'अलीगढ़' को नेशनल अवॉर्ड ना मिलने से हंसल मेहता निराश, जानिए क्या कहा
क्रिटिक्स द्वारा सराही गई फ़िल्म अलीगढ़ उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर की बैकग्राउंड पर बनी थी, जिसमें मनोज बाजपेई ने यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर का रोल निभाया था।
मुंबई। शुक्रवार को 64वें नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड्स का एलान किया गया। इस एलान ने जहां कई बॉलीवुड सेलेब्रिटीज़ को ख़ुश होने का मौक़ा दिया है, वहीं कुछ असंतुष्ट रह गए हैं। हंसल मेहता भी ऐसे ही फ़िल्ममेकर हैं, जो नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड्स से निराश हैं।
हंसल को अपनी फ़िल्म अलीगढ़ के लिए काफी उम्मीदें थीं। मगर, नेशनल अवॉर्ड्स की लिस्ट में अलीगढ़ का ना पाकर हंसल दुखी हो गए और उन्होंने ट्वीटर के ज़रिए अपनी नाख़ुशी ज़ाहिर की। हंसल ने लिखा- ''मुझसे लोग फोन करके पूछ रहे हैं, क्या मैंने फ़िल्म को नेशनल अवॉर्ड्स के लिए भेजा था और क्या मुझे इससे निराशा हुई है। हां, मैंने नेशनल अवॉर्ड्स के लिए फ़िल्म भेजी थी और दूसरे कई सहकर्मियों की तरह मुझे भी निराशा हुई है। मैं सभी विजेताओं को बधाई देता हूं।''
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हंसल ने आगे लिखा है कि ज्यूरी के लिए हर साल काम मुश्किल होता जा रहा है और कई लोगों को निराश होना पड़ता है। कुछ अवॉर्ड्स पर बहस की जा सकती है और अच्छे काम की उपेक्षा होने पर अफ़सोस होता है। हालांकि कुछ अच्छी फ़िल्मों को अवॉर्ड मिल रहे हैं और बेहतरीन काम को सराहा जा रहा है। हंसल ने मनोज बाजपेई, राजकुमार राव और फ़िल्म से जुड़े दूसरे लोगों की हौसलाअफ़जाई करते हुए चैंपियन बताया है।
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Am getting calls asking me if Aligarh was entered for the National Awards and if i was disappointed with the.. pic.twitter.com/93cw80iv7b— Hansal Mehta (@mehtahansal) April 7, 2017
हंसल ने एक और ट्वीट में लिखा है कि उनको यही आशा है कि धारा 377 और एलजीबीटीक्यू अधिकारों की जो बहस शुरू हुई थी, वो नज़रअंदाज़ नहीं होगी। अगर अलीगढ़ ने इन मुद्दों पर रौशनी डाली है और भारतीय समाज में उपेक्षित रहा एलजीबीटीक्यू समुदाय सम्मान के साथ आगे बढ़ पाता है तो हम समझेंगे कि हमारा मक़सद पूरा हुआ।
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My only hope is that the debate over Section 377 and LGBTQ rights is not ignored. If Aligarh has shone a light on.. pic.twitter.com/pusrCThOkl— Hansal Mehta (@mehtahansal) April 7, 2017
क्रिटिक्स द्वारा सराही गई फ़िल्म अलीगढ़ उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर की बैकग्राउंड पर बनी थी, जिसमें मनोज बाजपेई ने यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर का रोल निभाया था। प्रोफेसर को उनकी सेक्सुएलिटी की वजह से निकाल दिया जाता है। रियल लाइफ़ से प्रेरित फ़िल्म में राजकुमार राव ने जर्नालिस्ट का रोल निभाया था, जिसने इस इस पूरे प्रकरण को उठाया था।