इस हीरोइन की वजह से फ्लॉप हुई थी डेब्यू फ़िल्म, धर्मेंद्र ने 58 साल बाद खोला राज़
इस फ़िल्म में धर्मेंद्र ने रास्तों पर सिगरेट बेचने वाले का किरदार निभाया था, जो बाद में बॉक्सर बन जाता है, जबकि कुमकुम एक बड़े घर की नौकरानी के रोल में थीं।
मुंबई। हिंदी सिनेमा के सबसे हैंडसम एक्टर्स में शुमार धर्मेंद्र ने 1960 में 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' से फ़िल्मी करियर शुरू किया था, मगर यह फ़िल्म फ्लॉप रही थी। अब 58 साल बाद धर्मेंद्र ने अपनी लीड हीरोइन कुमकुम को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया है।
धर्मेंद्र ने फ़िल्म से अपना और कुमकुम का फोटो शेयर करते हुए एक दिलचस्प ट्वीट किया है, जिसमें बॉलीवुड के ही-मैन ने लिखा है- मेरी मुख़्तसर सी प्यारी सी हीरोइन कुमकुम अपनी पहली ही फ़िल्म में इनसे कह बैठा ''दिल भी तेरा हम भी तेरे'' इनसे कुबूल ना हुआ, फ़िल्म फ्लॉप हो गयी। इस ट्वीट से आप समझ गये होंगे कि पर्दे पर अपने एक्शन से दहलाने वाले धर्मेंद्र का सेंस ऑफ़ ह्यूमर भी ग़ज़ब का है। धर्मेंद्र जब से सोशल मीडिया में आये हैं, फैंस के लिए कभी अपनी शायरी तो कभी थ्रोबैक तस्वीरों के ज़रिए इंटरेक्ट करते रहते हैं।
MERI mukhtsar si piyari si heroine Kumkum apni pehli hi film mein in se KEH baitha “DIL BHI TERA HUM BHI TERE” in se qbool na hua , film flop ho gai !!! pic.twitter.com/dQYr2J4Ekp — Dharmendra Deol (@aapkadharam) July 7, 2018
बताते चलें कि 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' को अर्जुन हिंगोरानी ने डायरेक्ट किया था। इस रोमांटिक ड्रामा में धर्मेंद्र और कुमकुम के साथ उस दौर के आला अदाकार बलराज साहनी भी मुख्य किरदारों में शामिल थे। इस फ़िल्म में धर्मेंद्र ने रास्तों पर सिगरेट बेचने वाले का किरदार निभाया था, जो बाद में बॉक्सर बन जाता है, जबकि कुमकुम एक बड़े घर की नौकरानी के रोल में थीं। बॉलीवुड में कुमकुम धर्मेंद्र से काफ़ी सीनियर थीं। उन्हें गुरुदत्त ने अपनी 1954 की फ़िल्म 'आर पार' के गाने कभी आर कभी पार लागा तीरे नज़र के लिए खोजा था। बाद में उन्होंने गुरुदत्त की फ़िल्म 'मिस्टर एंड मिसेज 55' और 'प्यासा' में भी एक रोल किया था। किशोर कुमार के साथ 1964 में आयी 'मिस्टर एक्स इन बॉम्बे' के लिए दर्शक उन्हें बख़ूबी पहचानते हैं। किशोर और कुमकुम पर फ़िल्माया गया गाना 'मेरे महबूब क़यामत होगी', आज भी सुनने वालों की लिस्ट में शामिल रहता है।
वहीं फ़िल्मफेयर मैगज़ीन का न्यू टैलेंट अवॉर्ड जीतने के बाद धर्मेंद्र फ़िल्मों में किस्मत आज़माने मुंबई आ गये थे। 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' फ्लॉप रही, लेकिन धर्मेंद्र के गुड लुक्स और एक्टिंग स्किल्स को नोटिस किया गया। उन्हें रोमांटिक फ़िल्मों में काम मिलने लगा। साठ के दशक की शुरुआत में उन्होंने शोला और शबनम, सूरत और सीरत, अनपढ़ और बंदिनी जैसी फ़िल्मों में काम किया। दिलचस्प बात यह है कि उस वक़्त क्रेडिट रोल्स में धर्मेंद्र के नाम की स्पेलिंग अलग-अलग रहती थी। कभी Dharminder तो कभी Dharmindera लिखा जाता था।