चुनौती स्वीकारना पसंद है सैफ को
सैफ अली खान को चुनौतियां स्वीकार पसंद हैं। नवाबों के परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद सैफ न तो बिजनेस किया और न ही पिता की तरह क्रिकेटर बनने की कोशिश की। उन्होंने अपने लिए मुश्किल रास्ता चुना और चल पड़े एक्टर बनने। उनकी शुरुआत जरूर धीमी रही, लेकिन एक बार लय पकड़ने के बाद आज सैफ बॉलीवुड के सबसे सफल अभि
नई दिल्ली। सैफ अली खान को चुनौतियां स्वीकार पसंद हैं। नवाबों के परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद सैफ न तो बिजनेस किया और न ही पिता की तरह क्रिकेटर बनने की कोशिश की। उन्होंने अपने लिए मुश्किल रास्ता चुना और चल पड़े एक्टर बनने। उनकी शुरुआत जरूर धीमी रही, लेकिन एक बार लय पकड़ने के बाद आज सैफ बॉलीवुड के सबसे सफल अभिनेताओं में शामिल है। आज जूनियर पटौदी 43 बरस के हो गए हैं।
सैफ के बारे में और ज्यादा जानिए
बॉलीवुड के आशिक मिजाज अभिनेता सैफ अली खान का जन्म 16 अगस्त, 1970 को पटौदी के नवाब मंसूर अली खान पटौदी के घर हुआ था। नवाब पटौदी भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान थे। सैफ अली खान की मां शर्मिला टैगोर हिन्दी फिल्मों की अभिनेत्री रह चुकी हैं। सैफ अली खान की बहन सोहा अली खान भी हिन्दी फिल्मों की अभिनेत्री हैं। उनकी दूसरी बहन साबा अली खान हैं।
सैफ अली खान नवाबों के परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनका जन्म पटौदी के नवाबों के घर हुआ। उनके पिता ने मशहूर अभिनेत्री शर्मिला टैगौर से शादी की थी। पिता की तरह ही सैफ अली खान ने अपनी पहली शादी अपनी उम्र से बड़ी और अभिनेत्री अमृता सिंह के साथ की। लेकिन साल 2004 में दोनों अलग हो गए। उनके दो बच्चे भी हैं।
इसके बाद आशिक मिजाज नवाब का दिल आया रोजा काटालानो पर, जो एक स्विस मॉडल थीं। पर इनके साथ भी सैफ का सफर अधिक दिनों का नहीं रहा। साल 2007 से सैफ अली खान और अभिनेत्री करीना कपूर के अफेयर की खबरें बॉलीवुड मैगजीनों की हेडलाइन बनने लगी। काफी दिनों तक प्यार करने के बाद दोनों विवाह के बंधन में बंध गए।
सैफ ने फिल्म 'परंपरा' (1992) से बतौर अभिनेता अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन यह फिल्म कोई खास कमाल नहीं कर सकी। लेकिन इसके बाद आई फिल्म 'आशिक आवारा' के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट मेल डेब्यू अवार्ड मिला। इसके बाद उन्होंने कई फिल्में की पर कोई सफल नहीं हो सकी। 'मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी', 'यह दिल्ली', 'कच्चे धागे', 'हम साथ-साथ हैं' जैसी मल्टीस्टारर फिल्मों में तो उन्होंने बेहतरीन अभिनय किया पर एक अभिनेता के तौर पर वह अकेले किसी फिल्म को सफल नहीं करा सके।
फिल्म 'आशिक आवारा' से लेकर फरहान अख्तर की 'दिल चाहता है' तक सैफ ने दो दर्जन से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया, पर खुद को समकालीन अभिनेताओं की तुलना में साबित नहीं कर पाए थे। ऐसे में 'दिल चाहता है' सैफ के करियर में यू टर्न लेकर आयी। आमिर खान, अक्षय खन्ना जैसे प्रतिभावान सितारों की मौजूदगी में भी सैफ अपनी बेहतरीन संवाद अदायगी और हाजिरजवाबी से दर्शकों को आकर्षित करने में सफल रहे।
'दिल चाहता है' के बाद सैफ अली खान ने 'कल हो ना हो', 'हम-तुम', 'सलाम-नमस्ते', 'एक हसीना थी' और 'परिणिता' जैसी फिल्मों में काम किया। हम तुम में पहली बार सैफ अली खान ने अकेले अभिनय करते हुए फिल्म को हिट करवाया। इस फिल्म के लिए सैफ को पहली बार फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड मिला। इस फिल्म के लिए सैफ को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।
साल 2007 में आई फिल्म ओमकारा के लिए भी सैफ अली खान को सर्वश्रेष्ठ विलेन का फिल्मफेयर अवार्ड मिला। सैफ ने फिल्म युवा डायरेक्टर इम्तियाज अली की फिल्म 'लव आजकल' (2009) से बतौर निर्माता शुरुआत की। इस फिल्म में वह खुद अभिनेता थे। यह फिल्म एक हिट साबित हुई और वह श्रीराम राघवन की 'एजेंट विनोद' के भी प्रोड्यूसर थे।
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