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प्रख्यात कवि और गीतकार महाकवि गोपालदास 'नीरज' का निधन

‘ए भाई जरा देख कर चलो और ‘कहता है जोकर सारा ज़माना’ जैसे यादगार गीत रचने वाले प्रख्यात कवि और गीतकार गोपाल दास अब हमारे बीच नहीं हैं।

By Rahul soniEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 08:10 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 08:18 PM (IST)
प्रख्यात कवि और गीतकार महाकवि गोपालदास 'नीरज' का निधन
प्रख्यात कवि और गीतकार महाकवि गोपालदास 'नीरज' का निधन

मुंबई। फिल्म इंडस्ट्री से दुखद खबर आ रही है कि पद्मभूषण से सम्मानित प्रसिद्ध महाकवि गोपालदास नीरज की निधन हो गया है। बताया जा रहा है कि, तबियत खराब होने के कराण उन्हें मंगलवार की सुबह आगरा के लोटस हॉस्पीटल में भर्ती कराया गया था। हॉस्पिटल के डॉक्टर दिल्ली एम्स के डॉक्टरों से निरंतर संपर्क बनाए हुए थे। उनका इलाज एम्स ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों के निर्देशन में चल रहा था। गीतकार नीरज परिवार के साथ अलीगढ़ से आगरा गए हुए थे।    

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कारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे’, ‘ए भाई जरा देख कर चलो’, ‘कहता है जोकर सारा ज़माना’ जैसे यादगार गीत रचने वाले प्रख्यात कवि और गीतकार गोपाल दास अब हमारे बीच नहीं हैं। वे 92 साल के थे। सुप्रसिद्ध गीतकार गोपालदास नीरज के पुत्र अरस्तू प्रभाकर आगरा में रहते हैं। जानकारी के मुताबिक मंगलवार की सुबह उन्हें कमला नगर स्थित साई हॉस्पीटल में भर्ती कराया गया, लेकिन सास लेने में हो रही परेशानी के चलते महाकवि को दीवानी चौराहा स्थित लोटस हॉस्पीटल में भर्ती कर दिया गया था। यहां उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया था। हाल ही में  वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया था कि भोजन करते वक्त खाने के कण गले में फंसने के कारण उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई थी। जांच में पता चला था कि उन्हें सीने में संक्त्रमण की शिकायत भी थी। ब्लड प्रेशर भी बढ़ा हुआ था। मशीनों के माध्यम से नली की सफाई की जा रही थी। लेकिन आज 19 जुलाई को उन्होंने साथ छोड़ दिया और उनका निधन हो गया। 

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आपको बता दें कि, नीरज को हिंदी फ़िल्मी गीतों को नया तेवर, कोमलता और स्पर्श देने के लिए जाना जाता है।नीरज मूलतः एक कवि हैं जिन्होंने फिल्मों के लिए भी कई यादगार गीत लिखे हैं। कवि सम्मेलनों में अपार लोकप्रियता के बाद नीरज को मुंबई से फिल्म ‘नई उमर की नई फसल’ के गीत लिखने का बुलावा आया, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया। पहली ही फिल्म में संगीतकार रोशन के साथ उनके लिखे कुछ गाने जैसे ‘कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे’, और ‘देखती ही रहो आज दर्पण न तुम’, ‘प्यार का यह मुहूर्त निकल जायेगा’ बेहद लोकप्रिय हुए। उसके बाद नीरज का फ़िल्मों में गीत लिखने का सिलसिला शुरू हो गया जो ‘मेरा नाम जोकर’, ‘शर्मीली’ और ‘प्रेम पुजारी’ जैसी अनेक चर्चित फिल्मों तक जारी रहा। नीरज को फिल्म जगत में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये 70 के दशक में लगातार तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुका है। जिन गीतों पर उन्हें यह पुरस्कार मिला वो हैं- ‘काल का पहिया घूमे रे भइया! (फ़िल्म: चन्दा और बिजली-1970), ‘ बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं (फ़िल्म: पहचान-1971) और ‘ए भाई! ज़रा देख के चलो’ (फ़िल्म: मेरा नाम जोकर-1972)। 'प्रेम पुजारी' में देवानंद पर फिल्माया उनका गीत 'शोखियों में घोला जाए ..' भी उनके एक लोकप्रिय गीतों में शामिल है जो आज भी सुने जाते हैं। 

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बताते चलें कि, पिछले वर्ष भी गीतकार गीपाल दास की तबियत खराब हो गई थी। उन्हें पिछले साल 18 नवंबर को दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। 21 नवंबर को एम्स में महाकवि नीरज के प्रोस्टेट का ऑपरेशन हुआ था। 


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