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अमिताभ का 'अग्निपथ' : जब मौत को भी मात दे गया महानायक

महानायक एक और अग्निपथ को पार कर लीलावती अस्पताल से जब 13 दिन बाद बाहर निकले तो हाव भाव ऐसे थे मानो वो कह रहे हों... मर्द को दर्द नहीं होता”।

By Manoj KhadilkarEdited By: Published: Thu, 11 Oct 2018 02:30 PM (IST)Updated: Thu, 11 Oct 2018 08:00 PM (IST)
अमिताभ का 'अग्निपथ' : जब मौत को भी मात दे गया महानायक
अमिताभ का 'अग्निपथ' : जब मौत को भी मात दे गया महानायक

मुंबई। आज अमिताभ बच्चन का जन्मदिन है। वो 76 वर्ष के हो गए हैं। उनके फैन्स और करीबी बधाइयाँ दे रहे हैं और लम्बी उम्र की प्रार्थना की जा रही है। दरअसल अमिताभ अपने पुनर्जन्म में जी रहे हैं और उनकी उम्र सिर्फ 36 साल है। ये पूरी कहानी उनकी उम्र के हिसाब का कच्चा चिट्ठा है।

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'अग्निपथ ' सिर्फ अमिताभ बच्चन की एक फिल्म का ही नाम नहीं है। ये बच्चन के दर्द का वो 'अग्निपथ ' है जिससे वो गुज़र चुके हैं। यहां तक की एक बार मौत को भी मात दे कर 'मुकद्दर का सिकंदर' बन चुके हैं। इस बर्थडे के मौके पर आज उनके फैन्स उस घटना याद कर सिहर उठते हैं ,जब बिग बी को 'क्लिनिकली डेड ' घोषित कर दिया गया था। दरअसल 26 जुलाई 1982 को बेंगलोर के यूनिवर्सिटी कैम्पस में फिल्म ' कुली' की शूटिंग में अमिताभ को पुनीत इस्सर का एक घूंसा पेट में इस कदर लगा था कि बच्चन लगभग मौत के मुंह में पहुंच गए थे।

फिल्म कुली के सेट पर उस दिन आम शूटिंग जैसा ही था .. मनमोहन देसाई ने कॉलेज के हाल में एक फाईट सीन का सेट लगाया। पुनीत इस्सर ने अमिताभ से फाईट के दौरान पहले पेट पर एक मुक्का मारा और फिर उन्हें उठा कर टेबल पर फेंका। बच्चन को पहली चोट मुक्के से पेट पर लगी और बाद में टेबल का एक कोना उसी चोट वाली जगह पर जोर से धंस गया। बिग बी गिर पड़े। पेट के अंदर खून का बहाव तेजी से फैलने लगा। पहले तुरंत स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया और बाद में बिग बी को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में शिफ्ट किया गया।

बच्चन की चोट की खबर आग की तरह फ़ैल गई। फैन्स का हुजूम अस्पताल के बाहर इकठ्ठा होने लगा था। इसी दौरान बच्चन के निधन की खबर उड़ी तो लोग हक्के बक्के रह गए।

बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि इस दौरान अमिताभ बच्चन करीब 11 मिनट तक 'क्लीनिकली डेड' थे। डाक्टरों ने तुरंत उन्हें इंजेक्शन दिया। और जैसे ही बच्चन के शरीर में हल्की सी हरकत हुई , जया बच्चन जोर से चिल्लाई "...देखो वो जिन्दा हैं..."

बताते हैं कि तुरंत डाक्टर फारुख उदवाडिया और उनके डाक्टरों की टीम ने राहत की सांस ली और स्प्लेनेक्टोमी सर्जरी करने का फैसला किया। इसके लिए करीब 17 बोतल खून की जरुरत थी। इस बात का पता चलते ही खून देने के लिए बच्चन के चाहने वालों की लम्बी कतार लग गई। दो हफ्ते की जद्दोजहद के बाद आखिरकार बच्चन की हालत में सुधार हुआ। जया बच्चन इस दौरान रोज छह किलोमीटर पैदल चल कर सिद्धिविनायक मंदिर जाती रही। पूरी तरह ठीक होने में बच्चन को करीब छः महीने का समय लग गया लेकिन मौत को हरा कर आये इस शहंशाह के लिए आज भी 36 साल पहले लगी वो चोट, रह रह कर दर्द दे जाती है।

