सिनेमा में बढ़ती सात बहनें
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में बिखरा प्राकृतिक सौंदर्य इन दिनों फिल्मकारों को लुभा रहा है। फिल्म भेड़िया शूटिंग अरुणाचल प्रदेश में हुई। रितिक रोशन फिल्म फाइटर की शूटिंग असम में कर रहे है। पूर्वोत्तर की कहानियों व कलाकारों में फिल्मकारों की रुचि की पड़ताल कर रहे हैं दीपेश पांडेय...
दीपेश पांडेय
भारत के मानचित्र में उत्तर-पूर्व में स्थित सात बहनों के नाम से चर्चित राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और वर्ष 1975 में िवलय स्वीकार करने वाले सिक्किम का सांस्कृतिक व प्राकृतिक सौंदर्य अद्वितीय है, पर अभी तक वहां की कहानियों पर आधारित चुनिंदा फिल्में ही बनी हैं। देव आनंद और वैजयंती माला अभिनीत फिल्म ज्वैल थीफ (1967) की शूटिंग सिक्किम में की गई। उसके बाद शाह रुख खान अभिनीत फिल्मों कोयला (1997) को अरुणाचल प्रदेश व दिल से (1998) को असम में शूट किया गया था। फरहान अख्तर और श्रद्धा कपूर अभिनीत फिल्म राक आन (2016) मेघालय व कंगना रनोट व शाहिद कपूर की फिल्म रंगून (2017) की शूटिंग अरुणाचल प्रदेश में की गई थी।
हिंदी सिनेमा के सौ वर्ष से अधिक के इतिहास और हर वर्ष बनने वाली फिल्मों की संख्या के परिप्रेक्ष्य में पूर्वोत्तर से संबंधित फिल्मों की संख्या बहुत छोटी प्रतीत होती है। बीते कुछ वर्षों में पूर्वोत्तर और वहां की कहानियों के प्रति हिंदी सिनेमा की रुिच बढ़ती नजर आ रही है। इस वर्ष प्रदर्शित वेब सीरीज मिथ्या, फिल्म अनेक, भेड़िया की शूटिंग भी पूर्वोत्तर भारत में ही हुई। इनमें वहां की मोहक लोकेशंस, कहानियां और संस्कृतियां भी दिखाई गईं। अभिनेता रितिक रोशन असम के एक एयरबेस पर अपनी आगामी फिल्म फाइटर की शूटिंग कर रहे हैं। इसमें भी पूर्वोत्तर भारत कहानी का अहम हिस्सा होगा। वेब सीरीज पाताल लोक के दूसरे सीजन की कहानी में भी पूर्वोत्तर के दृश्यों और कलाकारों की भागीदारी की चर्चा है।
यूरोप जैसा सौंदर्य: आयुष्मान खुराना ने अपनी फिल्म अनेक की शूटिंग असम में की थी। आयुष्मान कहते हैं, ‘देश के पूर्वोत्तर राज्यों में शूटिंग और हिंदी सिनेमा से उनका जुड़ाव बहुत आवश्यक है। शिलांग को तो पूर्व का स्काटलैंड कहा जाता है। वहां के स्थानीय लोगों के पहनावे से लेकर, संगीत, शिल्प और फिटनेस सब कुछ बिल्कुल अलग है। उनके समावेश से हमारा सिनेमा समृद्ध होगा।’ वहीं फिल्म भेड़िया के अभिनेता और कास्टिंग डायरेक्टर अभिषेक बनर्जी कहते हैं, ‘हमें जिस तरह के घने जंगल की आवश्यकता थी, उसकी तलाश अरुणाचल प्रदेश में ही पूरी होती है। यह फिल्म वहां की लोक कथाओं को साथ लेकर चलती है। हमारे निर्देशक अमर कौशिक बचपन में अरुणाचल प्रदेश में रहे हैं। वह वहां की लोकेशन को लेकर आश्वस्त थे।’
धीरे-धीरे बढ़ती भागीदारी: हिंदी सिनेमा में पूर्वोत्तर की कहानियों और कलाकारों की बढ़ती हिस्सेदारी पर फिल्म ब्लफमास्टर और वेब सीरीज मिथ्या के निर्देशक रोहन सिप्पी कहते हैं, ‘अरुणाचल प्रदेश, इम्फाल समेत पूरा पूर्वोत्तर बहुत ही खूबसूरत है। मैं मुंबई का हूं, ऐसे में वहां के बारे में जानना और क्षेत्रीय लोगों से मिलना सुखद अनुभव होता है। पूर्वोत्तर की प्रतिभाओं को सपोर्ट करना आवश्यक है।’
