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दो हाथ मिले तो दे ताली

57 साल पहले प्रदर्शित यश चोपड़ा निर्देशित वक्त को भारतीय सिनेमा की पहली मल्टीस्टारर फिल्म माना जाता है। आगामी दिनों में राकी और रानी की प्रेम कहानी पठान सेल्फी जैसी मल्टीस्टारर आएंगी। इनकी आवश्यकता व निर्माण की चुनौतियों की पड़ताल कर रही हैं स्मिता श्रीवास्तव व प्रियंका सिंह...

By Jagran NewsEdited By: Keerti SinghPublished: Thu, 01 Dec 2022 08:18 PM (IST)Updated: Thu, 01 Dec 2022 08:18 PM (IST)
दो हाथ मिले तो दे ताली
फिल्म सेल्फी में इमरान हाशमी व अक्षय कुमार जबकि पठान में दीपिका पादुकोण, शाह रुख खान व जान अब्राहम दिखेंगे

 यश चोपड़ा निर्देशित मल्टीस्टारर फिल्म वक्त हिट रही थी। फिल्म में सुनील दत्त, राजकुमार, शशि कपूर, साधना, शर्मिला टैगोर, बलराज साहनी समेत कई कलाकार थे। शोले से लेकर गोलमाल और हाउसफुल जैसी अनेक मल्टीस्टारर फिल्में हिट हुई हैं, क्योंकि दर्शकों को एक टिकट के पैसे में कई बड़े कलाकार एक साथ स्क्रीन पर डायलाग बोलते हुए मिल जाते हैं। हालांकि अब मल्टीस्टारर फिल्मों के निर्माण में कमी देखी जा रही है। 

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पिछले दिनों काफी विद करण के सातवें सीजन में जब निर्माता करण जौहर ने अक्षय कुमार से सवाल किया था कि दक्षिण भारतीय फिल्मों के मुकाबले हमें अपनी फिल्मों को आगे लेकर जाने के लिए क्या करना चाहिए? इस पर अक्षय ने कहा था कि हमारे यहां दिक्कत यह है कि कलाकार दो या तीन हीरो वाली फिल्में करने से डरते हैं। दक्षिण भारतीय फिल्मों में ऐसा नहीं होता है। करण ने भी माना कि दो हीरो या दो हीरोइन को एक ही फिल्म में कास्ट करना कठिन काम है। इसकी वजह यह हो सकती है कि कलाकारों के मन में किसी प्रकार की असुरक्षा हो। अक्षय और करण ने साथ मिलकर हाल ही में एक फिल्म का निर्माण किया है। उन्हें दो हीरो की फिल्म में कास्ट करने में बहुत दिक्कतें हुईं। कई कलाकारों ने यह कहकर मनाकर दिया था कि वह दो हीरो वाली फिल्म नहीं करना चाहते हैं। अक्षय ने उन्हें अपने मन का रोल चुनने की आजादी भी दी, लेकिन बात नहीं बनी।

रिश्तों की अहमियत

हथकड़ी (1982), आंधी-तूफान (1985), आग ही आग (1987) जैसी मल्टीस्टारर फिल्मों में कई बड़े कलाकारों को एक साथ एक ही फ्रेम में लाने वाले निर्माता पहलाज निहलानी का कहते हैं कि उस दौर में निर्माताओं के कलाकारों के साथ संबंध बहुत अच्छे हुआ करते थे, इसलिए कई कलाकारों को साथ काम करने के लिए तैयार करना आसान था। उस वक्त कोई कहानी सुनता ही नहीं था। दोस्ती के रिश्ते और भरोसे पर काम होता था। परिवार की तरह सेट पर काम होता था और फिल्म बन जाती थी। हालांकि नए निर्माताओं के लिए तब बड़े कलाकारों को साथ लाना मुश्किल था, आज भी है। अब प्रैक्टिकल चीजें हो रही हैं कि कलाकार कह देता है कि इतने दिन ही शूटिंग करूंगा, इतने दिन ही प्रमोशन करूंगा। साल 1987 में धर्मेंद्र की तीन फिल्में रिलीज हुई थीं, जिसमें आग ही आग फिल्म सबसे महंगी बिकी थी। उसमें चंकी पांडे, नीलम समेत कई नए कलाकार थे। उस वक्त डिस्ट्रीब्यूटर्स भी कंटेंट को देखकर सवाल नहीं पूछते थे। वे नए कलाकारों की मल्टीस्टारर फिल्मों को भी बड़े स्टारकास्ट वाले दाम पर ही खरीदते थे, क्योंकि उन्हें उन फिल्मों के मेकर्स पर भरोसा था। अब तो स्टूडियोज आ गए हैं। वह कलाकारों को अहमियत देते हैं, कंटेंट को नहीं।

ईमानदार कोशिश से बनती फिल्में

धर्मेंद्र, सनी देओल, बाबी देओल, करण देओल के साथ बन रही फिल्म अपने 2 के निर्देशक अनिल शर्मा मल्टीस्टारर फिल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं। वह कहते हैं कि फिल्ममेकिंग जुनून का काम है। यह गलतफहमी है कि सेट पर तीन-चार एक्टरों को संभालना मुश्किल काम है। फिल्म में उनके पात्रों के साथ बराबरी का न्याय करना मुश्किल काम है। अगर कलाकार स्क्रिप्ट में लिखी अपनी लाइनों से सहमत है तो शूटिंग में दिक्कतें नहीं आती हैं। इस संदर्भ में फिल् डेल् ी बेल् ी के निर्देशक अभिनय देव कहते हैं कि दो हीरो या दो हीरोइन के साथ फिल् बनाने की सबसे बड़ी चुनौती होती है कि कहानी को इस तरह से बांधा जाए जिसमें सभी स् ार उभरकर सामने आएं। दूसरी चुनौती है कि आज की तारीख में दिग् ज स् ार को लेकर काम करना बड़ा जिम्मेदारी और थका देने वाला काम है। सभी लोग सहयोग करते हैं, लेकिन सभी की तारीखों का मेल करने में पसीना निकल जाता है। अच् ी फिल् बनाना ही बड़ा चैलेंज है। उसमें कई कलाकारों का एक फिल्म में होना एक और परत जोड़ देता है।

