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बॉलीवुड में बोल्ड फिल्मों के जनक हैं महेश भट्ट

भारतीय सिनेमा का एक दौर ऐसा भी था, जब फिल्मों में किसिंग सीन और बेड सीन बेहूदा माने जाते थे। हिन्दी सिनेमा के दर्शकों को फिल्मों में साफ सुथरा समाज ही देखने की आदत थी। कभी-कभी कुछ फिल्मकारों ने समाज की बेड़ियां तोड़ने की कोशिश भी की ,लेकिन समाज ने इसे स्वीकार नहीं किया। फिर आया दौर महेश भट्ट जैसे फिल्मकारों का जि

By Edited By: Published: Fri, 20 Sep 2013 09:56 AM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2013 11:15 AM (IST)
बॉलीवुड में बोल्ड फिल्मों के जनक हैं महेश भट्ट

भारतीय सिनेमा का एक दौर ऐसा भी था, जब फिल्मों में किसिंग सीन और बेड सीन बेहूदा माने जाते थे। हिन्दी सिनेमा के दर्शकों को फिल्मों में साफ सुथरा समाज ही देखने की आदत थी। कभी-कभी कुछ फिल्मकारों ने समाज की बेड़ियां तोड़ने की कोशिश भी की ,लेकिन समाज ने इसे स्वीकार नहीं किया। फिर आया दौर महेश भट्ट जैसे फिल्मकारों का जिन्होंने अपनी सोच से सभी बंदिशें तोड़ कर एक अलग राह बनाई। अर्थ, सारांश, जनम, नाम, काश, डैडी, तमन्ना और जख्म जैसे संवेदनशील फिल्में बनाने के कारण ही आज महेश भट्ट का नाम बॉलीवुड के दिग्गज फिल्मकारों में लिया जाता है। महेश भट्ट ने फिल्मों में बोल्ड मसाले की सही शुरुआत की, जिसे वह नए दौर की मर्डर- 2 तक जारी रखे हुए हैं। आज वही महेश भट्ट 65 साल के हो गए हैं।

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महेश भट्ट का के पिता नानाभाई भट्ट हिंदू धर्म से संबंधित एक मशहूर फिल्म निर्माता थे और उनकी मां एक शिया मुसलमान। उनके माता-पिता ने प्रेम विवाह किया था। नानाभाई भट्ट ने महेश भट्ट की माता से दूसरी शादी की थी इसलिए दोनों का परिवार अलग ही रहता था। बचपन से ही महेश भट्ट अपने पिता से दूर रहे।

स्कूल के दौरान से ही वह मेधावी थे. गर्मियों की छुट्टियों के दौरान वह छोटे-मोटे काम कर मां का हाथ बंटाते थे। 20 साल की उम्र से ही उन्होंने विज्ञापनों के लिए लिखना शुरू कर दिया।

महेश भट्ट ने अपने करियर की शुरुआत हिन्दी फिल्मों के निर्देशक राज खोसला के सहायक के तौर पर की। 21 साल की उम्र में ही वर्ष 1970 में उन्होंने फिल्म सकट के रूप में पहली फिल्म निर्देशित की। एक युवा फिल्म निर्देशक होने की वजह से शुरू में तो उन्हें फ्लॉप फिल्में ही करनी पड़ी जिसमें वह कुछ खास छाप नहीं छोड़ सके। लेकिन कुछ समय बाद साल 1979 में आई [लहू के दो रंग] ने उन्हें सफलता का स्वाद चखाया। इसके बाद उन्होंने अपने ही जीवन से प्रेरित होकर फिल्म बनाई [अर्थ] फिल्म हिट रही साथ ही इंडस्ट्री में एक ऐसे निर्देशक की छवि उभरी जो फिल्मों को हिट कराने के लिए सभी फार्मूले इस्तेमाल करने का माद्दा रखता था। इसके बाद तो जैसे महेश भट्ट ने कभी पीछे मुड़ कर देखा ही नहीं।

हालांकि एक दौर ऐसा भी था जब महेश भट्ट अपनी फिल्मों से ज्यादा अपनी निजी जिंदगी को लेकर चर्चा में रहे। कई लोग उन्हें एक नाजायज संतान मानते हैं और अफवाहों के बाजार में यह खबर भी गर्म रही कि उनके और परवीन बॉबी के बीच विवाहेत्तर संबंध थे।

1985 में उन्होंने फिल्म [जनम] के जरिए अपनी निजी जिंदगी को पर्दे पर उतारने की कोशिश की जिसकी बहुत प्रशंसा हुई। लीक से हटकर फिल्में बनाना और उन्हें हिट करवाने के लिए सभी मसाले डालना महेश भट्ट को बखूबी आता था. इसी दौर में आई [आशिकी] और [नाम] जैसी फिल्मों में भी उन्होंने अपनी जिंदगी के पन्नों को ही उजागर किया।

1987 में उन्होंने अपना प्रोडक्शन हाउस विशेष फिल्म्स के नाम से शुरू किया. नाम, काश, डैडी, तमन्ना, सड़क, हम हैं राही प्यार के, दुश्मन, गैंगेस्टर, वो लम्हे जैसी फिल्में बनाने वाले महेश भट्ट आज बॉलीवुड के सबसे नामी फिल्मकारों में से एक बन चुके हैं। उनकी और उनके बैनर के तले काम करने की तमन्ना हर अभिनेत्री की होती है।

महेश भट्ट का निजी जीवन हमेशा चर्चा में ही रहा है। 1970 में उन्होंने किरण भट्ट से शादी की थी जिनके द्वारा उनके दो बच्चे पूजा भट्ट और राहुल भट्ट हैं। माना जाता है कि फिल्म आशिकी उनके और किरण भट्ट की जिंदगी पर ही आधारित है। लेकिन बाद में परवीन बॉबी के साथ उनका अफेयर होने के चक्कर में उन्हें किरण भट्ट से अलग होना पड़ा। महेश भट्ट ने अपनी दूसरी शादी अभिनेत्री सोनी राजदान से की। महेश भट्ट किसी समय ओशो रजनीश के अनुयायी थे। महेश भट्ट के व्यक्तित्व में ओशो की शिक्षा का असर भी देखने को मिलता है।

1984 में उनकी फिल्म अर्थ को फिल्मफेयर बेस्ट स्क्त्रीन प्ले अवार्ड से सम्मानित किया गया था। 1985 में फिल्म सारांश के लिए उनकी फिल्म को बेस्ट स्टोरी अवार्ड से नवाजा गया था। 1994 में फिल्म हम हैं राही प्यार के को नेशनल फिल्म अवार्ड दिया गया और 1999 में फिर उनकी फिल्म जख्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट स्टोरी अवार्ड से सम्मानित किया गया।

संवेदनशील मुद्दों और सामाजिक पहलुओं को सिनेमा के माध्यम से जनता तक पहुंचाने का जो साहसिक कार्य महेश भट्ट ने किया है वह अतुलनीय है। महेश भट्ट फिल्मों से जुड़े होने के बाद भी समय-समय पर सामाजिक मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखते रहे हैं।

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