Meena Kumari ने भी झेला था ‘तीन तलाक’ का दर्द, फिर जीनत अमान के पिता से करनी पड़ी थी शादी
अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री मीना कुमारी जितनी खूबसूरत थीं उनती खूबसूरत उनकी जिंदगी नहीं रही। तलाक गरीबी झेल चुकीं मीना का जन्म आज यानी 1 अगस्त को ही हुआ था। (Photo-MID Day)
नई दिल्ली, जेएनएन। Happy Birthday Meena Kumari: अपने दौर की बेहतरीन अदाकारा मीना कुमारी का जन्म आज ही के दिन यानी 1 अगस्त 1932 में हुआ था। अपनी खूबसूरती से दिल जीत लेने वाली मीना कुमारी ने साहिब बीवी और गुलाम, पाकीज़ा, मेरे अपने, बैजू बावरा जैसी कई हिट फिल्में दीं।
इन फिल्मों को आज भी मीना कुमारी की अदाकारी के लिए याद किया जाता है। लेकिन मीना कुमारी पर्दे पर जितनी खूबसूरत नजर आती थीं उनकी जिंदगी उतनी खूबसूरत नहीं थीं। गरीबी से लेकर तलाक तक एक्ट्रेस ने कई दर्द झेले। उनके जन्मदिन के मौक पर हम आपको बताते हैं उनकी जिंदगी के कुछ पहलुओं के बारे में जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे।
मां-बाप छोड़ आए थे अनाथालय
मीना कुमारी एक गरीब परिवार से ताल्लुक़ रखती थीं। उनके जन्म के समय उनके पिता अली बख्शथ और मां इकबाल बेगम के पास डॉक्टसर को देने के लिए पैसे नहीं थे। इस वजह से वो मीना को अनाथालय छोड़ आए थे। लेकिन फिर पिता का दिल नहीं माना और वो वापस उन्हें घर ले आए। मीना कुमारी पढ़ना चाहती थीं, स्कूल जाना चाहती थीं लेकिन तंगी की वजह से उनके पिता उन्हें स्कूल नहीं भेज पाए। सात साल की उम्र में ही उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रख लिया और परिवार का आर्थिक बोझ अपने कंधों पर उठा लिया।
शादी के बाद भी बदतर रही जिंदगी
साल 1952 में मीना कुमारी ने ‘पाकीज़ा’ के डायरेक्टर कमाल अमरोही से शादी की। अमरोही की और मीना की उम्र में काफी फासला था। शादी के वक्त एक्ट्रेस की उम्र 19 साल थी जब्कि 34 साल के थे। दोनों की बीच रिश्ता लंबे समय तक ठीक नहीं चला। कहा जाता है कि एक बार कमाल, मीना कुमारी से किसी बात कर इतना गुस्सा हो गए कि उन्होंने तीन बार ‘तलाक’ बोल दिया।
हालांकि उन्हें इस बात का पछतावा भी हुआ जिसके बाद उन्होंने मीना कुमारी से दोबारा निकाह करना चाहा। लेकिन दोबारा निकाह के लिए मीना कुमारी को अमान उल्ला खान (जीनत अमान के पिता) से निकाह करना पड़ा। एक महीने बाद मीना कुमारी और अमान का तलाक हुआ। फिर अमरोही ने उनसे दोबारा निकाह किया। हालांकि उनके जीवन पर लिखी गई किताब में 'तलाक' और 'हलाला' की बात का नकारा गया है। यह किताब राइटर जर्नलिस्ट विनोद मेहता ने लिखी थी।
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