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जूही ने खोली पोल: बिना डायलॉग, बिना स्क्रिप्ट के 90 के दशक में होती थी शूटिंग, फैन्स करते थे करामात

जूही की फिल्म एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा 1 फरवरी को रिलीज होने जा रही है. इस फिल्म में अनिल कपूर और सोनम कपूर भी अहम भूमिका में नजर आने वाले हैं.

By Rahul soniEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 05:59 PM (IST)Updated: Sun, 03 Feb 2019 08:11 AM (IST)
जूही ने खोली पोल: बिना डायलॉग, बिना स्क्रिप्ट के 90 के दशक में होती थी शूटिंग, फैन्स करते थे करामात
जूही ने खोली पोल: बिना डायलॉग, बिना स्क्रिप्ट के 90 के दशक में होती थी शूटिंग, फैन्स करते थे करामात

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई. जूही चावला ने खास बातचीत करते हुए 90 के दशक में बनी फिल्मों के समय को याद किया और कई सारे बातेें शेयर की। वे कहती हैं कि अब जब देखती हूं कि सारी स्क्रिप्ट ढंग से लिखी रहती है तो मुझे आश्चर्य होता है. हमारे जमाने में तो लोग कहानी लिख कर नहीं लाते थे. सबकुछ सेट पर ही होता था. वह कहती हैं कि उस वक्त मैं भी नयी थी. मुझे पता नहीं था. वो लोग रात भर सीन बैठकर बनाते थे फिर सुबह सीन आते थे. डायलॉग वहीं सेट पर राइटर आते थे और डायरेक्टर के साथ बैठकर लिख देते थे. हम बैठकर तैयार होते रहते थे फिर सीन आता था और डायलॉग हाथ से लिखा हुआ. हमें स्क्रिप्ट मिलती ही नहीं थी. 

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वह आगे कहती हैं कि जब हमें फिल्म आॅफर होती थी तो पांच छह लाइन की कहानी निर्देशक हमें बता देता था कि लड़का यहां मिलेगा लड़की यहां मिलेगी फिर ये ये होगा और फिल्म खत्म. ये एक्टर हैं ये प्रोडयूसर हैं . बस उसी पर अपनी गट् फीलिंग पर फिल्म को हां बोल देते थे. 

जूही आगे कहती हैं कि मैं इस बात को कहने के साथ-साथ ये भी कहना चाहूंगी कि आईना फिल्म की पूरी स्क्रिप्ट लिखी हुई थी. डर की भी बाऊंड स्क्रिप्ट थी. यशजी ने बैठकर मुझे पूरी फिल्म सुनायी थी. कुछ मेकर्स थे जो ऐसे काम करते थे. वैसे मेरे करियर की बेस्ट फिल्मों में से एक ''हम है राही प्यार के'' बनते बनते ऐसे ही बनी थी. सबकुछ सेट पर ही लिखा जाता था। लेकिन आज देखती हूं कि सोनम कपूर अपनी पूरी तैयारी करके आती हैं. मैंने उनसे पूछा भी कि तुम निर्देशक से सेट पर कोई सवाल नहीं करती हो. तब सोनम ने बताया कि पूरी प्लानिंग हो जाती है. पहले से तैयारी होती है. हमारे जमाने में ऐसा नहीं था.

यह पूछे जाने पर कि 90 के दशक में सोशल मीडिया नहीं था, तब फैन्स किस तरह खुशी जाहिर करते थे. वह कहती हैं कि घर पर चिठ्ठियां आती थी. खासकर कयामत से कयामत तक की रिलीज के बाद। हर रोज कम से कम सौ खत आते थे. ब्लू , फोल्ड वाले. पापा बहुत ही उत्साहित रहते थे. वो सभी को खुद से रिप्लाय करते थे. मुझे वो लिखकर सुनाते भी थे. वो चाहते थे कि हर फैंस तक मेरा जवाब पहुंचे. लोगों इतने प्यार से भेजा हैं. इस बात को भी कहना चाहूंगी कि जैसे जैसे काम बढ़ता गया. ये सब भी छूट गया. चिट्ठियों के अलावा मेरे वक्त मे फैंस एलबम लेकर आते थे. मैगजीन, न्यूजपेपर, पोस्टकार्ड वाली फोटोज के एलबम निकाल निकाल कर पूरी एलबम मेरी फोटोज की बनाकर ले आते थे. उसको बहुत अच्छे से डेकोरेट भी करते थे। कई बार तो ऐसा होता था कि मेरे पास भी कई तस्वीरें नहीं होती थी. मैं कहती थी कि आप मुझे ही ये एलबम दे दीजिए. अभी भी वैसे कई एलबम मेरे पास होंगे.

बता दें कि जूही की फिल्म एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा 1 फरवरी को रिलीज होने जा रही है. 

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