जब अभिषेक बच्चन को नहीं मिलते थे फिल्मों के ऑफर, ऐसे निकाला था एक्टर ने वो वक्त!
Abhishek Bachchan Bob Biswas बॉलीवडु अभिनेता अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘बॉब बिस्वास’ आज जी5 पर रिलीज हुई है। साल 2012 में रिलीज हुई ‘कहानी’ फिल्म के किरदार ‘बॉब बिस्वास’ पर आधारित इस फिल्म में अभिषेक अलग लुक में नजर आए हैं।
प्रियंका सिंह, जेएनएन। बॉलीवुड अभिनेता अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘बॉब बिस्वास’ आज जी5 पर रिलीज हुई है। साल 2012 में रिलीज हुई ‘कहानी’ फिल्म के किरदार ‘बॉब बिस्वास’ पर आधारित इस फिल्म में अभिषेक अलग लुक में नजर आए हैं। प्रियंका सिंह से बातचीत में अभिषेक बच्चन ने साझा की इस फिल्म और करियर से जुड़ी बातें...
सवाल : आप कहते हैं कि जिस तरह का काम आप चुन रहे हैं, वह आपका 2.0 वर्जन है। यह वर्जन पहले से कितना अलग है?
जवाब : मुझे लगता है कि अब मुझमें पहले से ज्यादा आत्मविश्वास है। समय के साथ हर कलाकार में इतनी समझ आ जाती है कि वे क्या करना चाहते हैं, लेकिन यह जानना अधिक अहम है कि वे क्या नहीं करना चाहते हैं। कैसे लोगों के सामने पेश आना चाहते हैं, कैसे नहीं आना चाहते हैं। ‘मनमर्जियां’ फिल्म की शूटिंग खत्म करने के बाद, जब वह रिलीज होने वाली थी, तब मैंने कहा था कि यह मेरा 2.0 वर्जन है। मेरा ऐसा काम सामने आएगा, जो पहले किसी ने नहीं देखा होगा। आपने कहा था कि 20 साल के करियर में कई बार ऐसा वक्त आया जब काम के लिए बिल्कुल फोन नहीं बजते थे। फिर एक दौर आया जब काम के ऑफर उफ से मिलने लगे।
सवाल : ऐसे में मानसिक संतुलन कैसे बनाए रखा?
जवाब : मेरा मानना है कि आपको खुद में यकीन होना चाहिए कि मैं काम करने के लायक हूं। मौका मिले तो मैं काम करूंगा और अच्छा काम करूंगा। अगर आपको खुद पर विश्वास है तो काम आएगा। आपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलने की इच्छा जाहिर की थी। आपकी कोशिशें अब असर दिखा रही हैं... हां, कंफर्ट जोन से बाहर आकर मुझे बेहतर मौके मिल रहे हैं। मैं चाहूंगा कि दर्शकों की उम्मीदें मुझसे बढ़ें। इसका मतलब यह है कि वे मेरा काम देखना चाहते हैं।
सवाल : ‘बॉब बिस्वास’ का किरदार ‘कहानी’ में निगेटिव था। क्या इस फिल्म में भी उसे उतना ही निगेटिव रखा गया है?
जवाब : मैं इसे निगेटिव किरदार नहीं कहूंगा। फिल्म के चयन की सबसे बड़ी वजह यही रही कि सुजाय घोष मेरे अच्छे मित्र हैं। उनकी बेटी दीया इस फिल्म का निर्देशन करने वाली थीं। फिल्म का किरदार मुझे चुनौतीपूर्ण लगा। मैंने इस फिल्म को करने से पहले ‘कहानी’ फिल्म नहीं देखी थी। बाद में लॉकडाउन के दौरान मैंने फिल्म देखी। उस वक्त तक ‘बॉब बिस्वास’ की 80 प्रतिशत शूटिंग पूरी हो चुकी थी।
सवाल : सुजॉय ‘कहानी’ फिल्म में बाब बिस्वास के किरदार में आपको ही लेना चाहते थे...
जवाब : हां, सुजाय ने साल 2010 में इस फिल्म को लेकर मुझसे बात की थी। उस वक्त उन्होंने मुझे बताया नहीं था कि वह ‘कहानी’ फिल्म की बात कर रहे हैं। उन्होंने बस एक कांसेप्ट सुनाया था इस कांट्रैक्ट किलर के बारे में। पूरी कहानी नहीं बताई थी, लेकिन उस वक्त मैं ‘बोल बच्चन’ फिल्म की शूटिंग कर रहा था। समय नहीं निकाल पाया था। खैर, अतीत में जाकर सोचने की आदत मुझमें नहीं है।
सवाल : इस किरदार के लिए आपने 15-20 किलो वजन भी बढ़ाया है। कहीं कोई झिझक थी कि कैमरे पर कैसा लगूंगा?
जवाब : मैंने कभी भी कोई किरदार निभाते वक्त ऐसा नहीं सोचा कि कैमरे पर कितना आकर्षक लगूंगा। मैंने हमेशा यही माना है कि जो भी किरदार हमें दिया जाता है, उसे अपनाने के लिए अगर आप उस किरदार की तरह दिख सकते हैं तो आपका आधा काम तो वहीं हो जाता है। ‘गुरु’ फिल्म के लिए भी मैंने वजन बढ़ाया था। मैंने हमेशा ऐसा काम करने की कोशिश की है, जो मुझे चैलेंज करे। आजकल जितने कलाकार हैं, अगर वे अपने किरदार जैसे न लगें तो दर्शक कहानी से स्विच आफ हो जाते हैं। दर्शकों को यकीन दिलाने के लिए किरदार में जाने के अलावा कलाकारों के पास अन्य कोई विकल्प नहीं है।
सवाल : क्या डिजिटल प्लेटफॉर्म आपको अलग स्टारडम दे रहा है?
जवाब : मैं ऐसा नहीं मानता हूं। अगर आप कलाकार अच्छे हैं, अच्छी कहानियों का हिस्सा बन रहे हैं तो प्लेटफॉर्म से फर्क नहीं पड़ता है। नाम तो आप वैसे ही कमा लेंगे। आप किस प्रोजेक्ट का हिस्सा बन रहे हैं, वह मायने रखता है, न कि वह कंटेंट कहां दिखाया जाने वाला है।
सवाल : काम को लेकर कलाकारों के बीच कितनी प्रतियोगिता नजर आती है?
जवाब : मुझे लगता है कि कोई प्रतियोगिता कभी थी ही नहीं। मेरे जितने भी दोस्त या साथ काम करने वाले कलाकार रहे हैं, हमने आपस में कभी कोई प्रतियोगिता नहीं की। सभी अपना काम कर रहे हैं। सिर्फ अपने काम पर ध्यान देते हैं। प्रतियोगिता नाम की कोई चीज इंडस्ट्री में नहीं है। क्रिएटिव क्षेत्र में कभी कोई प्रतियोगिता होनी भी नहीं चाहिए। फिल्मों के बिजनेस को कितना समझ चुके हैं? आपने तमिल फिल्म ‘ओत्था सेरुप्पु साइज 7’ के राइट्स लिए हैं, जिसमें अभिनय भी किया है। मैं बड़ी-बड़ी बातें कह सकता हूं कि मेरी सोच ऐसी रही या वैसी रही, लेकिन ऐसा कुछ होता नहीं है। कहानी अच्छी लगे, उसका हिस्सा दिल से बनना चाहते हैं तो बन जाना चाहिए। मैंने हमेशा से दिल की बात सुनकर काम किया है। कोई रणनीति नहीं बनाई है।