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पहले मंटो की कहानियों को अश्लील मानते थे, अब उसे ही सेलिब्रेट करते हैं : नंदिता दास

वह कहती हैं कि मंटो भी ऐसे ही थे. उन पर छह बार केस हुए. जिन चीजों को तब अश्लील कहा जाता था. उन्हीं चीजों को आज हम सेलिब्रेट करते हैं.

By Manoj KhadilkarEdited By: Published: Sat, 08 Sep 2018 06:34 PM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 06:34 PM (IST)
पहले मंटो की कहानियों को अश्लील मानते थे, अब उसे ही सेलिब्रेट करते हैं : नंदिता दास
पहले मंटो की कहानियों को अश्लील मानते थे, अब उसे ही सेलिब्रेट करते हैं : नंदिता दास

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई. नंदिता दास की फिल्म मंटो इन दिनों चर्चा में हैं. नंदिता कहती हैं कि सच का साथ देना कठिन होता है, लेकिन नामुमकिन नहीं होता है. वह कहती हैं कि उन्हें जब भी लगता है, जहां भी लगता है वह हमेशा सच का साथ देने के लिए तैयार रहती हैं. वह हमेशा जरूरत पड़ने पर पेटिशन साइन करती हैं.

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पहले मंटो को अश्लील मानते थे

नंदिता कहती हैं कि मीडिया को भी अपनी कलम का इस्तेमाल हमेशा करते रहना चाहिए. नंदिता कहती हैं कि हम में से कुछ ऐसे लोग हैं, जो आवाज उठाते हैं.रिस्क लेते हैं. उन लोगों की वजह से हम लोगों को फ्रीडम मिल रही है. तो हम ये सोचें कि दूसरे हमारी लड़ाई लड़ें तो वह नहीं होने वाला है. वह कहती हैं कि मंटो भी ऐसे ही थे, उन्होंने अपनी जिंदगी में अपनी लड़ाई खुद लड़ी. उन पर छह बार केस हुए. जिन चीजों को तब अश्लील कहा जाता था. उन्हीं चीजों को आज हम सेलिब्रेट करते हैं.

मंटो की कहानियां समाज का आईना

नंदिता कहती हैं कि मेरा इस फिल्म से मकसद यही है कि क्या हम एक ऐसा आदमी को देख कर अपने अंदर के मंटोईयत को उजागर कर सकते हैं या अपनी मोरालिटी को सवाल कर सकते हैं. नंदिता कहती हैं कि इस फिल्म से कुछ-कुछ मिरर तो बनेगा. वह खुद कहते थे कि मेरी कहानियां समाज के लिए एक आईना हैं, अगर किसी बुरी सूरत वाले को आईने से ही शिकायत हो जाये तो मेरा क्या कसूर.

जेंडर बायसनेस

जेंडर बायसनेस के बारे में नंदिता कहती हैं कि यह एक हिस्ट्रोरिकल तरीके से चला आ रहा है. अब जैसे अमेरिका में बंधुआ मजदूर थे.तो जब समझ आया कि वह गलत था, तो लोगों ने क्रांति की. उसे बदला. तो औरतें जो कि पूरी दुनिया की पॉपुलेशन हैं, आप उसको नीचा कैसे कर सकते हो. आप उनकी च्वाइस नहीं पूरी करने दे रहे हैं. फीमेल फिटिसाइड अब भी हमारे देश में सबसे ज्यादा है. सेक्स रेशियो बढ़ रहा है. नंदिता कहती हैं कि पढ़े-लिखे लोग भी कर रहे हैं, तो ये सवाल उठता है कि हमें किस तरह की एजुकेशन दी जा रही हैं. नंदिता कहती हैं कि अगर महिला-पुरुष समान हो जायेंगे, तो ऐसा नहीं है कि आदमियों के हाथ से सत्ता छूट जायेगी. नंदिता कहती हैं कि मैं चाहती हूं कि औरत-मर्द दोस्त बन कर काम करें. बता दें कि नंदिता की फिल्म मंटो 21 सितंबर को रिलीज होगी.

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