Vanraj Bhatia: कभी दिया था बिग-बी की फिल्मों में म्यूजिक, अब जीरो है बैंक बैलेंस और चेक-अप के भी पैसे नहीं
National Award Winner Vanraj Bhatia Life जाने माने म्यूजिक डायरेक्टर वनराज भाटिया आज एक एक रुपये के लिए मोहताज हो गए हैं जिन्होंने कई फिल्मों में म्यूजिक दिया है। (फोटो- Mid Day)
नई दिल्ली, जेएनएन। कहा जाता है कि जिंदगी का कोई भरोसा नहीं होता है और कभी भी जीवन का पासा पलट सकता है। ऐसा ही कुछ हुआ है अमिताभ बच्चन की फिल्म अजूबा और हिट फिल्में तमस, अंकुर, मंथन में संगीत दे चुके म्यूजिक डायरेक्टर वनराज भाटिया के साथ, जो आज बुरे दौर से गुजर रहे हैं। वनराज भाटिया खराब आर्थिक दौर से गुजर रहे हैं और अभी एक-एक रुपये के मोहताज हो चुके हैं।
वनराज भाटिया के बैंक में अभी एक भी रुपया नहीं हैं और आर्थिक तंगी के साथ साथ उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है। वनराज भाटिया की शख्सियत का अंदाजा उनके पुरस्कारों से भी लगाया जा सकता है। उन्हें साल 1988 में गोविंद निहलानी की फिल्म 'तमस' में सर्वश्रेष्ठ संगीत के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला और 2012 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
मुंबई मिरर की एक रिपोर्ट के अनुसार, वनराज भाटिया का कहना है कि उसके पास अब बिल्कुल पैसा नहीं है, साथ ही वे कई बीमारियों का सामना भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मेरे पास पैसे नहीं हैं और मेरे बैंक खाते में एक भी रुपया भी नहीं बचा है। इस वक्त भाटिया याददाश्त जाना, सुनने में दिक्कत, घुटने में दर्द जैसी बीमारियों से लड़ रहे हैं।
वे मुंबई में नेफन सी रोड पर स्थित अपने मकान में अकेले रहते हैं। उनकी हालत ये है कि उनके पास मेडिकल चेकअप करवाने के लिए पैसे नहीं हैं, ऐसे में उन्हें कोई बीमारी के बारे में पता नहीं चल रहा। हालांकि, वनराज भाटिया के दोस्तों और प्रशंसकों ने उनके मेडिकल खर्च के लिए चंदा देना शुरू कर दिया है और जिस घर में वनराज रह रहे हैं उसकी देखरेख भी डोनेशन के पैसे से हो रहा है.।
बता दें कि वनराज भाटिया ने कई हिंदी फिल्मों में संगीत दिया है। उन्होंने फिल्म तमस, अंकुर, मंथन, भूमिका, मंडी और जुनून में संगीत दिया है। नेशनल अवॉर्ड, पद्मश्री के साथ उन्हें 1989 में संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। भाटिया ने रॉयल अकेडमी ऑफ म्यूजिक, लदंन से वेस्टर्न क्लासिक म्यूजिक की पढ़ाई की है।