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दूसरी अभिनेत्रियों के लिए मिसाल हैं राखी गुलजार

हिन्दी सिनेमा जगत में एक धारणा है कि एक समय के बाद अभिनेत्रियों को लोग पर्दे पर देखना पसंद नहीं करते क्योंकि मुख्य अभिनेत्री के तौर पर उनकी जगह बनती नहीं और बूढ़ी मां या बहन के किरदार एक समय की हिट हीरोइनें करती नहीं, लेकिन इसके कुछ अपवाद भी हैं जैसे राखी गुलजार। अपने पति गुलजार की तरह सदाबहार रहने वाली राखी ने हिन्

By Edited By: Published: Thu, 15 Aug 2013 09:58 AM (IST)Updated: Thu, 15 Aug 2013 10:06 AM (IST)
दूसरी अभिनेत्रियों के लिए मिसाल हैं राखी गुलजार

हिन्दी सिनेमा जगत में एक धारणा है कि एक समय के बाद अभिनेत्रियों को लोग पर्दे पर देखना पसंद नहीं करते क्योंकि मुख्य अभिनेत्री के तौर पर उनकी जगह बनती नहीं और बूढ़ी मां या बहन के किरदार एक समय की हिट हीरोइनें करती नहीं, लेकिन इसके कुछ अपवाद भी हैं जैसे राखी गुलजार। अपने पति गुलजार की तरह सदाबहार रहने वाली राखी ने हिन्दी सिनेमा जगत में ऐसी मिसाल पैदा की है, जो काबिलेतारीफ है। एक ही अभिनेता के साथ जोड़ी बनाने के अलावा उसकी मां का रोल निभाना बहुत हिम्मत का काम है। राखी ने इस चुनौती को स्वीकारा और ऐसे रोल करके दिखाए।

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पश्चिम बंगाल के रानाघाट में राखी का जन्म उसी दिन हुआ था, जब भारत को आजादी मिली थी। राखी ऐसी अभिनेत्री हैं, जिन्होंने बॉलीवुड में अपनी पहचान खुद बनाई क्योंकि उनके परिवार का फिल्मों से कोई नाता नहीं रहा। उनके पिता जूतों का व्यापार किया करते थे। युवावस्था में राखी की शादी बंगाली फिल्म निर्देशक अजय विश्वास से हुई थी, पर यह शादीज्ज्यादा दिन नहीं चल पाई।

राखी गुलजार ने पहली बार बंगाली फिल्म 'बधु बरन' से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। 20 साल की उम्र में यह उनकी पहली फिल्म थी। फिल्म एक हिट साबित हुई और देखते ही देखते राखी गुलजार को हिन्दी फिल्मों में काम मिलना शुरू हो गया। 1970 में फिल्म 'जीवन मृत्यु' से राखी ने बॉलीवुड में कदम रखा। यह फिल्म भी हिट रही। इसके बाद 1971 में उन्होंने 'शर्मीली' के द्वारा हिन्दी सिनेमा जगत में सफल हीरोइनों में अपना नाम दर्ज करा लिया। हालांकि उन्हें इसके बाद लीड हिरोइनों की जगह सह अभिनेत्रियों के रोलज्ज्यादा मिले जिसे उन्होंने पूरे मन से निभाए। उनका मानना था कि कोई भी रोल छोटा या बड़ा नहीं होता।

हीरा पन्ना, दाग, तपस्या जैसी फिल्मों में उन्होंने छोटे रोल निभा कर भी खूब वाहवाही बटोरी। राखी और अमिताभ च्च्चन की जोड़ी को बालीवुड की हिट जोडिय़ों में से एक माना जाता है। अमिताभ च्च्चन के साथ उन्होंने आठ हिट फिल्में दीं जिनमें कभी-कभी, कस्मे वादे, मुकद्दर का सिकंदर, त्रिशूल, काला पत्थर, जुर्माना, बरसात की एक रात आदि शामिल हैं। इन फिल्मों में जहां एक ओर राखी ने अमिताभ च्च्चन के साथ लीड रोल निभाया, तो वहीं शान में अमिताभ च्च्चन की भाभी और शक्ति में वह उनकी मां बनी थीं। राखी के किरदारों की विविधता थी कि उनकी बॉलीवुड में अलग पहचान बनी।

1985 के बाद जब उन्हें लीड रोल मिलना बंद हो गया, तब भी उन्होंने हार नहीं मानी और फिल्मों में मां और विधवाओं के रोल निभाना स्वीकार किया। यह एक साहसिक कदम था और यहां भी राखी को सफलता ही मिली। डकैत, राम-लखन, सौगंध, खलनायक, क्षत्रिय, अनाड़ी, बाजीगर, करन-अर्जुन, बॉर्डर, सोल्जर, एक रिश्ता- द बॉन्ड ऑफ लव और दिल का रिश्ता जैसी फिल्मों में उन्होंने बहुत ही जानदार एक्टिंग की। उम्र के इस दहलीज पर भी उनका अभिनय कम नहीं हुआ।

राखी भी बॉलीवुड की उन हस्तियों में शामिल रही, जो प्रोफेशनल लाइफ में सफल रहीं, लेकिन पर्सनल लाइफ में असफनल। उन्होंने गीतकार गुलजार के साथ दूसरी शादी, लेकिन जब उनकी बेटी महज एक साल की थी, दोनों में अलगाव हो गया। भले ही औपचारिक तौर पर दोनों ने कभी तलाक नहीं लिया, लेकिन दोनों तब से अलग ही रह रहे हैं।

उपलब्धियां

1973 में फिल्म दाग: ए पोयम ऑफ लव के लिए सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार

1976 में फिल्म तपस्या के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार।

1989 में फिल्म राम-लखन के लिए सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार।

2003 में फिल्म शुभो मुहुर्त के लिए सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री का नेशनल अवार्ड।

2003 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित।

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