नई दिल्ली, जेएनएन। इंटरनेट मीडिया पर अपने विचार रखने हों या फिर बालीवुड बायकाट पर प्रतिक्रिया देनी हो, अर्जुन हमेशा बेबाकी से बातें कहते आए हैं। बालीवुड बायकाट ट्रेंड जो इंटरनेट मीडिया पर चलाए जाते हैं, इसके विरोध में अर्जुन ने खुलकर आवाज उठाई थी। अब जब इसमें इंडस्ट्री के कई लोगों का साथ मिल रहा है, तो इस पर अर्जुन कहते हैं कि अब इस पर बात शुरू हो रही है, तो कुछ अच्छा ही निकलकर आएगा।
'दुनिया में बहुत नकारात्मकता है'
अर्जुन कपूर ने कहा कि हमें अच्छी फिल्में बनाने और दर्शकों से जुड़ने का प्रयास करना चाहिए, जो काफी समय से जारी भी है। कई बार शोर ज्यादा हो जाता है, तो काम से नजर हट जाती है। दुनिया में बहुत नकारात्मकता है। हमें ऐसा सकारात्मक वातावरण बनाना चाहिए, जिससे लोगों का मनोरंजन कर सकें। माहौल खराब करने से सबके मन में खटास आती है,खुद की प्रतिभा पर शक होने लगता है, दर्शक भी भ्रमित हो जाते हैं। हम यहीं चाहेंगे कि हमारी फिल्मों को उचित अवसर मिले। अपनी फिल्मों के लिए ही हम दुनियाभर में जाने जाते हैं।
पूरी इंडस्ट्री को एक नजर से देखना सही नहीं
हम इस देश का अहम हिस्सा हैं। हमने इतना सम्मान कमाया है कि कुछ गलतियों की वजह से पूरी इंडस्ट्री को एक नजर से देखना सही नहीं। यह मानकर चलना कि सब गलत हो रहा है, तो हमें अवसर कैसे मिलेगा कि हम अपने हिंदुस्तान का नाम मनोरंजन के जरिए रोशन कर सकेंगे। फिल्म इंडस्ट्री की चाह है कि सकारात्मकता लौट आए और हम दर्शकों को अपने काम से खुश कर पाएं।
जड़ें मजबूत करनी हैं यहां
अर्जुन अपने करियर के शुरुआती दौर में खुद को अभिनय में अपरिपक्व समझते थे। क्या वह अब भी खुद को वैसा ही मानते हैं इस पर अर्जुन कहते हैं, मैं अपरिपक्वता को बुरी चीज नहीं मानता। मुझे लगता है कि अपना काम बिना किसी शोर-शराबे के ही करना चाहिए। 10 साल बाद यह तो नहीं कह सकता हूं कि क्षमता कम है, लेकिन आज भी जब मैं सेट पर जाता हूं, तो मेरा मानसिक संतुलन पहले जैसा ही होता है। अब भी बहुत कुछ हासिल करना है, यहां टिके रहना है। 10 साल किसी पेशे में अपनी जड़ें मजबूत करने के लिए बहुत होते हैं। मुझे पता है कि मेहनत करता रहा, तो यहां 50 साल तक टिक जाऊंगा।
सोचने का तरीका वही है कि अगले सेट पर भी उतनी ही मेहनत करनी है। आज भी असुरक्षित महसूस करना जरूरी लगता है। काम को लेकर अतिआत्मविश्वासी नहीं होना है कि मेरे पास बहुत काम है या मुझे बहुत प्यार मिल रहा है, तो खुद को कुछ और समझने लग जाऊं। इस पेशे में जब आपको लगता है कि आप कुछ नया सीख गए हैं, दर्शक आपको कुछ नया सिखा देते हैं।
जब काम पसंद किया जाता है, तो दर्शकों के प्यार का आनंद उठाओ। जब काम न पसंद करें, तो उससे सीखो। एक चीज याद रखनी है कि आपने अपने जुनून को अपना पेशा बनाया है। मैं अपनी आंखें नीचे रखकर काम करते रहना चाहता हूं, यह सोचते हुए कि अगर काम अच्छा नहीं करूंगा तो कल इंडस्ट्री से बाहर निकाला जा सकता हूं।
पैसा नहीं है मानक
ऐसे में क्या कभी पैसों को लेकर चिंता होती है? जवाब में अर्जुन कपूर कहते हैं, मेरी परवरिश ऐसे वातावरण में हुई है, जहां सब सुख-सुविधाएं मिली, लेकिन अपनी पहचान बनाना और माता-पिता को गर्व महसूस करवाना चाहता था। पैसों की भूख का पता नहीं, लेकिन पैरों पर खड़े रहने और अपनी पसंद का काम करने की भूख रही है। मैं पैसों को सफलता के बेंचमार्क के तौर पर नहीं देखता।
पैसा कमाने के लिए और चीजें कर सकता हूं, लेकिन क्या उससे मुझे सुख, चैन और रोमांच मिलता है, वह मेरे लिए मायने रखता है। मेरे लिए लालच यही है कि घर पर बैठकर जब स्क्रिप्ट सुनूं, तो कहानी के आधार पर तय कर सकूं कि फिल्म करनी है या नहीं,न कि जरूरत के आधार पर तय करना पड़े।
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