'इसलिए हॉलीवुड से पीछे है हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री'
हिंदुस्तानी थियेटरों में गर्मी की छुट्टियों में हर साल हॉलीवुड की एक्शन फिल्मों की धूम रहती है। पिछले महीने ‘फास्ट एंड फ्यूरियस 7’ आई थी। उसने तगड़ी कमाई की। हाल के दिनों में ‘एवेंजर्स’ की नई सीरीज आई। वो भी दर्शकों के दिलों पर छा गई। इस बारे में बॉलीवुड
मुंबई। हिंदुस्तानी थियेटरों में गर्मी की छुट्टियों में हर साल हॉलीवुड की एक्शन फिल्मों की धूम रहती है। पिछले महीने ‘फास्ट एंड फ्यूरियस 7’ आई थी। उसने तगड़ी कमाई की। हाल के दिनों में ‘एवेंजर्स’ की नई सीरीज आई। वो भी दर्शकों के दिलों पर छा गई।
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इस बारे में बॉलीवुड एक्टर जॉन अब्राहम कहते हैं, ‘उन फिल्मों का निर्माण बडे़-बड़े स्टूडियो करते हैं, जिनका डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क बहुत स्ट्रॉन्ग है। वो साथ ही बजट और तकनीक में हमसे बहुत आगे हैं।’
किन एक्सपेरिमेंट्स से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री विकास कर सकती है? इस सवाल पर जॉन कहते हैं, ‘आने वाला समय विजुअल सिनेमा का है। जिनके विजुअल अलहदा होंगे, उनकी फिल्में पसंद की जाएंगी। उन लोगों ने अपनी फिल्मों को ढेर सारी भाषाओं में डब करके रिलीज करने का काम भी किया है। इससे ऑडियंस बेस में काफी इजाफा हुआ है। अगर हम भी ऐसा एक्सपेरिमेंट करें तो यकीनन हमारी फिल्मों का फलक बड़ा होगा। हमारे फैन बेस में भी इजाफा होगा। बहरहाल सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि हम तकनीक में पीछे हैं। इसके साथ ही यहां बड़े स्केल की फिल्में बनाने पर भी ज्यादा वक्त नहीं दिया जाता।’
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जेम्स बॉन्ड की फिल्मों का उदाहरण देते हुए जॉन कहते हैं, ‘जेम्स बॉन्ड की ‘स्पेक्टर’ पर पिछले साल से काम हो रहा है। इन दिनों भी वो विभिन्न देशों में शूट हो रही है। उसकी शूटिंग पर छह-सात महीने खर्च हो रहे हैं। तब वो फिल्म इस साल के दूसरे हाफ मे रिलीज होगी। ऐसे में फिल्म अच्छी बनकर निकलेगी ही। हमें भी इस मिजाज की फिल्में बनानी चाहिए।’