एजुकेशन सिस्टम में क्या कमियां हैं, इसे लेकर शिक्षा मंत्री से बात करना चाहते हैं इमरान हाशमी
इमरान का कहना है कि उनका मानना है कि हमारे एजुकेशन सिस्टम में अब भी केवल कुछ ही विषय हैं, जिन पर फोकस किया जाता है. बाकी सब्जेक्ट्स को अनदेखा किया जाता है.
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। इमरान हाशमी की फिल्म जिसका नाम पहले चीट इंडिया था. अब वाय चीट इंडिया कर दिया गया है , फिल्म 18 जनवरी को रिलीज़ होगी. फिल्म में एजुकेशन सिस्टम से जुड़े कई मुद्दों पर बातचीत की गयी है.
इमरान ने हाल ही में अपनी बातचीत में कहा है कि वह इस फिल्म के संदर्भ में एजुकेशन मिनिस्टर से मुलाकात करना चाहते हैं और उन्होंने इसे लेकर एक चिट्ठी लिखी है. इमरान का कहना है कि इस लेटर में वह वे बातें डिस्कस करना चाहते हैं, जिस पर उन्होंने इस फिल्म के दौरान रिसर्च किया है और अपनी तरफ से हमारे जो नजरिया है. चूंकि बड़ा बदलाव जरूरी है. इमरान कहते हैं कि वह चाहते हैं कि ग्राउंड लेवल पर गर्वमेंट का जो कंट्रीब्यूशन है वह कम है. 3.5 जीडीपी है. जबकि काफी संख्या में लोग आते हैं. वहीं डिफेंस पर आपने इतना पैसा डाला है. लेकिन सबसे अहम जो चीज है, माइंड की डेवलपमेंट है.
इमरान कहते हैं कि जो टीचर आपके यहां स्कूल में आते हैं, वह अनक्वालिफाइड हैं, क्योंकि उनको सैलेरी नहीं मिलती है. उनकी सालभर की सैलरी 1 लाख से कम है. जबकि यूरोप अमेरिका में बहुत ज्यादा है. इमरान का मानना है कि टीचर्स हमारे सबसे बड़े हीरो हैं. उन्हें सबसे ज्यादा सैलरी मिलनी चाहिए. उनको पैसे नहीं मिल रहे. तो यूनिवर्सिटी में सीट्स नहीं हैं. मेरिट होने पर भी उनको सीट नहीं मिलती है. 10 प्रतिशत आरक्षण की बात पर इमरान का कहना है कि मेरिट पर सबकुछ होना चाहिए.
इमरान का कहना है कि उनका मानना है कि हमारे एजुकेशन सिस्टम में अब भी केवल कुछ ही विषय हैं, जिन पर फोकस किया जाता है. बाकी सब्जेक्ट्स को अनदेखा किया जाता है. यहां नियम है कि अगर आपके मार्क्स कम आये हैं तो जाकर आर्ट्स ले लो. जबकि आर्ट्स को पसंद का सब्जेक्ट मानना चाहिए. इमरान कहते हैं कि जेंडर न्यूट्रल सब्जेक्ट होना चाहिए.
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