शब्दों के शहंशाह कादर खान ने लिखा था...विजय दीनानाथ चौहान पूरा नाम, बाप का नाम दीनानाथ चौहान...
Happy Birthday Kader Khan कादर खान बॉलीवुड के बेहतरीन अभिनेता थे। 1973 में फिल्म दाग से डेब्यू करने वाले कादर ने 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया।
नई दिल्ली, जेएनएन। Happy Birthday Kader Khan : कादर खान बॉलीवुड के बेहतरीन अभिनेता थे। 1973 में फिल्म दाग से डेब्यू करने वाले कादर ने 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। हर रोल को, चाहे वह कॉमेडी हो या चरित्र किरदार कादर खान ने पूरी ईमानदारी से जिया। 31 दिसंबर 2018 को उनका निधन हो गया था। हम कादर खान के बेहतरीन अभिनय के बारे में अच्छी तरह जानते हैं। पर कम लोगों को ही मालूम होगा कि उन्होंने बॉलीवुड की कई हिट फिल्मों के डायलॉग भी लिखे हैं। उन्होंने कई फिल्मों के लिए पटकथाएं भी लिखीं हैं। आइये कादर खान के जन्मदिन के मौके पर हम आज उनके कुछ बेहतरीन डायलॉग के बारे में जानते हैं।
1- फिल्म : मुक़द्दर का सिकंदर (1978)
फिल्म मुक़द्दर का सिकंदर में फ़कीर बाबा बने कादर ख़ान ज़िंदगी का मर्म अमिताभ बच्चन को समझाते हैं। 'सुख तो बेवफ़ा है आता है जाता है, दुख ही अपना साथी है, अपने साथ रहता है। दुख को अपना ले तब तक़दीर तेरे क़दमों में होगी और तू मुक़द्दर का बादशाह होगा।
2- फिल्म : कुली (1983)
इस सुपर हिट फिल्म के अभिनेता भी अमिताभ बच्चन थे। इस फिल्म के कई संवाद कादर खान ने ही लिखा है। फिल्म का एक हिट संवाद- 'बचपन से सर पर अल्लाह का हाथ और अल्लाहरख्खा है अपने साथ, बाजू पर 786 का है बिल्ला, 20 नंबर की बीड़ी पीता हूं और नाम है 'इक़बाल'।
3- फिल्म : हिम्मतवाला (1983)
इस फिल्म में कादर खान की कॉमेडि ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन के रूप में स्थापित किया था। फिल्म का एक हिट संवाद- 'मालिक मुझे नहीं पता था कि बंदूक लगाए आप मेरे पीछे खड़े हैं... मुझे लगा, मुझे लगा कि कोई जानवर अपने सींग से मेरे पीछे खटबल्लू बना रहा है।'
4- फिल्म : मिस्टर नटवरलाल (1979)
मिस्टर नटवरलाल अमिताभ की सुपर हिट्स फिल्मों में से एक थी। इस फिल्म में यह संवाद काफी हिट हुआ था - 'आप हैं किस मर्ज़ की दवा, घर में बैठे रहते हैं, ये शेर मारना मेरा काम है ? कोई मवाली स्मग्लर हो तो मारूं मैं शेर क्यों मारूं, मैं तो खिसक रहा हूं और आपमें चमत्कार नहीं है तो आप भी खिसक लो।'
5- फिल्म : अग्निपथ- (1990)
1990 के दशक में अग्निपथ एक सुपर हिट फिल्म थी। इन संवादों को क़ादर ने ही लिखा था।- 'विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उम्र 36 साल 9 महीना 8 दिन और ये सोलहवां घंटा चालू है। '