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बाबूमोशाय बंदूकबाज़ की महिला प्रोड्यूसर से CBFC मेम्बर्स ने की बदसलूकी, पूछा औरत हो कि नहीं

नवाजु़द्दीन सिद्दीकी से जब राय मांगी गई तो उन्होंने स्वीकारा कि यह सच है हमें क्रिएटिव फ्रीडम हासिल नहीं है।

By Rahul soniEdited By: Published: Wed, 02 Aug 2017 08:33 PM (IST)Updated: Thu, 03 Aug 2017 01:04 AM (IST)
बाबूमोशाय बंदूकबाज़ की महिला प्रोड्यूसर से CBFC मेम्बर्स ने की बदसलूकी, पूछा औरत हो कि नहीं
बाबूमोशाय बंदूकबाज़ की महिला प्रोड्यूसर से CBFC मेम्बर्स ने की बदसलूकी, पूछा औरत हो कि नहीं

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। कुशन नंदी की फिल्म 'बाबूमोशाय बंदूकबाज़' में नवाजु़द्दीन सिद्दीकी अहम् किरदार निभा रहे हैं। इस फिल्म को सेंसर ने 48 कट्स के साथ पास किया गया है। एक बार फिर से सेंसर बोर्ड ने एक शर्मनाक रवैया अपनाया है। फिल्म को अडल्ट सर्टिफिकेट देने के बावजूद फिल्म में कई कट्स दिए गये हैं। 

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सारी हदें पार करते हुए एक और खबर सामने आयी है कि कुशन नंदी ने बताया है कि फिल्म की प्रोड्यूसर किरण श्याम श्रॉफ जब इस फिल्म को लेकर सेंसर बोर्ड में गई थीं तो वहां बोर्ड मीटिंग में बैठीं एक महिला ने किरण से पूछा कि वह एक औरत होकर ऐसी फिल्म कैसे बना सकती हैं। बात यहीं खत्म नहीं हुई, उन्हें उसी मीटिंग में मौजूद एक और आदमी ने चुटकी लेते हुए कहा कि यह तो औरत है ही नहीं। इन्होंने तो शर्ट-पेंट पहन रखी है। कुशन बताते हैं कि इन सारी बकवास बातों के बाद जब कुशन पहलाज निहलानी से मिलने गए तो पहलाज ने कुशन से कहा कि यह फिल्म तो लगता है कि उन्होंने कोई गालियों की डिक्शनरी खोल कर बनाई है। कुशन ने बताया कि पहलाज ने उन्हें साफ़-साफ़ कहा कि वह आपत्तीजनक शब्द इस्तेमाल करने ही नहीं देंगे, क्योंकि उन्हें आजतक अपनी फिल्मों में इस्तेमाल किये गये शब्दों की वजह से गलियां पड़ती हैं।

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कुशन ने आगे यह भी बताया कि साला और हरामजादा जैसे शब्दों पर भी कैंची चलाई गई है। यही नहीं पहलाज ने उन्हें कहा कि शुक्र मनाओ कि तुम्हारी फिल्म को बैन नहीं किया गया है। खास बात यह रही है कि आईएफटीडीए (इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन) ने 'उड़ता पंजाब' के समय जिस तरह कई फिल्म मेकर्स ने आकर फिल्म को सपोर्ट किया था, इस बार भी यह टीम आगे आई है। कुशन के साथ-साथ कई फिल्ममेकर उनके सपोर्ट में आये हैं और उन्होंने अपनी बात रखी है, जिनमें विक्रमादित्य मोटवाने, मधु मंतेना, अलंकृता, अभिषेक चौबे जैसे निर्देशक प्रेस कॉन्फ्रेंस का हिस्सा बने। 

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नवाजु़द्दीन सिद्दीकी से जब राय मांगी गई तो उन्होंने स्वीकारा कि यह सच है कि हमें क्रिएटिव फ्रीडम हासिल नहीं है। जिन शब्दों पर रोक लगाई गई है वह महत्वपूर्ण हैं। लोकल फ्लेवर के लिए यह महत्वपूर्ण था। एक एक्टर के रूप में मुझे लगता है कि लोकल टच के लिए इस तरह से शब्दों या भाषा का इस्तेमाल किया जाना चाहिए तो फिर मैं कैसे इसका इस्तेमाल न करूं। फिल्म की अभिनेत्री बिदिता बाग ने कहा है कि सीबीएफसी (सेंट्रल बोर्ड अॉफ फिल्म सर्टिफिकेशन) का यह रवैया उन्हें अपने ग्रेंडपेरेंट्स की याद दिला रहा है, जो उनकी आजादी को रोकते थे,पाबंदी लगाते थे। फिल्म की निर्माता किरण श्याम श्रॉफ ने कहा है कि उन्हें निहलानी ने चेतावनी दी है कि वह इस फिल्म को रिलीज़ नहीं होने देंगे अगर मेकर्स उनके निर्णय के खिलाफ एफसीएटी (फिल्म सर्टिफिकेशन एपीलेट ट्रिब्यूनल) में अपील करेंगे तो। किरण ने आगे कहा है कि हम वहां न जाकर ट्रिब्यूनल टीम में डायरेक्टली जा रहे हैं। ऐसे में निहलानी ने कहा कि वह और अधिक कट्स देंगे। इस मौके पर मौजूद अलंकृता श्रीवास्तव जिन्होंने अपनी फिल्म लिपस्टिक अंडर माय बुर्का की रिलीज़ को लेकर लम्बी लड़ाई लड़ी, उन्होंने कहा कि उन्हें तो लगता ही नहीं है कि सेंसरशिप की जरूरत है। अगर ऐसा होता रहा तो फिल्म बनाना मुश्किल होगा।

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अभिषेक चौबे ने इस दौरान बताया कि उन्होंने किस तरह फिल्म उड़ता पंजाब में परेशानी झेली थी, सीबीएफसी ने एक खौफ़नाक माहौल बना दिया है। हमारी फिल्में कुछ लोगों की पर्सनल थिंकिंग पर मापने लगे हैं। इस बारे में आगे बात करते हुए अनुभव सिन्हा ने कहा कि महिला निर्माता के साथ जो बदसलूकी की गई है, इसकी कोई माफ़ी नहीं है।

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मधु मंतेना ने इस बारे में कहा है कि इस तरह के रवैये से हमें फिल्म बनाने में और फिल्म बिजनेस में परेशानी आ रही है। उनका कहना है कि हम उस पोजीशन में हैं कि हम इस तरह से फाईट कर पा रहे हैं। लेकिन सारे फिल्म मेकर्स तो नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि सीबीएफसी की टीम में पढ़े लिखे लोग आयें। 


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