जन्मदिन विशेष: जब विनोद खन्ना की पारिवारिक जिंदगी में आ गया था भूचाल
विनोद खन्ना ने भले ही अपने फिल्मी करियर में एक से एक हिट फिल्में दीं, लेकिन पारिवारिक जीवन में वे असफल रहे। शादी के कुछ साल बाद ही वे बीवी-बच्चों को छोड़कर ओशो के आश्रम में रहने लगे और इसी वजह से उनकी पारिवारिक जिंदगी में तूफान आ गया। परिवार से अलग रहने के चलते ही उनका तलाक हो गया। आज विनोद खन्ना 67 साल
विनोद खन्ना ने भले ही अपने फिल्मी करियर में एक से एक हिट फिल्में दीं, लेकिन पारिवारिक जीवन में वे असफल रहे। शादी के कुछ साल बाद ही वे बीवी-बच्चों को छोड़कर ओशो के आश्रम में रहने लगे और इसी वजह से उनकी पारिवारिक जिंदगी में तूफान आ गया। परिवार से अलग रहने के चलते ही उनका तलाक हो गया। आज विनोद खन्ना 67 साल के हो गए हैं।
बड़े पर्दे पर साथ दिखेंगे विनोद खन्ना और रणधीर कपूर
बॉलीवुड अभिनेता विनोद खन्ना का जन्म छह अक्टूबर, 1946 को पेशावर, पाकिस्तान में हुआ था। उनके पिता का नाम किशनचंद और मां का नाम कमला था। उनकी तीन बहनें और एक भाई हैं। जन्म के कुछ दिनों बाद उनका परिवार पाकिस्तान छोड़कर भारत आ गया।
शम्मी कपूर का रोल करेंगे विनोद खन्ना
उनकी शुरुआती पढ़ाई मुंबई के क्वीन मेरी स्कूल में हुई। 1957 में उनका परिवार दिल्ली आ गया। इसी दौरान उन्होंने मुगल-ए-आजम देखी और सिनेमा की तरफ उनका झुकाव शुरू हो गया।
1971 में उन्होंने गीतांजलि से शादी की। उनके दो बेटे हैं अक्षय और राहुल। दोनों ही अभिनेता हैं और हिंदी सिनेमा से जुडे़ हैं। ओशो रजनीश का भक्त बनने की वजह से उनके पारिवारिक रिश्तों में दरार आ गई और उनका अपनी पत्नी से तलाक हो गया। 1990 में उन्होंने दूसरी शादी कर ली। उनकी दूसरी पत्नी का नाम कविता है।
1968 में सुनील दत्त की फिल्म मन का मीत में एक विलेन के किरदार में पहली बार विनोद खन्ना ने पर्दे पर एंट्री दी। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में विलेन का किरदार निभाया।
1971 में गुलजार ने अपनी फिल्म मेरे अपने में विनोद खन्ना को सुपरहिट हिरोइन मीना कुमारी के अपोजिट काम करने का मौका दिया। इस फिल्म में विनोद खन्ना ने साबित कर दिया कि वह सिर्फ चरित्र और विलेन के किरदार ही नहीं बल्कि एक सशक्त अभिनेता का भी रोल अदा कर सकते हैं। इसके बाद तो जैसे कामयाबी उनके कदम चूमती गई।
1979 में जब उनका करियर अपने शीर्ष पर था, तभी उन्होंने संन्यास ले लिया और रजनीश ओशो के भक्त बन गए।
आठ साल तक फिल्मी पर्दे से दूर रहने के बाद उन्होंने दोबारा सिनेमा जगत का रुख किया।
1997 में उन्होंने फिल्म हिमालय पुत्र का निर्माण किया, जिसके द्वारा अपने बेटे अक्षय खन्ना को बॉलीवुड में जगह दिलाने की कोशिश की, पर फिल्म सफल नहीं रही और ना ही सफल रहा उनके बेटे अक्षय खन्ना का कॅरियर।
वर्ष 1997 में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बनने के बाद विनोद खन्ना राष्ट्रीय राजनीति से जुड़ गए। अगले ही वर्ष पंजाब के गुरदासपुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद विनोद खन्ना लोकसभा सदस्य बने। 1999 में हुए चुनाव में वह एक बार फिर इस निर्वाचन क्षेत्र से जीते। जुलाई 2002 में विनोद खन्ना को केंद्रीय मंत्री के तौर पर संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय प्रदान किया गया।
छह महीने बाद विनोद खन्ना को राज्य मंत्री बनाकर विदेश मंत्रालय में शामिल किया गया। वर्ष 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में विनोद खन्ना को जीत मिली, लेकिन 2009 में पंद्रहवीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में विनोद खन्ना जीत दर्ज नहीं कर पाए।
हाल के सालों में विनोद खन्ना ने दीवानापन, रिस्क, वांटेड, दबंग जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया है।
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