जिंदगी के ऐसे अग्निपथ पर अमिताभ बच्चन को और तीन बार अग्निपरीक्षा देनी पड़ी लेकिन हर बार सिनेमा के इस सिकंदर ने खुद का मुकद्दर साबित कर दिया। सेहत के मामले में बच्चन को हमेशा ही बुरे वक़्त का सामना करना पड़ा है। कुली की चोट के बाद बिग बी 'मीस्थिनिया ग्रावियस 'नाम की एक बीमारी से पीड़ित हो गए। मसल्स के बेहद कमजोर होने की इस बीमारी ने बच्चन को एक समय बुरी तरह तोड़ कर रख दिया था।

कहते हैं कि इस दौरान बिग बी ने कई बार फिल्मों को अलविदा कहने तक का मन बनाया लेकिन एक अदभुत इच्छाशक्ति उनके अंदर हमेशा जीवित रही। शायद इसीलिए इस 'विजय दीनानाथ चौहान' को कभी पराजय मंजूर नहीं रही। वैसे कुली की चोट के एक साल बाद बच्चन का दिवाली के पटाखे छुडाते वक्त बायां हाथ भी जल गया था। इसलिये तो फिल्म 'शराबी' की पूरी शूटिंग उन्हे वो हाथ जेब में रख कर करनी पड़ी लेकिन बिग बी को तो जैसी इन छोटी मोटी मुसीबतों की कभी परवाह ही नहीं थी।

'कुली' के दौरान लगी पेट की चोट 1982 के ठीक 23 साल बाद यानि 2005 में गंभीर हो गई। खाने पीने के मामले में बेहद सावधानी बरतने वाले बच्चन का मन उत्तर प्रदेश के एक दौरे में कचौड़ियाँ देख कर मचल उठा था। बिग बी ने इसी दौरान तेज पेट दर्द की शिकायत की तो उन्हें दिल्ली के एस्कॉर्ट अस्पताल में ले जाया गया। लगा गैस्ट्रो की मामूली प्रॉब्लम है लेकिन जैसे ही बिग बी को मुंबई के लीलावती अस्पताल में शिफ्ट किया गया डाक्टरों के माथे पर पसीने आ गए। 'कुली' के दौरान लगी पेट की गंभीर चोट से बच्चन diverticulitis of the small intestine से पीड़ित हो गए थे। ये छोटी आंत का एक ऐसा संक्रमण था जिसका इलाज सिर्फ आपरेशन था। 30 नवम्बर 2005 को अमिताभ का आपरेशन किया गया..लाखो-करोड़ों की प्रार्थना का फिर असर दिखा। महानायक एक और अग्निपथ को पार कर लीलावती अस्पताल से जब 13 दिन बाद बाहर निकले तो उनकी चाल और चेहरे के ऐसा हाव भाव ऐसे थे मानो वो कह रहे हों..." मर्द को दर्द नहीं होता”।

इस घटना के तीन साल बाद बच्चन को एक बार फिर से पेट के उसी पुराने मर्ज ने बेबस कर दिया ..तब उनका 68वां जन्मदिन था। घर के बाहर बच्चन के गानों और डायलॉग का शोर था और 'प्रतीक्षा' के बाहर एम्बुलेंस का सायरन भी। डाक्टरों में बताया कि इस बार उन्हें incisional hernia परेशान कर गया है। छह दिन बाद अमिताभ को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। पर दर्द का ये सिलसिला फिर भी थमा नहीं.. बच्चन उसी साल 10 फरवरी को फिर अस्पताल में भर्ती हो गए.. अपने मेकअप मैंन दीपक सावंत की फिल्म गंगादेवी की शूटिंग के वक्त बिग बी का पेट का मर्ज फिर बढ़ गया था..इस बार बच्चन अपनी बीमारी को लेकर मजाकिया मूड में थे.. ट्विट किया ..एक और अस्पताल भ्रमण का टाइम आ गया है.. अक्सर यहाँ से बुलावा आ ही जाता है.. बच्चन को 14वें दिन अस्पताल से डिस्चार्ज मिला..l 

अमिताभ अक्सर कहते हैं कि वो किसी को काम से मना नहीं कर सकते। रोज उनके पास फिल्मों और इंडोर्समेंट के ढेरों ऑफ़र आते हैं। उम्र भी बढती जा रही है लेकिन बच्चन को काम के अलावा कुछ नहीं सूझता। मानो अमिताभ ने अपने पिता हरिवंश राय बच्चन की एक बात को जिंदगी भर के लिए गाँठ बाँध कर रख लिया है- " तू न रुकेगा कभी। तू ना मुड़ेगा कभी।तू ना झुकेगा कभी ...कर शपथ।

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