दूसरे कलाकार का दबाव

जिन फिल्मों में कई हीरो-हीरोइन होते हैं, उनको लेकर अक् र खबरें आती हैं कि फलां एक् र का किरदार दूसरे पर भारी है। ऐसे में लेखक पर दबाव भी बढ़ता होगा? इसके जवाब में लेखक असीम अरोड़ा कहते हैं कि हां, जब दो या उससे ज्यादा कलाकारों के लिए कहानी लिखनी पड़ती है तो डर और दबाव होता ही है। जब हीरो-हीरोइन के टक्कर के दूसरे कलाकार होते हैं तो फिल्मों को लिखने में वक्त लगता है। वहीं अभिनय कहते हैं कि अगर कहानी अच् े से लिखी गई है तो कोई भी कलाकार नहीं बोलता है कि मेरा रोल बड़ा होना चाहिए। कहानी अच्छी नहीं हुई तो वे बोल भी देते हैं कि मजा नहीं आ रहा है। यह स्वाभाविक है। दर्शक भी कई स् ार्स को एकसाथ देखना चाहते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि स् ार के साथ हमें नए लोगों को भी मौका देना चाहिए। जितना स् ार अहम है, उतना ही कंटेंट भी।

टीम वर्क है सही तरीका

अभिनेता आयुष्मान खुराना कहते हैं कि यह सिर्फ दो हीरो की फिल् की बात नहीं है। मेरी सारी फिल् ों में दूसरे पात्र हमेशा भारी रहे हैं। चाहे वो विक्की डोनर के अन् ू कपूर, बधाई हो के गजराज राव, ऐन एक् न हीरो के जयदीप अहलावत या फिर अंधाधुन में तब् ू हों। कोई भी कास्टिंग जो लोगों को आकर्षित करे और उसे सफल बनाने में मदद करे, वह मेरी भी मदद करेगी। यह टीम वर्क होता है। मैं चाहता हूं कि अच् े से अच् े कलाकारों के साथ काम करूं।

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हिंदी या दक्षिण से फर्क नहीं, स्क्रीन पर खास दिखना है

इस साल रिलीज फिल् आरआरआर में जूनियर एनटीआर और रामचरण एकसाथ नजर आए। फिल् बाहुबली में प्रभास और राणा डग् ुबाती एकसाथ दिखे थे। राणा डग् ुबाती ने बाहुबली के अलावा भी कई मल् ीस् ारर फिल् ें की हैं। दक्षिण भारत में ज् ादा मल् ीस् ारर फिल् ें बनने को लेकर राणा कहते हैं कि अच् ी कहानी है, तो सभी उसका हिस् ा बनना चाहेंगे। अगर बाहुबली जैसी फिल् आफर होती है तो कलाकार खुशी से उसके साथ जुड़ जाते हैं। हिंदी या दक्षिण से फ र्क नहीं पड़ता है। हर कोई यही चाहता है कि जब वह स् ्रीन पर आए तो खास दिखे। दो स् ार जब साथ आते हैं, तो फिल् महंगी भी बनती है।

अपनी कला पर रखें भरोसा

युवा, ओमकारा, मस्ती, शूटआउट एट लोखंडवाला फिल्मों में कई अभिनेताओं के साथ स्क्रीन साझा कर चुके अभिनेता विवेक ओबेराय कहते हैं कि अपनी प्रतिभा पर विश्वास है कि मैं पूरी मेहनत करूंगा तो डर नहीं लगना चाहिए। भूमिकाओं को लेकर क्या डरना। कोई भी भूमिका निगेटिव या पाजिटिव नहीं होती है। वह बोरिंग या दिलचस्प होते हैं। वह अगर सही हो तो पर्दे पर जादू चलता है। भले ही पांच सीन हो अगर कलाकार उसे अच्छे कर जाए तो वह फिल्म अच्छी ही बनकर आएगी। दर्शक ट्रेलर के स्तर पर ही फिल्म को पसंद या रिजेक्ट कर देते हैं। अगर आप अपने काम को जी जान से कर रहे हैं तो असुरक्षा नहीं होगी। असुरक्षा इंसान को कमजोर बना देती है।

इन फिल्मों के फ्रेम में होंगे एक से ज्यादा सितारे

पठान – शाह रुख खान और जान अब्राहम की होगी टक्कर। दीपिका पादुकोण भी एक्शन करते दिखेंगी।

राकी और रानी की प्रेम कहानी – रणवीर सिंह और आलिया भट्ट संग फिल्म में धर्मेंद्र, जया बच्चन और शबाना आजमी स्क्रीन साझा करेंगे।

आदिपुरुष – भगवान श्रीराम के पराक्रम को दिखाने वाली इस फिल्म में प्रभास, सैफ अली खान और कृति सैनन होंगे।

बड़े मियां छोटे मियां – अक्षय कुमार, टाइगर श्रॉफ पहली बार एकसाथ स्क्रीन साझा करेंगे।

सेल्फी – अक्षय कुमार, इमरान हाशमी के साथ नुसरत भरूचा और डायना पेंटी फिल्म में हैं।

जी ले जरा – आलिया भट्ट, प्रियंका चोपड़ा और कट्रीना कैफ पहली बार साथ काम करेंगी।


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