Move to Jagran APP

बर्थडे विशेष: जगजीत सिंह में था रूह में उतर जाने का हुनर

आज भले जगजीत हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज व उसकी भीनी-भीनी खुशबू हमेशा हमारे दिलों में बसी रहेगी

By Hirendra JEdited By: Published: Wed, 08 Feb 2017 08:32 AM (IST)Updated: Wed, 08 Feb 2017 08:49 AM (IST)
बर्थडे विशेष: जगजीत सिंह में था रूह में उतर जाने का हुनर
बर्थडे विशेष: जगजीत सिंह में था रूह में उतर जाने का हुनर

एस पी सिंह, मुंबई। जगजीत सिंह को बयां करने के लिए दो अल्फाज़ काफी हैं और वो है, खुद उनका नाम। मखमली आवाज से रूह में उतरने का हुनर रखने वाले जगजीत को 'होठों से छू लो तुम', 'झुकी झुकी सी नजर', 'होश वालों को ख़बर क्या', 'चिट्ठी न कोई संदेश', 'ये दौलत भी ले लो' व ऐसे ही अनगिनत गजलों-नज्मों को अमर बनाने का श्रेय जाता है।

loksabha election banner

अपनी जादुई आवाज से श्रोताओं को एक अजीब सा सुकून देने वाले जगजीत सिंह का जन्म आठ फरवरी, 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में हुआ था। उनका परिवार मूल रूप से पंजाब के रोपड़ जिले के दल्ला गांव का रहने वाला था। जगजीत की शुरुआती शिक्षा गंगानगर में हुई और बाद में जालंधर में पढ़ाई की। पिता सरदार अमर सिंह धमानी सरकारी कर्मचारी थे। जगजीत सिंह को संगीत पिता से विरासत में मिला। वह 1965 में मुंबई आ गए। 1967 में उनकी मुलाकात गजल गायिका चित्रा से हुई। इसके दो साल बाद 1969 में दोनों विवाह बंधन में बंध गए। जगजीत-चित्रा ने साथ में कई गजलें गाईं। दोनों संगीत कार्यक्रमों में अपनी जुगलबंदी से समां बांध देते। उन्हें बेटा विवेक था, जिसकी वर्ष 1990 में एक कार हादसे में मौत हो गई। उस समय उसकी उम्र 18 साल थी। इकलौते बेटे की असमय मौत ने चित्रा को पूरी तरह तोड़ दिया और उन्होंने गायकी से दूरी बना ली। गजल के बेताज बादशाह जगजीत को करीब से जानने वालों का मानना है कि उनकी गजलों में महसूस होने वाली तड़प व दुख उनकी इसी अति निजी क्षति की वजह से था।

रियल लाइफ में ये 7 Bollywood stars पहनते हैं Specs, पर हां इन्हें बैटरी नहीं बोलने का

जगजीत को दुनिया में गजल को आम आदमी तक पहुंचाने का श्रेय जाता है। उनकी पहली एलबम 'द अनफॉरगेटेबल्स' (1976) हिट रही। उन्होंने गजलों को जब फिल्मी गानों की तरह गाना शुरू किया, तो आम आदमी ने गजल में दिलचस्पी दिखानी शुरू की। उन्होंने 'झुकी झुकी सी नजर बेकरार है कि नहीं', 'तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो', 'तुमको देखा तो ये ख्याल आया', 'प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है', 'होश वालों को खबर क्या', 'कोई फरियाद', 'होठों से छू लो तुम', 'ये दौलत भी ले लो', 'चिठ्ठी न कोई संदेश' जैसी फिल्मी गजलें पेश कीं। वहीं गैरफिल्मी फेहरिस्त में 'कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा', 'सरकती जाए है रुख से नकाब आहिस्ता-आहिस्ता', 'वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी' जैसी मशहूर गजलें शुमार हैं। जगजीत सिंह ने 150 से ज्यादा एलबम बनाईं। फिल्मों में गाने भी गाए, लेकिन गजल व नज्म के लिए उन्हें विशेष रूप से लोकप्रियता प्राप्त है।

इसे भी पढ़ें: संजय दत्त की तरह लगने लगे है न रणबीर, देखिये तस्वीरें

10 अक्टूबर, 2011 को गजल सम्राट सदा के लिए खामोश हो गए। उन्होंने अंतिम सांस मुंबई के लीलावती अस्तपाल में ली। उनके आकस्मिक निधन पर पाश्र्व गायिका आशा भोसले ने शोक जताते हुए कहा था कि उनकी आवाज सुनकर हर कोई दीवाना हो जाता था। वह हिंदुस्तान का गर्व थे। अभिनेत्री शबाना आजमी ने कहा था कि उनकी आवाज में इतनी सच्चाई व मिठास इसलिए भी थी, क्योंकि वह बहुत अच्छे इंसान थे। बॉलीवुड के 'शोमैन' सुभाष घई ने कहा था कि जगजीत का जाना, मेरा बहुत बड़ा नुकसान है। चित्रा सिंह ने अपने गजलकार पति के लिए भारत रत्न की मांग करते हुए कहा था कि 'मेरे ख्याल से वह भारत रत्न के हकदार हैं। इससे कम के नहीं। देश को उनका ऋण जरूर चुकाना चाहिए।'

इसे भी पढ़ें: दंगल जीत कर भी इस फिल्म का रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाए आमिर खान

आज भले जगजीत हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज व उसकी भीनी-भीनी खुशबू हमेशा हमारे दिलों में बसी रहेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.