शिखा धारीवाल, मुंबई। एक वक्त पर बॉलीवुड के सुपरस्टार और कॉमेडी के किंग कहे जाने वाले अभिनेता गोविंदा पिछले कई सालों से बड़े पर्दे से दूर हैं। हालांकि छोटे पर्दे के रियलिटी शो में गोविंदा बतौर जज और बतौर गेस्ट भी शिरकत करते रहते हैं। लेकिन आज भी कई सोशल एक्टिविटीज को सपोर्ट करने के लिए गोविंदा कई इवेंट्स में पहुंचते है। हाल ही में एक इवेंट के दौरान गोविंदा ने बचपन के दिनों को याद करते हुए एक बड़ा खुलासा किया है। गोविंदा ने अपने बीते दिनों को याद करते हुए बताया कि एक वक्त उनकी लाइफ में ऐसा भी आया था, जब उनका शरीर लगातार इंजेक्शन लेने की वजह से पूरा नीला पड़ गया था और हाथ से लेकर कूल्हे तक पूरे शरीर मे इंजेक्शन लगवाने के लिए भी जगह नही बची थी।
गोविंदा कहते हैं कि मैं करीब 7 साल का था जब मुझे एक ऐसी बीमारी हुई, जिसकी वजह से मेरे सिर के बाल झड़ गए थे और यहां तक कि एक आइब्रो पूरी झड़ गयी थी। मैं एकदम दुबला पतला हो गया था। मेरी आवाज पर भी इसका बहुत असर पड़ा था। बस उस वक्त मेरी हालत यह थी कि मैं सिर्फ जिंदा था। मेरी हड्डियां बहुत कमजोर हो चुकी थीं, लेकिन जब भी मैं अपनी मां से पूछता था कि क्या मेरी आवाज भी नाक तक पहुंचने लगी है और कमजोर हो चुकी है तो मेरी मां हमेशा कहती तू चिंता मत कर...तू जल्दी ठीक हो जाएगा।
View this post on Instagram
गोविंदा बात को बढ़ाते हुए आगे कहते हैं, 'मुझे उस वक्त ऐसा लगता था कि शायद मेरी मां मुझे खुश करने के लिए ऐसा कहती है। इसलिए एक दिन मैंने अपने डॉक्टर से पूछा कि क्या मैं वाकई ठीक हो जाऊंगा या मेरी जिंदगी कुछ ही दिन की है। इस पर डॉक्टर साहब ने कहा, गोविंदा तू चिंता मत कर तू एक दिन इतना बड़ा स्टार बनेगा कि लोग तुझे तेरे चेहरे से पहचानेंगे। शायद उस वक्त डॉक्टर साहब की जुबान पर सरस्वती बैठी थीं। उनकी बात सच हो गई और मैं स्टार भी बना और लोगो ने मुझे खूब प्यार भी दिया। लेकिन मैं 7 साल से 14 साल के बीच में काफी बीमार रहा और मुझे नहीं लगा था कि मैं ठीक हो पाऊंगा।'
इसी दौरान मेरी मां मुझसे फकीर और साधु बाबा की खूब सेवा कराया करती थीं क्योंकि उनका विश्वास था कि एक न एक दिन फकीर बाबा की दुआ से ही मैं ठीक जरूर हो जाऊंगा। इस चक्कर मे मेरी मां मुझसे खूब सेवा कराती थी और मुझे यह काम बिल्कुल पसंद नहीं था।
View this post on Instagram
गोविंदा एक पुराना किस्सा याद करते हुए बताते हैं एक बार मेरी मां ने जंगल में मुझे एक फकीर की सेवा करने भेज दिया था। उस फकीर ने सुबह 6:30 बजे से दोपहर के 1:30 बजे तक मुझसे लगातार अपने पैर दबवाए। मैं थक गया और मैंने उस बाबा के सिर में गुस्से में टपली मारी कि तुम को तरस नहीं आता। एक तो मेरी वैसे ही तबीयत ठीक नहीं है ऊपर से तुम मुझसे सुबह से काम करा रहे हो और मैं गुस्सा होकर वहां से चला गया। अब मुझे लगा यह बाबा मुझसे नाराज हो गया होगा क्योंकि मैंने उसके सर पर टपली मारी थी पर जब यह बात मैंने अपनी मां को बताई तो मेरी मां भी गुस्सा हो गयी और उन्होंने मुझे उस बाबा से माफी मांगने को कहा और मेरी मां मुझे उसी बाबा के पास मुझे लेकर गई।
View this post on Instagram
गोविंदा हंसते हुए कहते हैं अब मुझे वापस आया देख कर उस बाबा ने मेरी मां से कहा कि गोविंदा किसी चीज में विश्वास नहीं करता, लेकिन आज मैं इसके शरीर से इसकी बीमारी निकालकर दिखाऊंगा उसको जो दौरे पड़ते हैं अब नहीं पड़ेंगे। फिर क्या था वाकई उस बाबा ने जो इलाज बताया मैं उससे ठीक हो गया और यह मैंने खुद महसूस किया है और देखा है। इसलिए मैं यह कहानी आपको बता रहा हूं कि जिंदगी में सारा खेल ही विश्वास का है अगर आप किसी दवाई को इस विश्वास से खाते हैं क्या ठीक हो जाएंगे तो यकीन मानिए आधा काम आपके विश्वास ने कर ही दिया है पर आपको ठीक होना ही है इसलिए जिंदगी में चाहे जो हो जाये विश्वास जरूर बनाये रखिएगा।
a