Exclusive: महिला प्रोटोगोनिस्ट के साथ इतने बड़े बजट की फ़िल्म सिर्फ भंसाली ही बना सकते हैं- दीपिका पादुकोण
"यह सिर्फ भंसाली सर ही सोच सकते हैं कि महिला किरदार को इतना सशक्त दिखाते हुए निवेश का भी इस कदर ध्यान रखना। हम दोनों में अधिक बातें नहीं होती हैं। हम एक दूसरे की आंखों की भाषा समझते हैं," दीपिका ने कहा।
अनुप्रिया वर्मा,मुंबई। दीपिका पादुकोण इन दिनों बॉलीवुड की शीर्ष की अभिनेत्री हैं। वजह यह है कि हाल ही में रिलीज हुई उनकी फ़िल्म 'पद्मावत' बॉक्स आॅफिस पर बड़ा आंकड़ा पार कर चुकी हैं। आपको बता दें कि यह दीपिका की सातवीं 100 करोड़ क्लब वाली फ़िल्म है। लेकिन सबसे खास बात यह है कि यह पहली बार था, जब किसी सौ करोड़ी क्लब की फ़िल्म की पोस्टर गर्ल वह खुद थीं।
आमतौर पर जब फ़िल्में कामयाब होती हैं तो सेहरा फ़िल्म के नायक के सिर पर बांध दिया जाता है। यह लंबे अरसे के बाद हो रहा है जब फ़िल्म की बॉक्स आॅफिस कामयाबी के लिए भी अभिनेत्री का नाम सामने आ रहा है। इस बारे में दीपिका ने जागरण डॉट कॉम से बातचीत में स्वीकारा कि हां, वह इस बात से इत्तेफाक रखती हैं और इसलिए वह फ़िल्म की रिलीज से पहले भी यह कह रही थीं कि 'पद्मावत' हिंदी सिनेमा में अभिनेत्रियों को लेकर कई मायने बदलेगी। दीपिका कहती हैं कि यह एक बड़ी रिस्पांसिब्लिटी होती है, जब आप फ़िल्म का चेहरा होते हैं और वह भी ऐसी फ़िल्म का चेहरा जिसका बजट बहुत बड़ा है।
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दीपिका ने कहा, "शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक महिला प्रोटोगोनिस्ट को लेकर किसी फ़िल्म में इतना अधिक निवेश किया गया है। ऐसे में मैं पूरा श्रेय भंसाली को देती हूं। यह सिर्फ भंसाली सर ही सोच सकते हैं कि महिला किरदार को इतना सशक्त दिखाते हुए निवेश का भी इस कदर ध्यान रखना। लेकिन मुझे खुशी है कि वह मुझ पर ट्रस्ट कर पाते हैं। हम दोनों में अधिक बातें नहीं होती हैं। हम एक दूसरे की आंखों की भाषा समझते हैं।"
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यह पूछे जाने पर कि भंसाली यह बात बार-बार दोहरा रहे हैं कि अभी तीन फ़िल्मों के बाद भी वह और फ़िल्म में दीपिका के साथ काम कर सकते हैं। इस बारे में दीपिका कहती हैं कि यह मेरे लिए खुशनसीबी है कि मेरे निर्देशक मुझे रिपीट करते हैं। चूंकि मैं खुद जब किसी निर्देशक पर भरोसा करती हूं, तभी फ़िल्म को हां कहती हूं। एक डाउट भी अगर मेरे दिल में रहा न तो मैं फ़िल्म करूंगी ही नहीं। चूंकि निर्देशक का विजन और ट्रस्ट समझना जरूरी होता है। भंसाली सर के साथ ऐसा हो चुका है। लेकिन अभी से पता नहीं आगे क्या होगा। देखते हैं हम फिर साथ कब आते हैं। दीपिका ने साथ ही यह भी कहा कि भंसाली सर जैसे प्योर हर्ट वाले निर्देशक कम ही होते हैं, जो अपने कलाकारों को और किरदारों के साथ जीते हैं। दीपिका बताती हैं कि फ़िल्म 'गोलियों की रास लीला राम-लीला' के वक्त वह सेट पर गयी थीं तो रोने लगी थीं, उन्हें नर्वसेसनेस आ गयी थी। दीपिका ने बताया कि भंसाली सर के सेट पर हर नये कलाकार के साथ ऐसा हो जाता है। लेकिन बाद में धीरे-धीरे आप उनके क्राफ्ट को समझ जाते हैं तो आप उनके फ्लो में आगे बढ़ने लगते हैं।