विदेशियों को ख़ूब पसंद आ रही है इंडिया में 'बैन' Lipstick Under My Burkha
अलंकृता का कहना है कि ग्लासगो में फ़िल्म लोगों को पसंद आई, जो ये दिखाता है कि महिलाओं के नज़रिए से बनी फ़िल्म किसी भी कल्चर और देश में प्रासंगिक है।
मुंबई। Lipstick Under My Burkha को भले ही सीबीएफ़सी यानि सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट देने से इंकार कर दिया हो, लेकिन फ़िल्म इंटरनेशनल फ़ेस्टिवल्स में ख़ूब पसंद की जा रही है। ग्लासगो फ़िल्म फ़ेस्टिवल में लिपस्टिक... को ऑडिएंस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।
सोमवार को 'फ़ेस्टिवल में स्कॉटिश एक्टर डेविड टेनेंट ने डायरेक्टर अलंकृता श्रीवास्तव को अवॉर्ड प्रदान किया। इस बारे में अलंकृता का कहना है- ''स्कॉटरेल ऑडिएंस अवॉर्ड फ़िल्म को मिलने से वो काफ़ी सम्मानित महसूस कर रही हैं। जब एक औरतों के नज़रिए से बनाई गई वुमन ओरिएंटिड फ़िल्म को भारत में सर्टिफिकेट देने से इंकार कर दिया गया है, ऐसे में ये अवॉर्ड मिलने की इससे बेहतर टाइमिंग नहीं हो सकती।''
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बता दें कि प्रकाश झा प्रोडक्शन की इस फ़िल्म में कोंकोणा सेन शर्मा और रत्ना पाठक शाह लीड रोल्स में हैं। फ़िल्म चार अलग-अलग उम्र की ऐसी महिलाओं की ज़िंदगी को पर्दे पर दिखाती है, जो छोटे क़स्बे में रहते हुए अपनी आज़ादी की तलाश में रहती हैं। फ़िल्म को सेंसर बोर्ड ने ये कहकर इंकार सेंसर सर्टिफिकेट देने से इंकार कर दिया, इसमें सेक्सुअल रेफरेंसेज हैं और गाली-गलौज का प्रयोग किया गया है।
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अलंकृता का कहना है कि ग्लासगो में फ़िल्म लोगों को पसंद आई, जो ये दिखाता है कि महिलाओं के नज़रिए से बनी फ़िल्म किसी भी कल्चर और देश में प्रासंगिक है। इससे ये पुष्टि होती है कि महिलाओं की कहानियों को उनके नज़रिए से कहने की ज़रूरत है। अवॉर्ड से उम्मीद जागी है और साहस मिला है। फ़िल्म को सर्टिफिकेट देने से इंकार करने के फ़ैसले की बॉलीवुड में काफी निंदा हो रही है।