सीबीएफसी असहाय उत्पादकों पर निरंकुशता से काम ना करें: हंसल मेहता
हंसल मेहताजी का केहना है की, उड़ता पंजाब रोकने जैसी घटना सीबीएफसी में हमेशा होती है, लेकिन इस फ़िल्म के निर्माताओं जैसी मिडिया को इकट्ठा करने की ताकद हर किसी में नहीं होती।
फिल्मकार हंसल मेहता सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय के “उड़ता पंजाब” को एक कट के साथ रिलीज करने के निर्णय पर काफ़ी खुशी थे, लेकिन उन्होंने कहा, सेंसर बोर्ड अपने काम की निरंकुश पद्धति को रोकना होगा क्योंकि हर फिल्म निर्माता उत्कृष्ट कानूनी सहायता का खर्च वहन नहीं कर सकता है।
बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के चलते पंजाब में नशीली दवाओं के खतरे पर बनी “उड़ता पंजाब” यह फिल्म एक कट और तीन अस्वीकरण के साथ रिलीज होगी। मेहता, जो सेंसर बोर्ड के खिलाफ फिल्म के निर्माताओं की लड़ाई का समर्थन करते आये है, उन्होंने ट्वीट किया है की "मैं खुश हूँ, “उड़ता पंजाब” को अंत में माननीय न्यायालय ने रिलीज करने की मंजूरी दे दी है यह सुनकर राहत मिली है और उत्तेजित महसूस कर रहा हूं।
"अयोग्य सीबीएफसी (केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड) मेंबर्स द्वारा दिशा-निर्देशों की अनुचित व्याख्याएं की जाती है उसी से निवारण पाने के लिए यह लड़ाई है।"
सीबीएफसीने पहले “उड़ता पंजाब” के निर्माताओं को 'ए' प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए 89 कटौती करने के निर्देश दिये थे। बाद में पुनरीक्षण समिति ने कट्स 13 तक नीचे लाये। इसीलिए फिल्म बिरादरी सीबीएफसी के फरमान के खिलाफ लड़ने के लिए एकजुट हो गई।
निर्माताओं ने सेंसर बोर्ड की इस दलील का मुकाबला करने के बंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
मेहता जिन्हें खुदको उनकी फिल्म "अलीगढ़" के लिए सेंसर बोर्ड से लड़ना पड़ा, उन्होंने कहा की इस कहानी यह नैतिक है की।
"सेंसरशिप समाप्त होना चाहिए। हमारे काम को प्रमाणित करें, सेंसर नहीं। हम रचनात्मक कलाकार हैं और हम आम तौर पर जिम्मेदार हैं। हम पर विश्वास रखो।
"क्या हमें हमेशा हमारे शिकायतों के निवारण के लिए अदालतों के पास जाना होगा जब की यहाँ सरकार द्वारा वही काम करने के लिए एक बॉडी नियुक्त की गई है? सीबीएफसी अगर कलात्मक स्वतंत्रता सीमित किए बिना दिशा-निर्देशों की व्याख्या करने में असमर्थ है, तो सीबीएफसी क्यों मौजूद है?"
उन्होंने कहा: "हर निर्माता “उड़ता पंजाब” के निर्माता की तरह उत्कृष्ट कानूनी सहायता बर्दाश्त कर सकते हैं, न ही वे इंडस्ट्री या मीडिया समर्थन जुटाने की अपेक्षित शक्ति रखते है।"
मेहता ने अपील की है की: चलो “उड़ता पंजाब” मामले को सामूहिक आक्रोश के परिणामस्वरूप सकारात्मक परिणाम की एक घटना ना होनें दे। हमें जब भी जरुरत हो तब कमजोर के पीछे खड़े रहना चाहिए। चलो सीबीएफसी को असहाय और लाचार उत्पादक, जो लड़ने के साधन एवं शक्ति नहीं रखते हैं, उनपर अपनी निरंकुशता चलाने से रोंके।"