नसीरूद्दीन शाह के बेटे इमाद ने कहा, ‘पापा को काम करते देखना काफी डरावना होता था’
आखिर ऐसा क्या करते थे नसीरूद्दीन शाह, कि बेटे इमाद को उनसे डर लगता था। इमाद ने इस वेटरन एक्टर के कई राजों से पर्दा उठाया है, जिनसे आपके जहन में बसी उनकी छवि बदल सकती है।
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। वेटरन एक्टर नसीरुद्दीन शाह ने 20 जुलाई को उम्र के 67 साल पूरे कर लिए। इस मौके पर उनके बड़े बेटे इमाद शाह ने बचपन की यादों को हमारे साथ साझा किया।
इमाद याद करते हुए कहते हैं- "जिस तरह बच्चों को बचपन में खिलौने मिलते थे, हमें पापा (नसीरुद्दीन शाह) से थिएटर की दुनिया मिली। हमने आँखें खुलते ही थिएटर में कदम रख लिया था, और उस वक्त मैं चार-पांच साल का था। हमारे लिए प्लेग्राउंड जैसा ही था थिएटर।"
एक्टिंग के अलावा म्यूजिक में खास दिलचस्पी रखने वाले इमाद बताते हैं, कि चार-पांच साल की उम्र में ही उन्होंने जूलियट सीजर, महात्मा वर्सेज गांधी प्ले में अभिनय कर लिया था, और इसकी वजह नसीरूद्दीन शाह ही थे।
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नसीर साहब ने बेंजामिन गिलानी के साथ मिलकर एक थिएटर कंपनी भी शुरू की थी। इमाद कहते हैं- "बचपन में जब थिएटर में उन्हें नजदीक से काम करते देखता था तो वो काफी डरावना होता था । लगता था, कि पापा बेवजह ही इतना क्यों थकाते हैं, लेकिन अब उनकी बात समझ आती है। पापा आज भी घंटों किसी शो से पहले रिहर्सल वर्कशॉप करते हैं।"
ये थिएटर की ही देन है, कि नसीरूद्दीन शाह फिल्मों में भी अपने किरदारों से प्रभावित करते हैं। इमाद के मुताबिक, नसीरूद्दीन मानते हैं कि थिएटर वर्कशॉप से टेक्नीकल जानकारी, वॉइस क्लेरिटी, स्क्रिप्ट की परख और किरदारों की समझ बढ़ती है, जो फिल्म या थेयटर में यह बेहद जरूरी है।
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बचपन के लम्हे याद करते हुए इमाद ने कहा- “वो और मां जमकर काम करते थे। मुझे याद है, जब घर पर नानी (दीना पाठक), मां (रत्ना पाठक) और पापा खूब मस्ती करते थे, लेकिन काम के वक्त वो काफी गंभीर रहते थे। इमाद को अपने पिता की फिल्मों में मकबूल व बॉम्बे बॉयज बेहद पसंद हैं।