Exclusive: दुर्दशा का शिकार हुए चलचित्र के पितामह फाल्के, तार-तार हुआ चित्र
दादा साहब फाल्के का भारतीय सिनेमा आज 105 साल का हो चुका है लेकिन उनकी यादों को लेकर सहेज कर रखने में की जा रही उपेक्षा समझ से परे है।
पराग छापेकर, मुंबई। चार साल पहले मुंबई के बांद्रा इलाके में भारतीय सिनेमा के पितामह दादा साहब फाल्के का विशाल भित्ती चित्र (म्युरल) लगाया गया था, जो अब दुर्दशा का शिकार हो गया है। इमारत पर दादा अब बस नाममात्र के बचे हैं और उनके चाहने वाले फाल्के की याद को संजो कर न रखने को लेकर निराशा हैं।
बांद्रा में एमटीएनएल बिल्डिंग पर लगाये गए इस म्युरल को आप अब देख सकते हैं। बिल्डिंग पर निर्माण का काम चल रहा है लेकिन चित्र लगभग खत्म हो चुका है। दादा साहब फाल्के के आधे चेहरे के हिस्सा, किसी तरह से वहां बचा हुआ है जो शायद ये बताने के लिए काफ़ी है कि दादा की अब यही याद है।
दिसंबर 2014 को 120 गुणे 150 फीट के इस म्युरल का अमिताभ बच्चन ने अनावरण किया था। उन्होंने कहा था कि ये सम्मान की बात है कि वो आज यहां मौजूद हैं। भाषण देने से दीवार पर चित्र बनाना बहुत ही यूनिक कांसेप्ट है। St art India Foundation नाम के एक एनजीओ की तरफ़ से इसे बनाया गया था । इस भित्ती चित्र को बनाने में 800 लीटर पेंट का इस्तेमाल किया गया था।
रंजीत दहिया ने देश भर के कुछ कलाकारों के साथ मिल कर इस म्युरल को अंजाम तक पहुंचाया था। वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे से तब ये म्युरल लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा लेकिन धीरे धीरे विलुप्त स्थिति में आ पहुंचा है। दादा साहब फाल्के ने 1913 में राजा हरिश्चंद्र के साथ भारतीय सिनेमा की नींव रखी थी।
सिनेमा 105 साल का हो चुका है। दादा साहब फाल्के के नाम पर फिल्मों का सर्वोच्च पुरस्कार भी दिया जाता है लेकिन उनकी यादों को लेकर सहेज कर रखने में की जा रही उपेक्षा समझ से परे है।
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