पुण्यतिथि: अपने डायरेक्टर से थप्पड़ तक खा चुके थे राजकपूर, जानिये 5 दिलचस्प बातें
राज कपूर की फ़िल्मों ने भारतीय सिनेमा को काफी समृद्ध किया है और आज भी उनकी फ़िल्में भारतीय सिनेमा को एक रौशनी देती है।
मुंबई। जून की 2 तारीख़ बॉलीवुड के लीजेंड एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर राजकपूर की पुण्यतिथि के लिए भी जानी जाती है। शोमैन के नाम से मशहूर राजकपूर ने 10 साल की उम्र से अपना फ़िल्मी सफर शुरू कर दिया और उसके बाद अपने अंतिम सांस तक फ़िल्मों से जुड़े रहे। बहरहाल, राज कपूर के पुण्यतिथि के मौके पर आइये जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास दिलचस्प बातें।
जन्म और परवरिश
14 दिसंबर 1924 को पेशावर (अब पकिस्तान) में जन्में राजकपूर के पिता पृथ्वी राज कपूर एक जाने माने थियेटर आर्टिस्ट थे। कहा जा सकता है कि अभिनय राज कपूर के खून में है। उनकी परवरिश ऐसे ही माहौल में हुई। राज तीन भाइयों में सबसे बड़े थे। उनके दोनों भाई शशि कपूर और शम्मी कपूर भी अपने दौर के जाने-माने अभिनेता रहे हैं। राज कपूर का पूरा नाम 'रणबीर राज कपूर' था। रणबीर अब उनके पोते यानी ऋषि-नीतू कपूर के बेटे का नाम है।
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डायरेक्टर से खाया थप्पड़
एक 'अनाड़ी', एक 'आवारा', एक 'छलिया' से शोमैन बनने तक का सफर आसान नहीं था। पिता पृथ्वीराज कपूर उस दौर के जाने-माने थियेटर आर्टिस्ट थे, वे चाहते तो राजकपूर को कहीं भी आसानी से ब्रेक मिल सकता था। पर, उन्होंने राज को अपने दम पे कुछ करने की नसीहत देकर मुक्त कर दिया। एक बार राज कपूर को उनके एक डायरेक्टर ने थप्पड़ भी रसीद दिया था। आपको बता दें, राज कपूर ने इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत एक क्लैपर बॉय के तौर पर की थी। यह फ़िल्म किदार शर्मा डायरेक्ट कर रहे थे। शूटिंग चल ही रही थी कि एक बार किदार शर्मा ने राज कपूर को जोरदार थप्पड़ लगाया। हुआ यह था कि राज सीन के वक्त हीरो के इतने करीब आ गए थे कि क्लैप देते ही हीरो की दाढ़ी क्लैप में फंस गई थी।
24 साल की उम्र में बने डायरेक्टर
राज कपूर ने 24 साल की उम्र में अपना प्रोडक्शन स्टूडियो 'आर के फिल्म्स' शुरू किया और इंडस्ट्री के सबसे यंग डायरेक्टर बन गए। उनके प्रोडक्शन की पहली फ़िल्म थी 'आग'। इस फिल्म में उन्होंने डायरेक्टर और एक्टर दोनों की भूमिका निभाई।
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नर्गिस से रहा गहरा रिश्ता
राज कपूर और नर्गिस 1940-1960 के दशक की बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत और पॉपुलर जोड़ियों में से एक है। ये दोनों स्टार्स सिर्फ़ रील लाइफ में नहीं बल्कि रियल लाइफ में भी रोमांटिक कपल थे। वहीं उनकी ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री दर्शकों ने खूब पसंद की। नर्गिस ने राजकपूर के साथ कुल 16 फिल्में की, जिनमें से 6 फिल्में आर.के.बैनर की ही थी। इस बीच दोनों में नजदीकियां भी बढ़ने लगीं और दोनों को एक दुसरे से प्यार हो गया और दोनों ने शादी करने का मन भी बना लिया। राजकपूर जब 1954 में मॉस्को गए तो अपने साथ नर्गिस को भी ले गए। कहते हैं यहीं दोनों के बीच कुछ ग़लतफ़हमी हुई और दोनों के बीच इगो की तकरार इतनी बढ़ी कि वह यात्रा अधूरी छोड़कर नर्गिस इंडिया लौट आईं। 1956 में आई फ़िल्म 'चोरी चोरी' नर्गिस और राजकपूर की जोड़ी वाली अंतिम फ़िल्म थी।
अवार्ड
भारत सरकार ने राज कपूर को सिनेमा में उनके विशेष योगदान को देखते हुए उन्हें 1971 में 'पद्मभूषण' से सम्मनित किया। वहीं, साल 1987 में उन्हें सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान 'दादा साहब फाल्के पुरस्कार' भी दिया गया। जबकि 1960 की फ़िल्म 'अनाड़ी' और 1962 की फ़िल्म 'जिस देश में गंगा बहती है' के लिए बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर पुरस्कार भी राज कपूर ने जीता। बता दें कि सिर्फ एक्टिंग ही नहीं डायरेक्शन के लिए भी राज कपूर ने कई अवार्ड जीते। 1965 में 'संगम', 1970 में 'मेरा नाम जोकर' और 1983 में 'प्रेम रोग' के लिए उन्हें बेस्ट डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड मिला।
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'शोमैन' राज कपूर को एक अवार्ड समारोह में दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद वह एक महीने तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूलते रहे। आखिरकार 2 जून 1988 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। राज कपूर की फ़िल्मों ने भारतीय सिनेमा को काफी समृद्ध किया है और आज भी उनकी फ़िल्में भारतीय सिनेमा को एक रौशनी देती है। उनके पुण्यतिथि पर जागरण डॉट कॉम के तमाम पाठकों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजली!