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World Environment Day: वन्य जीव समझते हैं प्यार की भाषा: पुलकित सम्राट

हाथियों साथ दोस्ती करने में मुझे कोई दिक्कत परेशानी नहीं आई। जानवर कोई भी हो वह मिलनसार होते हैं। हम उन्हें प्यार देंगे तो वे हमें उतने ही प्यार से स्वीकार करते हैं।

By Priti KushwahaEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 08:28 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 08:30 AM (IST)
World Environment Day: वन्य जीव समझते हैं प्यार की भाषा: पुलकित सम्राट
World Environment Day: वन्य जीव समझते हैं प्यार की भाषा: पुलकित सम्राट

नई दिल्ली, जेएनएन। आने वाली फिल्म 'हाथी मेरे साथी' के लिए लॉकडाउन से पहले जंगलों में हाथी के साथ शूटिंग को दिलचस्प अनुभव बताते हैं पुलकित सम्राट। उनका कहना है कि यह फिल्म मनोरंजन के साथ ही देगी पर्यावरण संरक्षण की सीख फिल्म 'हाथी मेरे साथी' के बारे में बताएं? यह फिल्म जंगल और हाथियों के संरक्षण की बात करती है। उत्तर पूर्व और दक्षिण भारत में व्यवसायीकरण होने के नाते जंगल काटे जा रहे हैं इससे पर्यावरण और वन्यजीवों बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। इस फिल्म के लिए मेरी पहली बातचीत निर्देशक प्रभु सोलोमन के साथ हुई थी।

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उन्हें जंगल और जानवरों के बारे में बखूबी जानकारी है। उन्हें पता है कि जंगल में क्या खाना चाहिए और कौन सी नदी का रास्ता कहां निकलता हैं। उनके साथ काम करने को लेकर मैं बहुत उत्साहित था। मुझे भी वन्यजीवों से लगाव है। मैं उम्मीद करता हूं कि इस फिल्म से लोगों के मनोरंजन के साथ-साथ कुछ सीख भी मिले। उन्हें समझ आए कि हम पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हम एक साथ मिलकर इसे सुधार भी सकते हैं। हाथियों के साथ शूटिंग का कैसा अनुभव रहा?

दिलचस्प बात यह है कि जब हाथियों साथ शूटिंग की तारीख मिलती उसके बाद हमसे डेट के लिए पूछा जाता था। इस फिल्म के ज्यादातर हिस्से केरल, कोच्चि और मुन्नार में शूट किए गए हैं। थोड़े हिस्से की शूटिंग थाइलैंड में भी हुई है। हाथियों साथ दोस्ती करने में मुझे कोई दिक्कत परेशानी नहीं आई। जानवर कोई भी हो वह मिलनसार होते हैं। हम उन्हें प्यार देंगे तो वे हमें उतने ही प्यार से स्वीकार करते हैं। जानवर तभी हम पर हमला करते हैं जब वह हमसे डरते हैं। अपने पालतू कुत्ते ब्रो और फिल्म के हाथी ऊनी में मुझे कोई भी अंतर नहीं दिखा। दोनों मेरी बातें ध्यान से सुनते हैं। 'फुकरे' जून में पांच साल पूरे कर रही है। उससे जुड़ी क्या यादें रही है?

बीते पांच वर्षों में 'फुकरे' के प्रशंसकों की संख्या बढ़ी है। इसके ऊपर एक कार्टून सीरीज बन चुकी है। हमारा किरदार चाचा चौधरी कॉमिक्स में भी जुड़ चुका है। यह बहुत सफल फ्रेंचाइजी थी। इसलिए हम जब भी किसी नए भाग से आते हैं तो हम काफी डरे होते हैं। अगला भाग पहले से अच्छा होने का दबाव रहता है। सच कहूं तो 'फुकरे' एक परिवार है। वह फुकरे जैसी फिल्म को आसान बनाता है।


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