AR Rahman Tax Evasion: आयकर चोरी मामले में एआर रहमान को मद्रास हाई कोर्ट का नोटिस, 9 साल पुराना है मामला
AR Rahman Tax Evasion रहमान को यह आमदनी लिब्रा नाम की एक ब्रिटिश टेलीकॉम कंपनी के लिए रिंगटोन कंपोज़ करने से हुई थी। यह 2011 की बात है।
नई दिल्ली, जेएनएन। लीजेंड्री संगीतकार एआर रहमान को 9 साल पुराने आयकर चोरी मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। रहमान पर टैक्स बचाने के लिए 3.47 करोड़ की आय को छिपाने का आरोप है। रहमान को यह इनकम एक विदेशी मोबाइल कम्पनी के लिए रिंग टोन बनाने से प्राप्त हुई थी। उच्च न्यायालय ने नोटिस इनकम टैक्स विभाग की अपील पर जारी किया है
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, अपील में आयकर विभाग की ओर से कहा गया- एआर रहमान ने 3.47 करोड़ का आय को अपने चैरिटेबल ट्रस्ट को स्थानांतरित करके व्यक्तिगत टैक्स बचाया है। 2011-12 के दौरान एआर रहमान द्वारा जमा किये गये आयकर में कमियां मिली हैं।
इसके बाद आयकर विभाग ने यह कहते हुए मद्रास हाई कोर्ट की शरण ली कि एआर रहमान ने 3.47 करोड़ रुपये की आमदनी को एआर रहमान फाउंडेशन को दे दिया। रहमान को यह आमदनी लिब्रा नाम की एक ब्रिटिश टेलीकॉम कंपनी के लिए रिंगटोन कंपोज़ करने से हुई थी। यह 2011 की बात है। रहमान इस कंपनी के साथ 3 साल के कॉन्ट्रैक्ट में थे और उन्हें कंपनी के लिए एक्सक्लूसिव रिंगटोन बनानी थीं।
आयकर विभाग के अधिवक्ता ने दावा किया कि इस काम से हुई आमदनी रहमान के अपने खाते में जानी चाहिए थी, जिस पर आयकर दिया जाना चाहिए था। इनकम टैक्स कटने के बाद इसे चैरिटेबल ट्रस्ट को दिया जा सकता था। फरवरी में मद्रास हाई कोर्ट ने जीएसटी कमिश्नर के उस आदेश पर अंतरिम स्टे दे दिया था, जिसमें रहमान को 6.79 करोड़ का एरियर और इतना ही जुर्माना भरने के लिए कहा गया था।
जीएसटी अधिकारियों ने कहा था कि रहमान फ़िल्मों के लिए संगीत बनाकर और रॉयलटीज़ से आय प्राप्त कर रहे हैं। जीएसटी के अनुसार, सेवाओं पर टैक्स लगता और उन्होंने रहमान पर सेवा कर ना चुकाने का आरोप लगाया था।