अलीगढ़ ने बनाया मुझे बेहतर इंसान - मनोज बाजपेयी
मनोज बाजपेयी ने हंसल मेहता की फिल्म 'अलीगढ़' में एक प्रफेसर का रोल किया है। एक्टर का कहना है कि इस रोल ने उन्हें एक बेहतर इंसान बनाया है। उन्होंने कहा, 'अलीगढ़ में मेरा रोल सीधा-सादा और साफ दिल का है, जिसने मुझे एक बेहतर इंसान बनाया। मैंने उसके जैसा
मुंबई। मनोज बाजपेयी ने हंसल मेहता की फिल्म 'अलीगढ़' में एक प्रफेसर का रोल किया है। एक्टर का कहना है कि इस रोल ने उन्हें एक बेहतर इंसान बनाया है।
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उन्होंने कहा, 'अलीगढ़ में मेरा रोल सीधा-सादा और साफ दिल का है, जिसने मुझे एक बेहतर इंसान बनाया। मैंने उसके जैसा शरीफ इंसान नहीं देखा। ये एक बेहतरीन कहानी है। आप इस किरदार को देखकर हिल जाएंगे।'
मनोज बाजपेयी ने कहा कि एक्टिंग करना दुनिया में सबसे मुश्किल काम है। उन्होंने कहा, 'किसी और के किरदार में उतरना, किसी और की अंतरात्मा या उसके सफर को समझना हमेशा मुश्किल होता है। तो जब आप उस किरदार को सही तरीके से निभाते हैं तो इससे ज्यादा खुशी आपको कोई और चीज आपको नहीं दे सकती।'
'अलीगढ़' में अपने किरदार के बारे में बात करते हुए मनोज ने कहा कि ये फिल्म भारत में समलैंगिकता को लेकर लोगों के नजरिए को दिखाती है और कहानी ने दर्शकों को प्रभावित किया है।
उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि पर बनी ये फिल्म एक प्रफेसर की असली कहानी है कि जिसे उसकी समलैंगिकता के चलते नौकरी से निकाल दिया गया था और एक पत्रकार ने उसकी कहानी दुनिया को बताई थी। फिल्म में पत्रकार का रोल राजकुमार राव ने किया है।
20वें बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में फिल्म को स्टैंडिंग ओवेशन मिला था और लंदन फिल्म फेस्टिवल में भी इसे काफी सराहा गया है। मनोज ने कहा, 'हमें बुसान और लंदन फिल्म फेस्टिवल्स में बहुत सराहा गया है। आलोचकों और दर्शकों ने फिल्म को पसंद किया और मुझे ईमेल और मैसेज किए। तो इससे साफ है कि अलीगढ़ एक शानदार फिल्म है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि ये समलैंगिकता पर है या नहीं, बल्कि ये एक बहुत अच्छी कहानी है।'
30 अक्टूबर से शुरू हो रहे 17वें जियो मामी मुंबई फिल्म फेस्टिवल में सबसे पहले 'अलीगढ़' की स्क्रीनिंग की जाएगी।
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