रास्ता है लंबा: पूर्वोत्तर से आए कलाकारों में अब तक डैनी डेंजोंगपा, आदिल हुसैन और सीमा बिस्वास जैसे गिने-चुने कलाकार ही लंबी पारी खेलने और लोकप्रियता हासिल करने में सफल रहे हैं। कास्टिंग निर्देशक अभिषेक बनर्जी कहते हैं, ‘इसमें सबसे बड़ी बाधा भाषा की लगती है। हिंदी फिल्मों में काम करने के लिए हिंदी अच्छी होनी चाहिए। भेड़िया में हमारे साथ काम करने वाले अभिनेता पालिन कबाक की हिंदी बहुत साफ है। अब एक नए सिरे से सोचा और लिखा जा रहा है, इसलिए अब पहले की तुलना में सिनेमा में पूर्वोत्तर की कहानियां और वहां के कलाकारों की संख्या में बढ़त है। मैंने पाताल लोक में चीनी की भूमिका के लिए मणिपुर के अभिनेता मैरम्बम रोनाल्डो सिंह की कास्टिंग की थी। अगर चीनी का किरदार उस तरह से नहीं लिखा होता तो हम शायद पूर्वोत्तर के कलाकार को नहीं ढूंढ़ते। पूर्वोत्तर के ऐसे बहुत कम लोग हैं जो मुंबई आ पाते हैं, क्योंकि उतनी दूर से आना और यहां रहकर जीवनयापन करना है सहज नहीं है। जब हम मैरम्बम को मुंबई ला रहे थे, तो हमें उनके परिवार को मनाना पड़ा। वहां के ज्यादातर लोग मुंबई की चमक-दमक से अलग अपनी जगह पर खुश हैं।’
दृष्टिकोण में परिवर्तन: असम से आने वाले अभिनेता आदिल हुसैन कहते हैं, ‘आजादी के बाद से पूर्वोत्तर को अशांत क्षेत्र मानकर कम महत्व दिया जाता था, पर अब दृष्टिकोण में बदलाव दिखता है। वहां पर राजनीतिक, ऐतिहासिक, सामाजिक और पौराणिक हर तरह की बहुत सी कहानियां हैं। भगवान कृष्ण से जुड़ी कहानियां हैं। कामाख्या मंदिर है। उसका अपना इतिहास है। मणिपुर, नागालैंड की जनजाितयों की संस्कृतियां लुभाती हैं। निर्माता, निर्देशक, प्रोडक्शन हाउस अब वहां के लोगों को सिनेमा में लाने के लिए मेहनत कर रहे हैं।’
पृष्ठभूिम में सुरम्य सौंदर्य
िफल्म राज्य
ज्वैल थीफ (1967) सिक्किम
यह गुलिस्तां हमारा (1972) अरुणाचल प्रदेश
एक पल (1986) असम
कुर्बान (1991) मेघालय
कोयला (1997) अरुणाचल प्रदेश
िदल से (1998) असम
हर पल (2001) मेघालय
साया (2003) नागालैंड
दंश (2005) मिजोरम
ऐसा ये जहां (2015) असम
राक आन (2016) मेघालय
रंगून (2017) अरुणाचल प्रदेश
पूर्वोत्तर से निकले अभिनय के रंग
l मैरेम्बम रोनाल्डो सिंह (पाताल लोक 2020)
l चुम दरांग (बधाई दो 2022)
l एंड्रिया केविचुसा (अनेक 2022)
l पालिन कबाक (भेड़िया 2022)
िमल रहा समर्थन
भेड़िया का ट्रेलर जारी होने के बाद अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने ट्रेलर को ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा, ‘यह फिल्म राज्य की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक भव्यता को दिखाती है। राज्य के जीरो, सागली और पक्के केसांग के सुरम्य क्षेत्रों में िफल्मायी गई इस फिल्म में संगीतकारों व टेक्नीिशयंस से लेकर 70 प्रतिशत कलाकार स्थानीय हैं। क्षेत्रीय प्रतिभाओं के लिए यह विस्तार का सुखद अवसर है ।’