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बर्थडे: एक नायक जिसने अपनी सादगी से हासिल की स्टारडम, अनिल कपूर!

बहुत कम लोग जानते हैं, जब अनिल कपूर मुंबई संघर्ष करने के लिए आए तो उन्हें रहने को घर नहीं था, कई दिनों तक वो राज कपूर के गराज में रहे।

By Hirendra JEdited By: Published: Sat, 24 Dec 2016 10:57 AM (IST)Updated: Sat, 24 Dec 2016 11:12 AM (IST)
बर्थडे: एक नायक जिसने अपनी सादगी से हासिल की स्टारडम, अनिल कपूर!

मुंबई। आज अनिल कपूर का जन्मदिन है। 24 दिसंबर, 1959 को महाराष्ट्र के चेम्बूर में जन्मे अनिल ने अपने करियर में एक के बाद एक कई सुपरहिट फ़िल्में दी हैं। निर्माता-निर्देशक उमेश मेहरा की फ़िल्म 'हमारे तुम्हारे' से 1979 में एक सपॉर्टिंग ऐक्टर के रूप में बॉलीवुड सफ़र की शुरुआत करने वाले झक्कास एक्टर अनिल कपूर ने इन चार दशकों में अपने अभिनय से वो मुकाम बना लिया है जो कम ही एक्टर्स को नसीब है।

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सोनम, हर्षवर्धन और रिया जैसे स्टार बेटे, बेटियों के पिता अनिल पर आज भी उनके उम्र का कोई असर नहीं दिखता। फेमस फ़िल्म मेकर सुरेंद्र कपूर के तीनों बेटे बोनी, अनिल और संजय कपूर सिनेमा से जुड़े पर अनिल इकलौते हैं जो बॉलीवुड के आकाश पर एक सितारे की तरह चमके। अनिल कपूर ने अपने करियर के शुरुआती दौर में ही मॉडल सुनीता से शादी कर ली थी, बॉलीवुड में रोज़ टूटते रिश्तों के बीच यह जोड़ी एक मिसाल है। सौ से भी ज्यादा फ़िल्में करने वाले अनिल कपूर का शुरुआती सफर इतना आसान नहीं रहा। सन् 1980 की 'हम पांच' और 1982 की 'शक्ति' में कुछ छोटी-मोटी भूमिकाओं के बाद उन्हें 1983 में आई फिल्म 'वो सात दिन' में पहली बार मुख्य किरदार निभाने का मौका मिला, जिसने अनिल को बतौर अभिनेता के रूप में पहचान दिलाई। बहुत कम लोग जानते हैं कि अनिल ने दक्षिण भारतीय फ़िल्मों में भी हाथ आजमाया। वह तेलुगू फ़िल्म 'वम्सावृक्षं' और कन्नड़ फ़िल्म 'पल्लवी अनुपल्लवी' में काम कर चुके हैं। आपको बता दें, अनिल कपूर को फ़िल्म 'पुकार' के लिए वर्ष 2001 में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

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वर्ष 1984 में यश चोपड़ा की 'मशाल' में अनिल ने वहीदा रहमान, रति अग्निहोत्री और दिलीप कुमार जैसे दिग्गज कलाकारों के बीच अपने अभिनय का हुनर दिखाया, तो वहीं 1985 की फ़िल्म 'मेरी जंग' में न्याय के लिए लड़ने वाले एक नाराज युवा वकील के किरदार में अनिल ने जान फूंककर उसे हमेशा के लिए यादगार बना दिया। 'कर्मा', 'मिस्टर इंडिया', 'तेजाब', 'राम लखन' जैसी फ़िल्मों ने अनिल को अभिनय की बुलंदियों पर पहुंचा दिया। अनिल बॉलिवुड के साथ ही हॉलिवुड में भी अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके हैं। हॉलिवुड फिल्म 'स्लमडॉग मिलयेनियर' ने अनिल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलवाई। अनिल की फिल्म 'स्लमडॉग मिलियेनियर' ने ऑस्कर अवॉर्ड हासिल किया था। अनिल हॉलिवुड की टेलिविजन सीरीज़ '24' का भारतीय रूपांतरण भी छोटे पर्दे पर ला चुके हैं। अनिल कपूर ने अभिनय के साथ ही गायिकी में भी अपना हाथ आजमाया है। वह अपनी फ़िल्म 'वो सात दिन' के गीत 'तेरे बिना मैं नहीं' और फ़िल्म 'चमेली की शादी' में अपनी आवाज का जादू चला चुके हैं। समय के साथ अनिल फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में भी उतरे और उन्होंने बेहतरीन फ़िल्में भी बनायीं।

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आज भी अनिल लगातार काम कर रहे हैं और साल दर साल हिट पर हिट फ़िल्में दे रहे हैं। उनका स्टाइल सबसे जुदा और सहज है। यही सहजता उनकी ताकत है। बहुत कम लोग जानते हैं, जब अनिल कपूर मुंबई संघर्ष करने के लिए आए तो उन्हें रहने को घर नहीं था, कई दिनों तक वो राज कपूर के गराज में रहे। बहरहाल, उन्होंने बड़ी ही सादगी से वो स्टारडम हासिल कर लिया है जिसकी सारी दुनिया आज दीवानी है।

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आप जानते हैं, अनिल की बड़ी बेटी सोनम बॉलिवुड की प्रसिद्ध ऐक्ट्रेस के रूप में खुद को स्थापित कर चुकी हैं, तो वहीं हर्षवर्धन ने भी इस साल राकेश ओम प्रकाश मेहरा की फिल्म 'मिर्जिया' से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की है। कहना न होगा, अभिनय की परम्परा और सिद्दत इस परिवार के डीएनए में है!


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