सुनहरी याद बनकर जाएगा राज कपूर का RK Studio, इस डर से परिवार ने किया बेचने का फ़ैसला
पिछले साल सितम्बर के महीने में स्टूडियो में आग लग गयी थी, जिसमें भारी मात्रा में नुक़सान हुआ था। इसके बाद से स्टूडियो की हालत बदतर हो चली थी।
मुंबई। हिंदी सिनेमा की कई क्लासिक फ़िल्मों का गवाह रहा आइकॉनिक RK Studio कुछ महीनों बाद बस एक सुनहरी याद बनकर रह जाएगा। कपूर भाइयों ने इसे बेचने का फ़ैसला किया है। घटती आमदनी, बढ़ते ख़र्च और रखरखाव में मुश्किल को देखते हुए कपूर परिवार ने भारी मन से यह फ़ैसला किया है। मीडिया रिपोर्ट्स में ऋषि कपूर के हवाले से यह भी कहा गया है कि भविष्य में बच्चों के बीच जायदाद को लेकर क़ानूनी जंग से बचने के लिए भी यह फ़ैसला किया गया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, स्टूडियो बेचने के लिए अभी कोई डेडलाइन सेट नहीं की गयी है, लेकिन कपूर परिवार ने प्रॉपर्टी के जानकारों की एक टीम को यह काम सौंप दिया है, जो मुंबई के चैम्बूर इलाक़े में 2 एकड़ में फैले स्टूडियो की क़ीमत का आंकलन करके रियल एस्टेड कारोबारियों, डेवलपर्स और कॉर्पोरट घरानों से संपर्क करके सौदा करेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कपूर परिवार ने यह फ़ैसला पूरे सोच-विचार के साथ लिया है। राज कपूर के तीनों बेटे रणधीर कपूर, ऋषि कपूर और राजीव कपूर के अलावा दोनों बेटियों रीमा जैन और रितु नंदा की स्वीकृति इसमें शामिल है।
बताते चलें कि पिछले साल सितम्बर के महीने में स्टूडियो में आग लग गयी थी, जिसमें भारी मात्रा में नुक़सान हुआ था। इसके बाद से स्टूडियो की हालत बदतर हो चली थी। हालांकि सूत्र बताते हैं कि कपूर परिवार ने स्टूडियो को नई तकनीक और सुविधाओं से सुसज्जित करके फिर से खड़ा करने पर भी विचार किया था, मगर व्यवहारिक रूप से ऐसा करना मुश्किल लगा। स्टूडियो का नवीनीकरण करने के बाद भी इससे उतनी आमदनी होने की उम्मीद नहीं थी, लिहाज़ा परिवार को यह मुश्किल निर्णय लेना पड़ा है।
पिछले कुछ सालों से आरके स्टूडियो में फ़िल्मों की शूटिंग बेहद कम हो गयी थी। कुछ टीवी धारावाहिक और विज्ञापन फ़िल्मों की शूटिंग के दम पर ही स्टूडियो चल रहा था। दरअसल, फ़िल्ममेकर्स इन दिनों मुंबई के अंधेरी इलाक़े में स्थित स्टूडियो को प्राथमिकता देते हैं। टीवी धारावाहिकों और फ़िल्मों के ज़्यादातर सेट्स गोरेगांव स्थित फ़िल्मसिटी में ही लगाए जाते हैं। मुंबई के मनोरंजन उद्योग के नक्शे पर चैम्बूर थोड़ा अलग-थलग पड़ता है, जिसकी वजह से आरके स्टूडियो की आमदनी में उल्लेखनीय रूप से गिरावट आयी और कपूर परिवार को इसका ख़र्च उठाना भारी पड़ने लगा।
मीडिया रिपोर्ट्स में ऋषि कपूर के हवाले से यह भी कहा गया है कि उन तीनों भाइयों के बीच बांडिंग काफ़ी अच्छी है, मगर आने वाली पीढ़ियों के बीच इस प्रॉपर्टी को लेकर अगर मनमुटाव हो गया और कोर्ट-कचहरी की नौबत आ गयी तो यह अच्छा नहीं होगा। ऐसा तो ख़ुद राज कपूर नहीं चाहते।
1948 में रखी गयी थी आरके स्टूडियो की बुनियाद
हिंदी सिनेमा के पहले शो-मैन राज कपूर ने 70 साल पहले 1948 में आरके फ़िल्म्स एंड स्टूडियो की नींव रखी थी। इस स्टूडियो के बैनर तले बनायी गयी पहली फ़िल्म आग फ्लॉप रही थी, मगर दूसरी फ़िल्म बरसात को बड़ी कामयाबी मिली थी। स्टूडियो का नाम राज कपूर के नाम पर रखा गया था। स्टूडियो का लोगो बरसात में राज कपूर और नर्गिस के पोज़ से प्रेरित है, जो बरसात के पोस्टर्स पर भी नज़र आया था। इस पोज़ में नर्गिस राज कपूर की बारों में झूल रही हैं। आर स्टूडियो ने कई कल्ट और क्लासिक फ़िल्मों का निर्माण किया है। आग, बरसात, आवारा, श्री 420, संगम, मेरा नाम जोकर, बॉबी और राम तेरी गंगा मैली फ़िल्में शामिल है।
...जब गिरवी रखना पड़ा था स्टूडियो
राज कपूर ने अपने करियर में कई बड़ी कामयाब फ़िल्में दी हैं, मगर एक वक़्त ऐसा भी आया, जब उन्हें आरके स्टूडियो गिरवी रखना पड़ा। दरअसल, मेरा नाम जोकर राज कपूर की महत्वाकांक्षी फ़िल्म थी, जिसे बनाने के लिए उन्हें उन्होंने बेहिसाब पैसा ख़र्च किया और इसके लिए आरके स्टूडियो गिरवी रखना पड़ा। रिलीज़ के बाद मेरा नाम जोकर बड़ी असफलता साबित हुई, जिससे राज कपूर को गहरा सदमा पहुंचा। बाद में ऋषि कपूर को लांच करने के लिए बनाई बॉबी की अपार सफलता से राज कपूर ने आरके स्टूडियो का कर्ज़ चुकाया था।
मशहूर थी आरके स्टूडियो की होली
राज कपूर के ज़माने में आरके स्टूडियो की होली काफ़ी लोकप्रिय हुआ करती थी। होली का त्योहार स्टूडियो में ज़ोर-शोर से मनाया जाता था। बड़े-बड़े हौजों में रंग भरा रहता था और संगीत की महफ़िल सजती थी। राज कपूर ख़ुद रंग से सराबोर होकर ढोलक हारमोनियम पर होली के गीत गाते थे। हिंदी सिनेमा की तमाम दिग्गज हस्तियां इस होली में शामिल होकर अपनेपन के रंग को और गाढ़ी करती थीं। राज कपूर के बाद आरके स्टूडियो की होली बंद हो गयी, मगर गणेश चतुर्थी पर गणपति विराजने की परम्परा तीनों कपूर भाइयों ने जारी रखी और हर साल यहां गणपति की स्थापना की जाती रही है।