावित किया तो वो खिलजी ही है। खिलजी के व्यक्तित्व के गुणों और अवगुणों को कामयाबी के साथ रणवीर ने उभारा है। हालांकि, भंसाली जैसा डायरेक्टर हो तो ऐसी परफॉर्मेंस देना मुश्किल नहीं होता, मगर इससे कलाकार का क्रेडिट कम नहीं किया जा सकता। बहरहाल, खिलजी से पहले भी रणवीर अपनी भूमिकाओं से चौंकाते रहे हैं। पर्दे के इस पार अक्सर हल्के-फुल्के अंदाज़ में रहने वाले रणवीर का उस पार ट्रांस्फॉर्मेशन उन्हें गंभीर कलाकार भी दर्शाता है। रणवीर की अभिनय क्षमता के 5 नमूने-
बैंड बाजा बारात:
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2010 में रणवीर ने यशराज बैनर की फ़िल्म बैंड बाजा बारात से बॉलीवुड में डेब्यू किया। दिल्ली के बड़बोले लेकिन बिन्नेस माइंडेड लड़के के किरदार में रणवीर इस तरह समाए कि लगा ही नहीं पहली फ़िल्म है। एक-एक सीन में उनका आत्मविश्वास किरदार को विश्वसनीय बना रहा था। बैंड बाजा बारात से ही अंदाज़ा हो गया कि बॉलीवुड में रणवीर लंबा टिकने वाले हैं।
लुटेरा:
इस पीरियड फ़िल्म में रणवीर ने एक शातिर ठग या चोर का किरदार प्ले किया। रणवीर की ये तीसरी फ़िल्म थी और उनके पिछले किरदारों से एकदम अलग। पीरियड फ़िल्में करना वैसे भी आसान नहीं होता। एक निश्चित दौर में ख़ुद को स्थापित करना और उस समय के हिसाब से अपने हाव-भाव और शारीरिक भंगिमाओं में बदलाव करना, थोड़ा मुश्किल होता है, पर रणवीर ने लुटेरा टेस्ट भी पास कर लिया। इस फ़िल्म के बाद उनकी विश्वसनीयता में इजाफ़ा हुआ।
गोलियां की रासलीला रामलीला:
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संजय लीला भंसाली के साथ रणवीर की ये पहली फ़िल्म थी। उन्होंने गुजराती गैंगस्टर का किरदार प्ले किया। ये किरदार भी नया था, लेकिन रणवीर को आशिक़मिज़ाज गुजराती गैंगस्टर के रूप में पर्दे पर देखकर बिल्कुल नहीं लगा कि उनकी जगह किसी और कलाकार को इस रोल के लिए चुनना चाहिए था।
गुंडे:
एक बार फिर यशराज बैनर और पीरियड ड्रामा में रणवीर की वापसी हुई। अली अब्बास ज़फ़र की गुंडे 70 और 80 के दशक में सेट फ़िल्म थी, जिसमें रणवीर ने कोयला माफ़िया का किरदार निभाया। कहानी का ज़्यादातर भाग पश्चिल बंगाल में सेट किया गया था। रणवीर के सामने एक बार फिर भिन्न मिज़ाज और पृष्ठभूमि का किरदार था, मगर उन्हें इसे निभाने में कोई दिक्कत पेश नहीं आयी। फ़िल्म रणवीर, अपने को-एक्टर अर्जुन कपूर पर भारी पड़े।
बाजीराव मस्तानी:
संजय लीला भंसाली के साथ रणवीर की ये दूसरी फ़िल्म थी। मराठा पेशवा बाजीराव और मस्तानी की प्रेम कहानी: पर आधारित फ़िल्म में अपने किरदार के लिए रणवीर ने मुंडन करवाया। इस ऐतिहासिक मराठी किरदार को निभाने के लिए रणवीर ने अपनी भाषा से लेकर बॉडी लैंग्वेज पर ख़ूब काम किया और कामयाबी के साथ पर्दे पर पेश किया। बाजीराव के रूप में रणवीर ने क्रिटिक्स से लेकर आम दर्शक तक को प्रभावित किया।