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Khuda Haafiz Chapter 2: विद्युत जामवाल से लीक हो गई 'खुदा हाफिज 2' की कहानी, फिल्म में होंगे ये नए ट्विस्ट

Khuda Haafiz Chapter 2 Story Leaked बहुत किस्मतवाले होते हैं वे लोग जिन्हें इससे गुजरना पड़ता है। मेरी ऐसी कोई अग्निपरीक्षा हुई नहीं। मैं किसी छोटी सी बात को बोल दूं कि अग्निपरीक्षा थी कि बहुत मुश्किल से काम मिला तो यह सब नार्मल है।

By Ruchi VajpayeeEdited By: Published: Sun, 26 Jun 2022 10:18 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2022 10:18 AM (IST)
Khuda Haafiz Chapter 2: विद्युत जामवाल से लीक हो गई 'खुदा हाफिज 2' की कहानी, फिल्म में होंगे ये नए ट्विस्ट
Khuda Haafiz Chapter 2: story leaked by Vidyut Jammwal

स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। फिल्मों में एक्शन के लिए मशहूर विद्युत जामवाल की फिल्म ‘खुदा हाफिज’ कोरोना काल में डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज हुई थी। अब इसकी सीक्वल ‘खुदा हाफिज: चैप्टर 2- अग्निपरीक्षा’ आठ जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। ‘कमांडो’ अभिनेता ‘आइबी 71’ से फिल्म निर्माण में भी उतर चुके हैं। विद्युत से स्मिता श्रीवास्तव की बातचीत के अंश...

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खुदा हाफिज’ में आप सीधे-सादे अंदाज में नजर आए थे। क्या एक्शन इमेज बदलने का इरादा है?

मेरी यह इमेज बहुत मुश्किल से बनी है और इस एक्शन इमेज को बदलने का कतई मन नहीं है। यह वही बात हो गई कि आपने बहुत अच्छे कपड़े पहने और फिर उसे बदल दो। (हंसते हुए) पर्दे पर मैं नहीं लडूंगा तो कौन लड़ेगा। बस इस फिल्म में माहौल अलग है। यहां एक्शन है, लेकिन उस तरह का नहीं कि उड़-उड़कर मारा जाए। एक आम आदमी जैसा करेगा, वैसा एक्शन दिखेगा। एक आम आदमी में जो क्षमता होती है, वह प्रशिक्षित फाइटर में नहीं होती है।

पर एक कलाकार के लिए वैरायटी रोल बहुत जरूरी होते हैं...

समय के साथ सब हो जाता है। जिंदगी में अब वह मोड़ आ गया है जब मैं चूज कर सकता हूं कि क्या करना है, क्या नहीं। अभी देखते हैं कि क्या-क्या करना है।

‘खुदा हाफिज: चैप्टर 2’ सिनेमाघर में आ रही है...

बहुत खुशी है। सबसे ज्यादा जिज्ञासा इस बात की है कि थिएटर में कितने लोग जाएंगे। मैं जब भी हिंदुस्तान के छोटे शहरों से आए लोगों के संदेश पढ़ता हूं तो वे कहते हैं कि हम आपको सपोर्ट करते हैं। अब समय आ गया है कि जो लोग यह बोलते और लिखते हैं, वो वाकई मुझे सपोर्ट करें। बस यही सोच है जेहन में।

‘खुदा हाफिज चैप्टर 2’ की कहानी के बारे में कुछ बताइए?

‘खुदा हाफिज’ की कहानी पति की थी जो पत्नी को वापस अपने देश लाता है। इस बार का मुद्दा गोद लेने का है। हमारे यहां कई लोगों की धारणा है कि बच्चा अपना ही होना चाहिए। मैं बहुत खुश हूं कि फारुख (फिल्म के लेखक और निर्देशक फारुख कबीर) ने ऐसी कहानी लिखी।

गोद लेने को लेकर किन बातों को उठाया है?

अडॉप्शन आसान काम नहीं है, क्योंकि यह सिर्फ दो लोगों का फैसला नहीं है। परिवार का भी इसमें काफी इनवाल्वमेंट होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हम बहुत सारी चीजें देखते हैं, लेकिन उसके बारे में बात नहीं करते। जब आप फिल्म देखेंगे तो समझेंगे कि मैं क्या कहना चाह रहा हूं। अगर आप बच्चा गोद लेना चाहते हैं तो जरूर लें। मुद्दा यही है कि सबको प्यार दो।

आनस्क्रीन पिता बनने का अनुभव कैसा रहा?

(हंसते हुए) खतरनाक अनुभव रहा। मैं सुनता हूं कि मां-बाप पागल हो जाते हैं अगर उनके बच्चे को कुछ हो जाए। इस फिल्म को करने के बाद समझ आया कि उनकी मनोस्थिति क्या होती है। अच्छा अनुभव रहा। कई बार पिता अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते। मैं अपने पिता को देखता था कि मम्मी ही उनकी सारी बातें बोलती थीं।

फिल्म के एक गाने में आप मन्नत मांग रहे हैं।

असल जिंदगी में कितने धार्मिक हैं?

मेरी हार्डकोर कोशिश रहती है कि सबसे बेहतरीन इंसान बनूं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस जाति या मजहब से हैं। आपका अच्छा इंसान होना बेहद जरूरी है। मन से सबको प्यार करना सीख लो। सबको प्यार बांटो, भले ही वो आपसे गुस्सा हो। मैं बस यही कोशिश कर रहा हूं।

फिल्म का नाम ‘आईबी 71’ रखने की कोई खास वजह? आपके पिता सेना में थे तो कुछ जानकारी आपके पास पहले से रही होगी?

लोग यह तो जानते हैं कि अमेरिका की एजेंसी एफबीआई है, लेकिन हमारे देश की सीक्रेट सर्विस इंटेलिजेंस ब्यूरो के बारे में बहुत सारे लोग नहीं जानते। उन्हें लग रहा है कुछ नहीं हो रहा। तो उसकी कुछ कहानी है। उसके बारे में बताना जरूरी है। हमारा कर्तव्य है कि लोगों को बताएं कि देश पर होने वाले हमलों को कौन रोक रहा है। हां, इंटेलिजेंस के बारे में मुझे थोड़ी जानकारी थी। इस फिल्म के दौरान उसके बारे में काफी कुछ जाना व सीखा।

‘सम्राट पृथ्वीराज’ की कहानी अभी आई है। अब उनके अवशेष लाने की कहानी ‘शेर सिंह राणा’ में ला रहे हैं...

यह अहम कहानी है। जब हममें क्षमता है तो इस पर फिल्म बननी चाहिए। मुझे तो पता ही नहीं था कि ऐसा हुआ भी था।

आपके जीवन की असल अग्निपरीक्षा क्या रही है?

अग्निपरीक्षा बहुत बड़ा शब्द है। बहुत किस्मतवाले होते हैं वे लोग, जिन्हें इससे गुजरना पड़ता है। मेरी ऐसी कोई अग्निपरीक्षा हुई नहीं। मैं किसी छोटी सी बात को बोल दूं कि अग्निपरीक्षा थी कि बहुत मुश्किल से काम मिला तो यह सब नार्मल है।


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