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ओम पुरी का आखिरी इंटरव्यू, कहा था- दुनिया छोड़ने के बाद दिखेगा मेरा योगदान..

निजी जीवन और सार्वजनिक जीवन में भी उनके साथ कई विवाद जुड़े रहे। लेकिन, यह भी सच है कि ओम पुरी अपने अंतिम समय तक अपने काम और शब्दों को लेकर निडर रहे।

By Hirendra JEdited By: Published: Sat, 07 Jan 2017 09:02 AM (IST)Updated: Sat, 07 Jan 2017 09:14 AM (IST)
ओम पुरी का आखिरी इंटरव्यू, कहा था- दुनिया छोड़ने के बाद दिखेगा मेरा योगदान..

मुंबई। लगता है जैसे ओम पुरी को अपनी मौत का अंदाजा हो गया था? क्योंकि मौत से एक रात पहले ही इस कलाकार ने एक इंटरव्यू में खुद कहा कि मेरे जाने के बाद मेरा योगदान याद किया जाएगा। उन्होंने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कुछ इस तरह की बात की थी। उन्होंने कहा था कि उनका योगदान दुनिया छोड़ने के बाद नजर आएगा।

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ओम पुरी ने 23 दिसंबर, 2016 को एक होटल में दिए अपने एक इंटरव्यू में कहा, "मेरे दुनिया छोड़ने के बाद, मेरा योगदान दिखेगा और युवा पीढ़ी में विशेष रूप से फिल्मी छात्र मेरी फिल्में जरूर देखेंगे' 66 वर्षीय अभिनेता का शुक्रवार सुबह घर में ही दिल का पड़ने से निधन हो गया। समानांतर सिनेमा से लेकर व्यावसायिक सिनेमा में अपने अभिनय की छाप छोड़ चुके ओम पुरी ने उस बातचीत में कहा, "मेरे लिए वास्तविक सिनेमा 1980 और 1990 के दशक का था, जब श्याम बेनेगल, गोविंद निहलानी, बासु चटर्जी, मृणाल सेन और गुलजार जैसे फ़िल्म -निर्देशकों ने उल्लेखनीय फ़िल्में बनाईं'।

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ओम पुरी ने अपने इंटरव्यू में कहा, 'सिनेमा दो प्रकार के होते हैं। एक सिर्फ मनोरंजन के लिए और दूसरा दिल छूने के लिए। दोनों का अपना उद्देश्य है.' जब वह राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम के अध्यक्ष थे, तब उन्होंने सार्थक फिल्मों को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने हाल ही वे 'घायल वन्स अगेन' और 'मिर्जिया' जैसी बॉलीवुड फ़िल्म और पाकिस्तानी फ़िल्म 'एक्टर इन लॉ' जैसी फ़िल्मों में नज़र आए। ओम पुरी ने हॉलीवुड एनिमेशन फ़िल्म 'जंगल बुक' में बघीरा नामक किरदार को अपनी आवाज भी दी थी जिसे खासा पसंद किया गया। उन्हें वर्ष 1990 में भारत के चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

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वर्ष 2004 में उन्हें ब्रिटिश फिल्म उद्योग की सेवाओं के लिए ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर का मानद अधिकारी बनाया गया था। फ़िल्मों की उनकी उनकी यात्रा हमेशा शानदार रही है। उनके साथ निजी जीवन और सार्वजनिक जीवन में भी कई विवाद जुड़े रहे। लेकिन, यह भी सच है कि ओम पुरी अपने अंतिम समय तक अपने काम और शब्दों को लेकर निडर रहे।


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