कई बार पैसा होते हुए भी काम नहीं आता है, लोग और रिश्ते काम आते हैं -अभिनेत्री नियति फतनानी
मेरा मानना है कि जिनसे दिल से कनेक्शन है तो उनके लिए आपको प्यार से ही सोचना चाहिए। पैसा आता-जाता रहेगा लेकिन दोस्ती रिश्ते हमेशा साथ रहेंगे। कई बार पैसा होते हुए भी काम नहीं आता है लोग और रिश्ते काम आते हैं।
प्रियंका सिंह। कुछ किरदार ऐसे होते हैं, जिनसे कलाकार वास्तविक जीवन में खुद को जोड़कर देख सकते हैं। पांच जुलाई से शुरू हो रहे स्टार भारत के शो चन्ना मेरेया में नियति फतनानी का किरदार भी कुछ ऐसा ही है। वह एक ऐसी लड़की का किरदार निभा रही हैं, जो ढाबा चलाती है और अपने परिवार की जिम्मेदारियां उठा रही है..
आप इस किरदार से खुद को कितना जोड़ पाईं?
मेरा मानना है कि अगर आपकी कुछ बातें किरदार की तरह हों तो काम आसान हो जाता है। मैं गुजरात से हूं। मेरे माता-पिता का बहुत ज्यादा मुंबई आना-जाना नहीं हो पाता है। वह जब भी आते हैं तो मेरी कोशिश यही होती है कि ज्यादा से ज्यादा वक्त उनके साथ बिता सकूं। उन्हें मेरे जिस काम से खुशी मिलती है, मैं वही करने की कोशिश करती हूं। जब परिवार और दोस्तों के बीच मेरी तारीफ होती है तो उनके चेहरे पर जो मुस्कान आती है, वह मेरे लिए एक ट्राफी के समान है। मैं शो के किरदार गिन्नी की तरह ही अपने परिवार से बहुत प्यार करती हूं।
टीवी पर कई तरह का कंटेंट आ रहा है। ऐसे में अपने लिए सही कंटेंट चुनते वक्त क्या चीजें दिमाग में रहती हैं?
मैं किरदार पर ज्यादा ध्यान देती हूं कि कोई गलत मैसेज न जाए, उन दर्शकों के बीच जो मुझे फालो कर रहे हैं। मैं मानती हूं कि कोई भी किरदार परफेक्ट नहीं होता है। उसमें कुछ खूबियां-खामियां होती हैं। आज के दर्शक बहुत स्मार्ट हैं, अगर मैं उन्हें दिखाऊं कि मैं बहुत अच्छी हूं तो उन्हें वह नकली लगेगा। टीवी में वैसे भी टीआरपी का खेल होता है। फिल्म में हमें पता होता है कि कहानी कहां से शुरू होकर कहां पर खत्म होगी। टीवी पर ऐसा नहीं होता है। टीवी में एक प्लाट होता है कि हमें कहानी फलां तरीके से चलानी है, लेकिन टीआरपी की दिक्कत हुई या कोई ट्रैक ज्यादा पसंद किया जा रहा है तो उसे हम दोबारा लाते हैं।
पहले चार-पांच साल शो चला करते थे। अब डिजिटल प्लेटफार्म की वजह से चीजें बदली हैं। क्या आप लंबे शो रना चाहेंगी?
मैंने कोई दायरे नहीं बनाए हैं। मैं तब तक काम करना चाहूंगी, जब तक उस किरदार को एंजाय कर सकूं। जब तक मैं खुश हूं, सेट पर पाजिटिव माहौल है तो फिर चाहे एक साल हो या पांच साल। मैं काम करने के लिए तैयार हूं। हम सेट पर 12-13 घंटे होते हैं, जरूरी है कि आप जो काम कर रहे हैं, उसमें मजा आए।
इस शो में ढाबा चला रही हैं। कितना अच्छा खाना बना लेती हैं?
मैं दाल, चावल, सब्जी, रोटी बना लेती हूं। मैं सिंधी हूं तो जो हमारे खास व्यंजन होते हैं, वे नहीं बना पाती हूं, क्योंकि उनमें वक्त लगता है साथ ही उनमें मसालों की मात्रा सही होनी चाहिए। जब पता चला कि मेरा किरदार ढाबा चलाती है तो उसी दिन से मैंने रोटी बनाना, सब्जी काटना शुरू कर दिया था, क्योंकि शो में यह सब करते हुए दिखाया जाएगा।
आपकी मम्मी ने खाना बनाने को लेकर कुछ खास टिप्स दिए हैं?
इस शो के लिए तो नहीं, लेकिन मम्मी की टिप्स वास्तविक जीवन में बहुत काम आती हैं, जैसे दाल में तड़का कैसे लगाते हैं, उसके लिए क्या-क्या और किस मात्रा में चाहिए होता है, ये चीजें बहुत काम आईं। वैसे सेट पर तो बताने के लिए लोग होते हैं, लेकिन अगर आपको कुछ चीजें पहले से आती हों तो फिर उन पर ध्यान न देकर मैं अपनी लाइनों और परफार्मेंस पर ध्यान दे पाती हूं। सेट पर जबसे लोगों को पता चला है कि मैं खाना बनाना जानती हूं तो वे चाहते हैं कि अब मैं सबको अपने हाथों से बना खाना खाने का मौका दूं।
शो में आपका किरदार प्यार और व्यापार में से प्यार को चुनता है। आप क्या कभी खुद का नुकसान करके प्यार को चुन सकती हैं?
मैं इससे थोड़ा बहुत इत्तेफाक रखती हूं। मैंने कई बार खुद का आर्थिक नुकसान करके रिश्तों पर ध्यान दिया है। सिर्फ निजी रिश्ते ही नहीं, बल्कि काम पर जो रिश्ते बने हैं, उनके लिए भी किया है। कई बार शो का बजट नहीं होता है और हम प्रोजेक्ट साइन कर लेते हैं, क्योंकि एक-दूसरे की इच्जत करते हैं। मेरा मानना है कि जिनसे दिल से कनेक्शन है तो उनके लिए आपको प्यार से ही सोचना चाहिए। पैसा आता-जाता रहेगा, लेकिन दोस्ती, रिश्ते हमेशा साथ रहेंगे। कई बार पैसा होते हुए भी काम नहीं आता है, लोग और रिश्ते काम आते हैं।
ऐसे दोस्त इस इंडस्ट्री में बने हैं?
हां, बिल्कुल, इंडस्ट्री में कई दोस्त बने हैं। मैं कभी किसी मुसीबत में होती हूं तो वे हमेशा मेरे लिए मौजूद रहते हैं।