Exclusive: राम तेरी गंगा मैली जैसी फिल्में आज बनने ही नहीं देते लोग- अनुराग कश्यप
अनुराग कहते हैं कि मैं यहां किसी पॉलिटिकल पार्टी की बात नहीं कर रहा हूं। जाति की बात कर रहा हूं, जो हमारे समाज में बीमारी की तरह मौजूद है और उस पर तो बात होनी ही चाहिए।
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। अनुराग कश्यप फिल्म मुक्काबाज लेकर आये हैं। इस फिल्म में संवाद के रूप में अनुराग कश्यप ने जातिवाद के मुद्दे को उठाने की कोशिश की है। इस सवाल पर कि क्या उन्हें इस बात की चिंता नहीं है कि उन्होंने जो जातिवाद का मुद्दा उठाया है, उससे विवाद में पड़ने का फिर से ख़तरा हो सकता है।
अनुराग ने इस बारे में बातचीत करते हुए कहा कि हमारे समाज में जो चीज मौजूद है मैं उसे ही दिखाऊंगा ना। हमारे समाज में चारों तरफ जातिवाद है, रोजमर्रा की ज़िंदगी में हमें रोज उसे झेलना पड़ता है। सिनेमा तो समाज का ही आइना होता है। सत्यजीत रे से लेकर बिमल दा तक सब ऐसी फिल्में बनाते रहे हैं। अगर हम आज के समय से जायें तो राजकपूर तो राम तेरी गंगा मैली नहीं बना सकते थे, क्योंकि नाम ही गंगा नहीं रखने दिया जायेगा। विधवा विवाह के विषय पर बनी प्रेमरोग पर बोलने लगते कि संस्कृति नष्ट हो रही है। बंदिनी और सुजाता जैसी फिल्में जिनकी हम दुहाई देते हैं, वैसी फिल्में नहीं बन पातीं। उन्हें लोग बनने नहीं देते।
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अनुराग आगे कहते हैं कि सच कहें तो हम उल्टा जा रहे हैं। सिनेमा तो समाज का सामाजिक और राजनीतिक चेतना का आइना होना चाहिए। अनुराग कहते हैं कि मैं यहां किसी पॉलिटिकल पार्टी की बात नहीं कर रहा हूं। जाति की बात कर रहा हूं, जो हमारे समाज में बीमारी की तरह मौजूद है और मुझे लगता है कि उस पर तो बात होनी ही चाहिए। अनुराग बताते हैं कि मुक्काबाज में प्रेम कहानी भी है और साथ में काफी कुछ है। फिल्म में विनीत कुमार सिंह मुख्य किरदार में हैं। फिल्म उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि पर आधारित कहानी है। मुक्काबाज़ 12 जनवरी को रिलीज होगी।