Birthday special: आशा भोसले के नाम पर आज भी दर्ज है यह वर्ल्ड रिकॉर्ड
आशा भोसले ने अपने फिल्मी सफर में लगभग 12 हजार से ज्यादा गीतों को सुरीली आवाज प्रदान की है।
मुंबई। एेसे कई प्रसिद्ध कलाकार हैं जिन्होंने हिंदी सिनेमा इंस्डस्ट्री को स्थापित करने में और पूरी दुनिया में पहचान दिलाने में अहम योगदान दिया है। एक नाम हिंदी सिनेमा की मशहूर गायिका आशा भोसले का भी इस सूची में शामिल है। 12 हजार से ज्यादा गीतों को अपनी सुरमई आवाज देने वाली आशा भोसले का आज जन्मदिन है। उनका जन्म 8 सितंबर 1933 में सांगली में हुआ था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर अभिनेता और शास्त्रीय गायक थे। आइए जन्मदिन के दिन जानते हैं आशा ताई से जुड़ी कुछ रोचक बातें -
12 हजार से ज्यादा गीतों को दी आवाज
आशा भोसले को प्यार से लोग आशा ताई के नाम से पुकारते हैं। उन्होंने अपने फिल्मी सफर में लगभग 12 हजार से ज्यादा गीतों को अपनी सुरीली आवाज प्रदान की है। हिंदी ही नहीं बल्कि मराठी, बंगाली, पंजाबी, तमिल, मलयालम, अंग्रेजी और रूसी भाषाओं में गीतों को आवाज दी है। आशा जी ने करीब 20 इंडियन और फॉरेन लेंग्वेज में गाने रिकॉर्ड किए हैं। उन्होंने कव्वाली, भजन, गजल, पॉप सांग, फोक सांग, ट्रेडिशनल इंडियन क्लासिकल म्यूजिक सब तरह के स्टाइल में गाने गाए हैं। आशा भोसले के पिता दीनानाथ मंगेशकर अभिनेता और शास्त्रीय गायक थे। मराठा समाज में जन्मी आशा भोसले जब महज 9 वर्ष की थी तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। फिर उनका परिवार पुणे से कोल्हापुर और उसके बाद मुंबई आ गया। परिवार की सहायता करने के लिए आशा भोसले ने अपनी बड़ी बहन लता मंगेशकर के साथ मिलकर गीत गाना शुरू किया।
शुरूआत में किया संघर्ष
बताया जाता है कि, जब लता मंगेशकर और आशा भोसले ने गायकी की शुरुआत की थी तब लता को तो स्वीकार कर लिया गया था लेकिन आशा को समय लगा। पहले आशा ने बी और सी ग्रेड की फिल्मों में गायकी से शुरुआत की थी। आशा भोसले ने अपना पहला फिल्मी गीत एक मराठी फिल्म 'माझा बल' के लिए गाया था जिसके बोल थे 'चला चला नव बाला' थे। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 10 साल थी। हिंदी फिल्म की बात करें तो 16 साल की उम्र में आशा जी ने पहला हिंदी गाना गाया था फिल्म थी 'रात की रानी'। साल 1952 में आयी फिल्म 'संगदिल' में गाए गाने ने उन्हें फर्स्ट ब्रेक थ्रू दिया जिसे साजिद मुस्तफा ने कंपोज किया था। इसके बाद बिमल रॉय ने 'परिणीता' और राजकपूर ने 'बूट पॉलिश' में उन्हें मौका दिया। मोहम्मद रफी के साथ गाए हुए गाने 'नन्हें मुन्हें बच्चे' से आशा को इंडस्ट्री में बड़ी पहचान मिल गई थी। 1956 में आयी फिल्म 'सीआईडी' और 1957 में आयी 'नया दौर' ने उन्हें असली ऊंचाईयों को हासिल करने के रास्ते पर आगे बढ़ाया। फिर तो उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और बॉलीवुड पर छा गयीं।
मोस्ट रिकॉर्ड आर्टिस्ट
वर्ल्ड रिकॉर्डस को सर्टिफाई करने वाली ऑग्रेनाइजेशन वर्ल्ड रिकॉर्ड अकेडमी ने उन्हें मोस्ट रिकॉर्ड आर्टिस्ट ऑफ दी वर्ल्ड के तौर पर रिक्गनाइज किया है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में उनका नाम मोस्ट रिकॉर्ड आर्टिस्ट इन म्यूजिक हिस्ट्री के लिए मेंशन किया है।
पर्सनल लाइफ
16 साल की आशा जी ने 31 साल के गनपत रॉव भोसले, जो उनकी बड़ी बहन लता मंगेशकर के पर्सनल सेकेट्री थे, के साथ परिवार के खिलाफ जाकर शादी कर ली थी। लेकिन यह शादी ज्यादा दिन नहीं चली और 1960 में वो अपने दो बच्चों के साथ उस समय अलग हो गयीं, जब वो तीसरे बच्चे से प्रेगनेंट थीं। बताया जाता है कि इसके बाद उन्हें ओ पी नय्यर का साथ मिला। फिर आशा जी ने आर डी बर्मन को अपना हमसफर बनाया। आरडी बर्मन ने आखिरी सांस तक आशा जी का साथ दिया।