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पापा शूट पर होते थे, मां, सोनम और रिया ने की है मेरी परवरिश : हर्षवर्धन

हर्ष कहते हैं कि मैं पुरस्कार की बहुत इज्जत करता हूं। पापा और सोनम दोनों ने काफी जीत लिये हैं। मुझे भी मेरे काम के लिए मिलेगा तो खुशी होगी।

By Manoj KhadilkarEdited By: Published: Fri, 25 May 2018 07:23 PM (IST)Updated: Fri, 25 May 2018 07:23 PM (IST)
पापा शूट पर होते थे, मां, सोनम और रिया ने की है मेरी परवरिश : हर्षवर्धन
पापा शूट पर होते थे, मां, सोनम और रिया ने की है मेरी परवरिश : हर्षवर्धन

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। हर्षवर्धन कपूर की फिल्म भावेश जोशी सुपरहीरो इन दिनों खूब चर्चा में हैं। फिल्म को लेकर खुद हर्षवर्धन भी काफी उत्साहित हैं। उन्होंने इस फिल्म को लेकर जागरण डॉट कॉम से बातचीत की। पेश है मुख्य अंश-

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पहली फिल्म नाकामयाब रही, ये सबक मिला

फिल्म मिर्ज्या खास कामयाब नहीं रह पायी थीं लेकिन इस बारे में हर्षवर्धन स्पष्ट रूप से कहते हैं कि अमिताभ बच्चन, और उनके फादर की भी शुरुआती दौर में फिल्में नहीं चली थीं। इसका मतलब नहीं कि बाद में वह कामयाब नहीं हुए। इसलिए वह अभी खुद को वक्त दे रहे हैं। हर्षवर्धन कहते हैं कि पहली फिल्म कामयाब नहीं रही तो उन्होंने इससे कुछ लेसन लिये हैं। अब वह काफी अधिक सेंसिबल हो गये हैं और इस बात का ध्यान रखते हैं कि ऑडियंस क्या चाहती है और क्या सोच रही है। इसलिए मुझे लगा कि भावेश जोशी में जो टैलेंट है, वो औरों के लिए थीम है। हर चीज सही करना। देश के लिए करना। यूथ है।कॉमेडी है। इन सबके बावजूद विक्रमादित्य अलग तरह की फिल्में बनाते हैं।रियलिस्टिक अप्रोच तो देते ही हैं। वही मिर्ज्या आर्ट हाउस और एक्सपेरिमेंटल फिल्म थी और बड़े स्केल की फिल्म थी। तो जब भी वैसी फिल्म बनेगी तो वह हमेशा ट्रिकी ही रहेगी लेकिन मुझे लगता है कि मैंने इन चीजों को लेकर ट्राई तो किया, क्योंकि मैं ये मानता हूं कि कोशिश बहुत जरूरी है कि नयी चीजें की जायें क्योंकि मुझे लगता है कि बाहर निकल कर काम करना जरूरी है। वरना, आप दूसरों के बारे में ही बातें करते रहोगे कि ये कल्ट हो गया। उसने अच्छा काम कर डाला। मुझे कभी भी रिग्रेट नहीं रहा है।

कोई रोलमॉडल नहीं, कोई सुपरहीरो नहीं

हर्ष यह भी कहते हैं कि लोगों को यह सुन कर आश्चर्य होगा, लेकिन ये सच है कि मैंने कभी किसी को भी अपना रोल मॉडल नहीं बनाया है। चूंकि मैं किसी और की तरह तो लगना ही नहीं चाहता। न ही किसी को फॉलो करना चाहता हूं। मेरे लिए रियललाइफ में कोई भी सुपरहीरो नहीं हैं।

मेनस्ट्रीम सिनेमा नहीं एक्सपेरिमेंटल थी मिर्ज्या

हर्ष कहते हैं कि मिर्ज्या मेनस्ट्रीम सिनेमा नहीं थी। दरअसल, मुझसे ज्यादा राकेश ओमप्रकाश मेहरा से लोग उम्मीद कर रहे थे। उन्होंने रंग दे बसंती, भाग मिल्खा भाग जैसी फिल्में बनायी हैं। मैंने ऐसा सोचा नहीं था। हर्ष कहते हैं कि सोनम के साथ भी हुआ था कि दिल्ली 6 और सांवरिया नहीं चली थी लेकिन अचानक से नीरजा में कमाल हो गया था। उसको नेशनल अवॉर्ड मिला। लोग उसका पिछला भूल गये और यह सच है कि ये इंडस्ट्री का पार्ट है। मैंने तो अपने पापा के साथ भी यह बात देखी है कि आज पापा को लोग उनकी बॉक्स ऑफ़िस की फिल्मों की वजह से नहीं जानते हैं, बल्कि अच्छे एक्टर के रूप में जाने जाते हैं। वह हर फिल्म से ग्रो करते हैं तो अगर मुझे भी लोग वैसा ही मानने लगेंगे कि मैं अच्छा एक्टर हूं तो मेरा संघर्ष पूरा हो जायेगा।

अभिनव बिंद्रा पर बायोपिक

अपनी अगली फिल्म अभिनव बिंद्रा बायोपिक बारे में हर्ष कहते हैं कि मुझे अच्छा लगा कि यह फिल्म मुझे मिली है। यह फिल्म जाहिर है कि बिल्कुल धोनी पर बनी फिल्म के आधार पर नहीं होगी। फिल्म में मैं 16 साल से लेकर 36 साल तक की भूमिका निभाऊंगा। पापा अनिल के साथ फिल्म में काम करने जा रहा हूं लेकिन अभी इनके बारे में ज्यादा सोचा नहीं है कि स्क्रीन शेयर करूंगा तो क्या होगा। मैं शूटिंग सीखने जा रहा हूं। फिल्म के लिए कुछ महीनों की ट्रेनिंग लूंगा। फिल्म भारत के अलावा और जगह भी शूट की जायेगी।

पानी का समस्या

हर्षवर्धन कहते हैं कि उन्होंने कभी भी पानी की समस्या का सामना नहीं किया है। वह इस मामले में खुद को लकी मानते हैं लेकिन वह मानते हैं कि यह एक बड़ी समस्या है जिस पर बात होनी चाहिए। भावेश जोशी सुपरहीरो पानी की समस्या पर ही फिल्म है।

अवॉर्ड जरूरी हैं

हर्ष कहते हैं कि मैं पुरस्कार की बहुत इज्जत करता हूं। पापा और सोनम दोनों ने काफी जीत लिये हैं। मुझे भी मेरे काम के लिए मिलेगा तो खुशी होगी। इससे आपका काम करने का मनोबल बढ़ता है।

बहनों से घिरा रहा हूं

हर्षवर्धन बताते हैं कि वह बचपन से ही महिलाओं और अपनी बहनों से घिरे रहे। उनके पापा अनिल शूटिंग में बहुत बिजी रहते थे तो दोनों बहनें सोनम और रिया उनका खयाल रखती थीं और मां भी। वह कहते हैं कि इसलिए वह महिलाओं की समस्या को सुनने में हमेशा आगे रहे हैं और उन्हें वह अच्छी तरह समझते भी हैं। वह कहते हैं कि वह बचपन से कभी शरारती नहीं रहे हैं। शांत ही रहते थे और उन्हें अलग तरह की दुनिया में रहना ही पसंद आता था।

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